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तोरिया, सरसों व राई की उन्नत किस्में अपनाकर पाएं अधिक उपज

भारतीय कृषि में अनाज वाली फसलों के बाद तिलहनी फसलों का देष की अर्थव्यवस्था और मनुष्य के स्वास्थ दोनों ही दृष्टि से विषेष महत्व है. तिलहनी फसल के रुप में उगायी जाने वाली सरसों समूह की तोरिया व पीली सरसों को बहुफसलीय फसल-प्रणाली में तथा राई को रबी फसल के रुप में उगाकर देश व प्रदेश में खाद्य तेलों की उपलब्धता को बढ़ाया जा सकता है. यह कहना है

KJ Staff
Crop Varieties
Crop Varieties

भारतीय कृषि में अनाज वाली फसलों के बाद तिलहनी फसलों का देश की अर्थव्यवस्था और मनुष्य के स्वास्थ, दोनों ही दृष्टि से विशेष महत्व माना गया है. तिलहनी फसल के रुप में सरसों समूह की तोरिया व पीली सरसों को बहुफसलीय फसल-प्रणाली में तथा राई को रबी फसल के रुप में उगाया जाता है. इसी क्रम में कृषि महाविद्यालय के आनुवंषिकी एवं पादप प्रजनन विभाग की वैज्ञानिक, डा. उषा पंत का कहना है कि देश व प्रदेश में खाद्य तेलों की उपलब्धता को बढ़ाया जा सकता है. 

राई-सरसों के उत्पादन में  वृद्धि

डा. पंत ने बताया कि उत्तराखण्ड में विद्यमान पर्वतीय, मैदानी, तराई, भावर व घाटी के क्षेत्रों की जलवायु एवं उत्पादन परिस्थितियां भिन्न-भिन्न प्रकार की हैं. अतः इनके अनुरुप प्रजाति का चयन करके राई-सरसों के उत्पादन में आशातीत वृद्धि की जा सकती है. साथ ही उन्नत प्रजाति एवं उसके उत्तम बीज के प्रयोग से लगभग 20-25 प्रतिशत उपज आसानी से बढ़ाई जा सकती है. 

उन्होंने तिलहन फसलों की खेती के लिए मैदानी, तराई व भावर क्षेत्रों के लिए तोरिया की किस्म पी.टी.-30, जिसकी उत्पादन क्षमता 14-16 कुन्तल प्रति हैक्टेयर है और पंत तोरिया-508 जिसकी उत्पादन क्षमता 16-19 कुन्तल प्रति हैक्टेयर है को उगाने की सलाह दी. इन दोनों प्रजातियों में तेल की मात्रा 42 प्रतिशत है.

पीली सरसों की उन्नत किस्में

पीली सरसों की उन्नत किस्मों के बारे में डा. पंत ने बताया कि विनोय किस्म की उत्पादन क्षमता 11-14 कुन्तल प्रति हेक्टेयर व तेल की मात्रा 43 प्रतिशत, पंत पीली सरसों-1 की उत्पादन क्षमता 12-15 कुन्तल प्रति हैक्टेयर व तेल की मात्रा 44 प्रतिषत तथा पंत श्वेता की उत्पादन क्षमता 16-20 कुन्तल प्रति हैक्टेयर व तेल की मात्रा 45 प्रतिशत है.

समय पर राई की बुवाई

राई की समय से बुवाई हेतु प्रजाति रोहणी, क्रांति व कृष्णा की उत्पादन क्षमता 20-28 कुन्तल प्रति हेक्टेयर तथा पंत राई-20 व पंत राई-21 की उत्पादन क्षमता 25-30 कुन्तल प्रति हेक्टेयर है. इन सभी किस्मों में तेल की मात्रा 40 से 41 प्रतिशत है. राई की विलंब से बुवाई हेतु संस्तुत किस्मों के बारे में डा. पंत ने बताया कि वरदान किस्म की उत्पादन क्षमता 12-16 कुन्तल प्रति हेक्टेयर, आर्शीवाद की उत्पादन क्षमता 14-17 कुन्तल प्रति हेक्टेयर तथा एन.आर.सी.एच.बी.-101 की उत्पादन क्षमता 12-15 कुन्तल प्रति हेक्टेयर है.

ये खबर भी पढ़ें: सरसों की उन्नत किस्में और खेती करने का सही तरीका

इन तीनों किस्मों में तेल की मात्रा 40 प्रतिशत है. पर्वतीय क्षेत्रों के लिए उपयुक्त तोरिया की उन्नत किस्मों के बारे में बताते हुए उन्होंने पी.टी.-507 के बारे में बताया. इस किस्म की उत्पादन क्षमता 8-12 कुन्तल प्रति हेक्टेयर है. वहीं, तेल की मात्रा 43 प्रतिशत तथा वी.एल.टी.-3 किस्म की उत्पादन क्षमता 9-11 कुन्तल प्रति हेक्टेयर है. इसके साथ ही तेल की मात्रा 38 प्रतिशत तथा पंत हिल तोरिया-1 की उत्पादन क्षमता 5-10 कुन्तल प्रति हेक्टेयर है. पर्वतीय एवं मैदानी दोनों क्षेत्रों हेतु उपयुक्त पी.टी.-303 की उत्पादन क्षमता पर्वतीय क्षेत्रों हेतु 9-11 कुन्तल प्रति हैक्टेयर व मैदानी क्षेत्रों हेतु 14-18 कुन्तल प्रति हेक्टेयर एवं तेल की मात्रा 42 प्रतिशत के साथ-साथ उत्तरा किस्म की उत्पादन क्षमता 15-18 कुन्तल प्रति हेक्टेयर व तेल की मात्रा 44 प्रतिशत है. 

डा. उषा पंत ने बताया कि इन उन्नत किस्मों की उपयुक्तता के आधार पर क्षेत्र एवं परिस्थितियों के लिए उपयुक्त किस्म का चयन कर अक्टूबर के अंत तक बुवाई कर सकते हैं. इससे किसानों को अधिक उत्पादन प्राप्त होगा. 

English Summary: Get more production by adopting advanced varieties of Taria, Mustard and Rye. Published on: 27 October 2018, 03:26 PM IST

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