नेपियरएक बहुवर्षीय घास है, जिसकी एक बार बुवाई करने से 3-4 वर्ष तक हरा चारा प्राप्त होता रहता है. हरे चारे की कमी के दिनों में भी संकर हाथी घास; नेपियर घास से चारा प्राप्त होता रहता है, जिससे पशुओं को वर्ष भर हरा चारा मिलता रहता है. वृद्धि की प्रारंभिक अवस्था में चारे में लगभग 12-14 प्रतिशत शुष्क पदार्थ पाया जाता है. इसमें औसतन7-12 प्रतिशत प्रोटीन, 34 प्रतिशत रेशा तथा कैल्शियम व फास्फोरस की मात्रा 10.5 प्रतिशत होती है.
यह मात्रा कटाई की अवस्था तथा सिंचाई पर निर्भर करती है. इसकी पाचनशाीलता 48-71 प्रतिशत होती है. इसमें सूखा व कीट-पतंगों को सहन करने की क्षमता होती है. नेपियर घास को बरसीम अथवा रिजका अथवा लोबिया के साथ मिलाकर खिलाने पर उच्च कोटी का स्वादिष्ट चारा पशु को मिलता है.
नेपियर घास का उत्पति स्थान उष्ण कटिबन्धीय अफ्रीका है. यह घास गर्म एवं आद्रता वाले क्षेत्रों में लगाई जाती है. भारत वर्ष में लगभग सभी प्रान्तों में इसकी पैदावार ली जाती हैं लेकिन अधिक वर्षा एवं सर्दी वाले राज्यों में इसकी खेती नहीं करते.
जलवायु
संकर हाथी घास के लिये गर्म एवं नम जलवायु की आवश्यकता होती है अतः मानसून मौसम में यह फसल अधिक चारा प्रदान करती है. चमकदार धूप एवं बीच-बीच में वर्षा वाली जलवायु चारा उत्पादन के लिये सर्वोत्तम है. अच्छी पैदावार के लिये 25-30 डिग्री सेल्सियस तापक्रम तथा औसतन 800-1000 मि.मी. वर्षा की आवश्यकता होती है.
मृदा एवं भूमि की तैयारी
उचित जल निकास वाली सभी प्रकार की मृदाओं में नेपियर घास का उत्पादन किया जा सकता है परन्तु अच्छी पैदावार के लिये लोम एवं क्ले लोम मृदा सबसे उपयुक्त होती है. एक गहरी जुताई करने के बाद दो जुताई कल्टीवेटर या देशी हल से करें साथ ही पाटा लगाकर खेत समतल कर लें.
ये खबर भी पढ़ें: Cool Chamber: फल और सब्जियों को दो महीने तक सुरक्षित रखेगा ये किफायती कूल चैंबर, जाने इसकी ख़ासियत
उन्नत किस्में
क्षेत्र |
किस्में |
केरल |
मकूनी |
मध्य एवं दक्षिण भारत |
हामिल |
उत्तर पशिचम भारत |
पी.जी.जी. 1, गटन |
पंजाब |
पी.जी.जी. 19, पी.जी.जी. 101 |
उत्तर, उत्तर पशिचम एवं मध्य भारत |
उत्तर, उत्तर पशिचम एवं मध्य भारत |
बुवाई का समय
बोने का उपयुक्त समय सिंचित क्षेत्रों के लिए मार्च माह है. वर्षा आधारित क्षेत्रों में नेपियर की जड़ों को जुलाई माह में या मानसून की प्रारम्भिक अवस्था में लगाएं दक्षिण भारत के सिंचित क्षेत्रों में वर्ष के किसी भी माह में बुवाई कर सकते हैं.
