
देश में गूलर के फूलों को लेकर कई रहस्यमयी बातें सामने आईं हैं कहा जाता है कि गूलर के फूल कभी जमीन पर नहीं गिरते ना ही आज तक फूलों को कोई देख पाया है वहीं मान्यता है कि गूलर के फूल कुबेर की संपदा है जो अक्सर रात में खिलते हैं और खिलते ही स्वर्गलोक चले जाते हैं, कुछ लोग ये भी मानते हैं कि गूलर का फूल होता ही नहीं है सिर्फ फल टहनियों पर गांठ की तरह लगते हैं.
हालांकि गूलर के पत्तों, जड़ और फल का इस्तेमाल आयुर्वेद में दवा के तौर पर होता है. यौन दुर्बलता दूर करने में इसके का नियमित सेवन गुणकारी है गूलर की छाल और पत्तों का उपयोग सूजन और दर्द की समस्या में होता है गूलर पुराने से पुराने घाव को भी ठीक कर देता है.
सूरज की रोशनी- जानकारी के मुताबिक गूलर का पेड़ सीधी धूप में सबसे अच्छा बढ़ता है इसलिए, बगीचे में एक जगह का चयन कर सुनिश्चित करें कि वहां हर दिन कम से कम 4-6 घंटे की सीधी धूप मिलेगी. गूलर का पेड़ छायादार जगह पर नहीं पनपेगा, और युवा अवस्था में तो बिल्कुल नहीं.
ऐसे लगाएं गूलर का पेड़- इसका पेड़ लगाना बहुत आसान होता है गुलर का पेड़ 2 विधि से लगा सकते हैं. गूलर का पेड़ फल से तैयार हो सकता है साथ ही गूलर के पेड़ को कलम से भी तैयार किया जा सकता है. कलम से पेड़ लगाने के लिए कलम को गूलर के पेड़ से काटना चाहिए फिर कलम की सारी पत्तियां तोड़ना होता है और कलम के निचले हिस्से में शार्प कटिंग करना होता है. अब कलम लगाने के लिए मिट्टी तैयार करिए. इसके लिए गोबर खाद और मिट्टी को अच्छी तरह मिला लें फिर उसे गमले में भर दें इसके बाद कलम को गमले में लगाएं और छांव वाली जगह में रख दें ध्यान रहे कि गमले को 4-6 घंटे की सीधी धूप मिले वहीं जब कलम से पौधा बन जाए तो इसे बगीचे में लगा दें. दूसरी विधि के मुताबिक बीज से भी पेड़ लगा सकते हैं हालांकि, इस तरह से पेड़ को पूरी ऊंचाई तक पहुंचने में समय ज्यादा लगेगा. समय बचाने के लिए नर्सरी से एक अच्छी तरह से विकसित गूलर का पौधा खरीद सकते हैं और इसे बगीचे में लगाना सबसे अच्छा माना जाता है.
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सिंचाई- गूलर के पेड़ को पानी देना कोई ऐसी चीज नहीं है जिसके बारे में आपको चिंता करने की जरूरत है. छोटे होने पर पौधे को 3-5 दिनों में एक बार पानी दें. गूलर के पेड़ काफी मजबूत होते हैं और 8-12 फीट लंबे होने के बाद उनकी पानी की जरूरतों का ख्याल रखेंगे.
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