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पारंपरिक खेती छोड़ किसान कर रहे नकदी फसल

किसान अब अपने गांवों में पारंपरिक खेती को छोड़ कर नकद फसलों की ओर रूझान बढ़ाने लगे है। यही कारण है कि आज देश का अन्नदाता आज खेती से जुड़ी नई-नई प्रणलियों को अपनाने के साथ ही ऐसी तकनीकों को अपनाने पर जोर दे रहा है जिसके चलते वह अपनी आमदनी को आसानी से बढ़ा सकें। ऐसा ही एक कार्य मध्य प्रदेश के शिवपुरी जिले के सुभाषपुरा क्षेत्र के किसान करके दिखा रहे है।

किसान अब अपने गांवों में पारंपरिक खेती को छोड़ कर नकद फसलों की ओर रूझान बढ़ाने लगे है। यही कारण है कि आज देश का अन्नदाता आज खेती से जुड़ी नई-नई प्रणलियों को अपनाने के साथ ही ऐसी तकनीकों को अपनाने पर जोर दे रहा है जिसके चलते वह अपनी आमदनी को आसानी से बढ़ा सकें। ऐसा ही एक कार्य मध्य प्रदेश के शिवपुरी जिले के सुभाषपुरा क्षेत्र के किसान करके दिखा रहे है। यहाँ के क्षेत्र में किसानों के बीच 10 से अधिक गांवों में मिर्ची व लाल मिर्च, टमाटर जैसी नकदी फसलों की खेती की ओर किसानों का रूझान बढ़ा है। यहां के गांव में 50 से ज्यादा किसानों ने पंरपरागत फसलों को छोड़कर मिर्ची की खेती की है जिससे इनको ज्यादा मुनाफा प्राप्त हो रहा है। किसानों का कहना है कि उन्होंने खरीफ के मौसम में बारिश के पानी से होने वाली अन्य फसलों की अपेक्षा इस तरह की मुनाफा देने वाली नकदी फसलों को करने का मन बनाया है। इसीलिए वह कम पानी और कम लागत में होने वाली मिर्च और टमाटर की फसलों की ओर ध्यान देने लगे है। इसके साथ ही गांवों में भी आधुनिक तरीके से मिर्ची की फसल करके किसानों ने काफी अच्छा मुनाफा कमाया है। इससे प्रभावित होकर अन्य किसानों का भी रूझान बढ़ा है।

फायदे का सौदा है मिर्च व टमाटर फसल

किसानों का कहना है कि खरीफ की अन्य फसलों की तुलना में कम पूंजी और कम मात्रा में ज्यादा लाभ मिल जाने के कारण किसान मिर्च व टमाटर की फसल को ही मुनाफे का सौदा मान रहे है। सुभाषपुरा कस्बे के किसानों ने करीब 200 हेक्टेयर भूमि में उपलब्ध बाजार में बेहतर किस्म की मिर्ची के बीज को बोया है। हालांकि पौधों को सूखा, इल्ली और मच्छर की मार से बचाने के लिए ग्लूकोज सयार मेथोन और कोरिजन जैसी मंहगी दवाईयों का प्रयोग करना पड़ा है। इसके साथ ही दोनों फसलों के दाम अच्छे मिलने से किसानों को फायदा हुआ है।

सोयाबीन और मूंगफली परंपरागत खेती से नुकसान

किसानों का कहना है कि सोयाबीन और मूंगफली की फसलों में ज्यादा पूंजी लगती है, लेकिन पर्याप्त रूप से बारिश ना हो पाने के कारण इन फसलों को भी भारी नुकसान होता है। इसीलिए किसानों ने इस बार सब्जी की खेती करने का मन बनाया ताकि उनको ज्यादा मुनाफा प्राप्त हो सकें। इसीलिए ज्यादातर किसान मिर्च व टमाटर की खेती करने का ही मन बना रहे है।

नुकसान की हो रही भरपाई

किसानों के द्वारा की गई मूंग व उड़द की खेती को इस बार बेमौसम की बारिश से ज्यादा नुकसान हुआ है और साथ ही इससे 80 फीसदी इनकी फसल भी खराब हो गई है जबकि इस दौरान टमाटर व मिर्च की फसल को की भी नुकसान नहीं हुआ है। इसीलिए किसान अपनी सारे नुकसान की भरपाई मिर्च व टमाटर की फसल को लगाकर ही कर रहे है। इसीलिए आगे भी वह इस तरह की नकदी फसल ही करने के बारें में सोच रहे है।

 

किशन अग्रवाल, कृषि जागरण

English Summary: Farmers leaving traditional farming cash crop Published on: 22 November 2018, 05:12 PM IST

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