देश में लगातार खेती का स्वरूप बदलता ही जा रहा है, पारंपरिक खेती में ज्यादा लाभ न मिलने पर किसान अब नई-नई फसलों की खेती कर रहे हैं. ऐसे में किसान औषधीय-फूलों की भी खेती करने लगे हैं. कोरोना के बाद से औषधीय का उपयोग बढ़ने से औषधीय पौधों का प्रचलन भी बढ़ने लगा है जिसके चलते औषधीय पौधों की खेती से किसानों को भी मुनाफा हो रहा है. किसान अब नकदी फसलों की तरह उपयोगी पौधों की खेती पर भी जोर देर रहे हैं. ताकी उपयोगी पौधों की खेती से ज्यादा फायदा हो. ऐसे में आपको रीठा की जानकारी दे रहे हैं जो एक औषधीय गुणों से भरपूर जड़ी-बूटी है रीठा का पेड़ लगभग 15 मीटर ऊंचा और 150 सेमी परिधि में फैला होता है. इसके पत्ते 15 से 30 सेमी तक लम्बे होते हैं, फूल सफेद रंग के होते हैं. जानकारी के मुताबिक रीठा के फल का खोयला प्रति किलो 250 रुपये के आसपास बिकता है. रीठा का पेड़ लगाने में ज्यादा मेहनत भी नहीं लगती. माना जाता है कि एक बार पेड़ लगाने पर 7 साल बाद रीठा का फल मिलना शुरू हो जाता है, जो समय के साथ बढ़ता ही जाता है.
रीठा लगाने का तरीका- बताया जाता है कि रीठा लगाना बहुत ही आसान होता है. इसकी नर्सरी तैयार करने के बाद जनवरी महीने में रोपण किया जा सकता है. एक बार पौधा पनप जाए तो उसके बाद सिंचाई की जरूरत भी नहीं होती. जो किसी भी तरह की उपयोगी भूमि पर उगाया जा सकता है. इसके फल और बीज का उपयोग किया जाता है. वहीं रीठा की खेती के लिए उद्यान विभाग की भेषज इकाई काश्तकारों को तकनीकी जानकारी और कृषिकरण की ट्रेनिंग देती है. रीठा का फल कच्ची अवस्था में रोमयुक्त, सूखने पर काले-भूरे रंग के सिकुड़नयुक्त होते हैं. इसके फल में सैपोनिन, शर्करा और पेक्टिन कफनाशक होता है. इसके बीज में 30% वसा होता है जिसका उपयोग साबुन और शैम्पू बनाने में होता है.
रीठा के फायदे- ये बालों के लिए बहुत फायदेमंद होता है बालों को झड़ने से रोकने और बालों को बढ़ाने आदि में काम आता है. रीठा का इस्तेमाल बालों के कलर, शैम्पू और कंडीशनर के रूप में होता है. रीठा के मैकाडामिया आकार के फल सूख जाते हैं. जिसे साबुन और डिटर्जेंट बनाने में उपयोग करते हैं. दमा के मरीज और नैचुरल इम्यूनिटी बूस्ट करने के लिए रीठा लाभकारी है. साथ ही माइग्रेन के लक्षणों को कम करने में भी रीठा असरदार है. दमा की बीमारी होने पर रीठा को पीस कर सुंघना चाहिए. रीठा के फल को पानी में पकाकर थोड़ी मात्रा में लेने से उल्टी द्वारा जहर बाहर निकल जाता है. फल की मज्जा को तम्बाकू की तरह हुक्के में रखकर पीने से बिच्छू का जहर खत्म हो जाता है.
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इसके अलावा रीठा कैंसर की रोकथाम में भी मददगार है, साथ ही रीठा कोलेस्ट्रॉल को कम करने का काम करता है और आंतों में मौजूद कीड़ों का भी इलाज करता है. इसलिए इसे कृमिनाशक के रूप में भी जाना जाता है. वहीं कफ की समस्या होने पर रीठा का उपयोग करना चाहिए.
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