भारत में यूकेलिप्टस की खेती का चलन इन दिनों खूब है. यूकेलिप्टस को सफेदा भी कहा जाता है और इसे नीलगिरी के नाम से भी जाना जाता है. इसकी खेती पहाड़ी और मैदानी दोनों क्षेत्रों में की जा सकती है. मौसम के मामले में भी यह पेड़ काफी उदार है यानी किसी भी प्रकार का मौसम हो इसकी खेती के लिए अनुकूल ही होता है.
दूसरे फलों और पौधों की खेती पर यूकेलिप्टस को मिल रही है प्राथमिकता
जानकारों के अनुसार एक हेक्टेयर क्षेत्र में सफेदा के 3000 पौधे लगाए जा सकते हैं. यूकेलिप्टस की अहमियत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि आम जामुन नाशपाती पर ऐसे ही दूसरे फलों की खेती करने के बजाय किसान भाई यूकेलिप्टस को ज्यादा महत्व दे रहे हैं क्योंकि इससे कम समय में अधिक मुनाफा कमाया जा सकता है.
क्यों ट्रेंडिंग है आजकल यूकेलिप्टस की खेती
दिन पर दिन नीलगिरी की खेती के बढ़ते चलन का कारण यह है कि इसकी लकड़ियां बहुत मजबूत होती है. यूकेलिप्टस की खेती में कम मेहनत में ज्यादा फसल प्राप्त की जा सकती है. इसे अधिक रखरखाव की भी जरूरत नहीं होती. यही कारण है कि अत्यंत कम समय में ज्यादा मुनाफा पाने के लिए आजकल इसकी खेती बहुतायत में की जाने लगी है.
पानी में खराब नहीं होती नीलगिरी की लकड़ी
नीलगिरी की लकड़ियों की खासियत यह है कि मजबूत होने के साथ-साथ यह पानी के प्रति अच्छा प्रतिरोध दिखाती है यानी पानी इन लकड़ियों को आसानी से खराब नहीं कर पाता. आजकल इन लकड़ियों का इस्तेमाल फर्नीचर, बोर्ड पार्टिकल्स और हार्ड बोर्ड बनाने में किया जाता है.
इसकी लकड़ियों का प्रयोग ईंधन के रूप में भी बहुत होता है. इसके पेड़ बहुत कम समय में विकसित हो जाते हैं 5 साल में पेड़ अच्छे खासे बड़े हो जाते हैं. इसके बाद इनकी कटाई कर किसानों द्वारा अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है.
खोलता है यूकेलिप्टस मुनाफे के द्वार
जानकारों के अनुसार नीलगिरी के एक पेड़ से 300 से 400 किलो लकड़ी प्राप्त होती है. बाजार में इसकी लकड़ी पांच से से सात रुपए प्रति किलो तक बिकती है. ऐसे में यदि हम एक हेक्टेयर में 3000 पेड़ लगाते हैं तो कम से कम 70 लाख आसानी से कमा सकते हैं.
एक समय था जब यूकेलिप्टस को कोई खास तवज्जो नहीं दी जाती थी और आज यह बेहद खास हो गया है. इसके जरिए न केवल किसान भाई अपने आमदनी बढ़ा सकते हैं बल्कि इसके साथ-साथ अपनी परंपरागत खेती को भी आराम से संभाल सकते हैं क्योंकि इसे किसी विशेष देखभाल की आवश्यकता नहीं होती.
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क्या रखें सावधानी
यों तो इसे किसी भी प्रकार की जमीन में उगा सकते हैं लेकिन यूकेलिप्टस की पानी सोखने की क्षमता बहुत ज्यादा होती है तो भूगर्भीय जल के लिए कुछ संकट उत्पन्न हो सकता है इसीलिए इसे सामान्य खेतों में लगाने के बजाय अपेक्षाकृत अधिक जल वाले क्षेत्रों में लगाने की सलाह दी जाती है जैसे नहरों या नदी वाले इलाकों में.
उम्मीद है किसान भाइयों को यूकेलिप्टस के बारे में यह जानकारी बहुत पसंद आई होगी. इसके जरिए वे अपना मुनाफा कई गुना बढ़ा सकते हैं.
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