बीज दर एवं बुवाई की विधि
इसकी बुवाई जड़ों के कल्ले या तने के टुकडो द्वारा करते हैं. जडों की बुवाई करते समय पौधे से पौधे की दूरी 50 से.मी., तथा लाइन से लाइन की दूरी 1 मी. तथा गहराई लगभग 20-25 से.मी. रखनी चाहिये. लगभग 20,000-25,000 जड़ों के कल्ले एक हेक्टेयर क्षेत्रफल के लिए पर्याप्त होते हैं.
खाद व उर्वरक
संकर हाथी घास से अधिक उत्पादन लेने के लिये खेत में 220 से 225 क्विंटल गोबर की सड़ी खाद, नत्रजन 100 की.ग्रा., फास्फोरस 40 की.ग्रा. तथा पोटाश 40 की.ग्रा. प्रति हैक्टेयर अवश्य डालनी चाहिए. गोबर की खाद को बुवाई के 10-15दिन पहले अच्छी प्रकार भूमि में मिलाएं तथा बुवाई के समय फास्फोरस व पोटाश की पूरी मात्रा खेत में मिला दें. नत्रजन की आधी मात्रा बुवाई के 15 दिन बाद छिड़क दें तथा शेष मात्रा सर्दी के अन्त में छिड़क दें. यदि सम्भव हो, तो नत्रजन की पूरी मात्रा को 3-4 बराबर भागों में बॉट लें और प्रत्येक कटाई के बाद खेत में छिडकें जिससे नेपियर की बढ़वार शीघ्र होती है.
सिंचाई
पहली सिंचाई जड़ें लगाने के तुरन्त बाद करें.इसके बाद में 2 सिंचाई 7-8 दिन के अन्तर पर अवश्य करें. इस समय तक जडें अच्छी प्रकार जम जाती है एंव बढ़वार होने लगती है. बाद में सिंचाई, 15-20 दिन के अन्तर पर मौसम का ध्यान रखते हुए करते रहें.
अन्तरासस्यन
सर्दी के मौसम में नेपियर घास की बढ़वार कम होती है. अतः नेपियर की लाइनों के बीच में बरसीम या जई या रिजका की फसल ली जा सकती है. आई.जी.एफ. आर. आई., में किये गये शोध के आधार पर बरसीम की फसल नेपियर की लाइनों में अच्छा परिणाम देती है तथा नेपियर की इगफ्री-3 किस्म अन्तः फसल के लिए सर्वोत्तम पाई गई है. नेपियर की लाइन से लाइन की दूरी सुविधानुसार 3 - 10 मीटर तक बढाकर लाइनों के बीच में मौसमी फसलें जैसे ज्वार, मक्का, लोबिया, ग्वार, बरसीम, रिंजका, जई आदि सफलतापूर्वक लगाई जा सकती हैं, जिससे वर्ष भर हरा चारा मिलता रहता हैं.
कटाई
प्रथम कटाई बुवाई के 50-60 दिन बाद करें. बाद की कटाईयां गर्मी में 40 दिन के अन्तर पर तथा वर्षा ऋतू में 30 दिन के अन्तर पर करें. नवम्बर से जनवरी के माह में बढ़वार धीरे होती है. अतः कटाई का अन्तर बढा दें. पौधों की उंचाई 1-1.5 मीटर होने पर कटाई कर लेनी चाहिए. कटाई करते समय ध्यान रखें कि कटाई जमीन से 12-15 से.मी उपर से करें जिससे नई कोपलें नष्ट होने से बच सकें.
उपज
उचित प्रबन्ध करने पर संकर हाथी घास से उत्तरी क्षेत्रों में लगभग 1500 क्वीन्टल एवं दक्षिणी क्षेत्रों में 2000 क्वींटल क्वीन्टल हरा चारा प्रति हैक्टयर एक वर्ष में प्राप्त किया जा सकता है.
लेखक
तानिया दास, ममता मीणा, राकेश कुमार और रामावतार बाजिया
सहायक आचार्य
विवेकानंद ग्लोबल विश्वविद्यालय, जगतपुरा, जयपुर
Share your comments