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ड्रैगन फ्रूट की उन्नत खेती करने का आसान तरीका, जानें कैसे मिलेंगे इसके पौध?

नए प्रयास ही जीवन में सफलता के मुकाम तक ले जाती है, इसलिए जीवन में नए-नए प्रयोग करते रहना चाहिए. ठीक इसी तरह आजकल खेती-बाड़ी में नए-नए प्रयोग किए जा रहे हैं, जिससे कृषि क्षेत्र को एक अलग ही पहचान मिल रही है. इस विकास को और बेहतर बनाने के लिए ड्रैगन फ्रूट की खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है.

कंचन मौर्य
Dragon Fruit Cultivation
Dragon Fruit Cultivation

नए प्रयास ही जीवन में सफलता के मुकाम तक ले जाती है, इसलिए जीवन में नए-नए प्रयोग करते रहना चाहिए. ठीक इसी तरह आजकल खेती-बाड़ी में नए-नए प्रयोग किए जा रहे हैं, जिससे कृषि क्षेत्र को एक अलग ही पहचान मिल रही है. इस विकास को और बेहतर बनाने के लिए ड्रैगन फ्रूट की खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है. यह एक ऐसी फसल है, जो पारंपरिक खेती के मुकाबले लगभग 25 वर्षों तक आमदनी देती है. ड्रैगन फ्रूट का वैज्ञानिक नाम हाइलोसेरेसुंडाटस है, जो कि प्रमुख रूप से मलेशिया, थाईलैंड, फिलीपींस, संयुक्त राज्य अमेरिका और वियतनाम जैसे देशों में पैदा होता है. 

मौजूदा समय में भारत के विभिन्न राज्यों के किसानों में ड्रैगन फ्रूट की खेती के प्रति लोकप्रियता तेजी से बढ़ रही है. ऐसे में कृषि वैज्ञानिक लगातार ड्रैगन फ्रूट पर नए-नए शोध कर रहे हैं. इसी कड़ी में ड्रैगन फ्रूट की तीन किस्मों पर शोध हो रहा है. आपको इस संबंध में और अधिक जानकारी देंगे, लेकिन उससे पहले ड्रैगन फ्रूट से जुड़ी कुछ अहम जानकारी देते हैं.

ड्रैगन फ्रूट की तीन किस्मों पर चल रहा शोध (Ongoing research on three varieties of dragon fruit)

अधिक जानकारी के लिए बता दें कि डॉ. कलाम कृषि कॉलेज अर्राबाड़ी में ड्रैगन फ्रूट की तीन किस्मों पर शोध चल रहा है. इन किस्मों को ठाकुरगंज, असम और कोलकाता से मंगवाया गया है. इस शोध में जुटे कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि ड्रैगन फ्रूट की ये 3 किस्मों पर शोध कर फसल तैयार की जाएगी.

कहां-कहां पैदा होता है ड्रैगन फ्रूट (Where is Dragon Fruit Grown?)

भारत में ड्रैगन फ्रूट की खेती ज्यादातर कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, गुजरात, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में हो रही है. बता दें कि इस फल में कमल के समान स्पाइक्स और पंखुड़ियां होती हैं, इसलिए इसे कमलम (kamalam fruit) भी कहा जाता है.

ड्रैगन फ्रूट के गुण   (Properties of Dragon Fruit)

इस फ्रूट में फाइबर, विटामिन, खनिज और एंटीऑक्सीडेंट की अच्छी मात्रा पाई जाती है. इस खास बात यह है कि यह कोशिकाओं, शरीर की सूजन और पाचन तंत्र के लिए लाभकारी है.  

ड्रैगन फ्रूट की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु  (Suitable Climate for Dragon Fruit Cultivation)

खास बात यह है कि भारत में इस फल की खेती कहीं भी कर सकते हैं, लेकिन बस बर्फ और जल भराव वाली जगहों को छोड़कर. खेती के समय तापमान अधिकतम 50* सेन्टीग्रेड और न्यूनतम 10*C तक रहना चाहिए.

ड्रैगन फ्रूट की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी  (Suitable Soil for dragon Fruit Cultivation)

इसकी खेती के लिए सभी प्रकार की मिट्टी अनुकूल है. इसकी खेती में 7 से 8 पीएच मान वाली मिट्टी में उचित होती है.

ड्रैगन फ्रूट की किस्में  (Dragon Fruit Varieties)

इस फल की खेती (Dragon Fruit farming) कम पानी में आसानी से हो सकती है. इसे विभिन्न प्रकार की मिट्टी में उगाया जा सकता है. फिलहाल, ड्रैगन फ्रूट की 3 मुख्य किस्में हैं-

  1. सफेद पिताया (White Dragon Fruit)

  2. लाल पिताया (Red Dragon Fruit)

  3. पीला पिताया (Yellow Dragon Fruit)

ध्यान दें कि सबसे अधिक मांग और कीमत पीले ड्रैगन फल की है, जो काफी स्वादिष्ट और मिट्ठा होता है. भारत में लाल ड्रैगन फ्रूट का ज्यादा उत्पादन होता है, जो स्वाद मे मीठा होता है और इसकी कीमत कम होती है.

ड्रैगन फ्रूट के पौधे कहां मिलेंगे? (Where can I find Dragon Fruit Plants?)

किसान भाईयों को इसके पौधे 2 प्रकार से मिल सकते हैं.

बीज द्वारा तैयार पौध (Seedlings Prepared By Seed)- ध्यान दें कि बीज द्वारा तैयार पौधे के उगने से लेकर फल आने तक 6 से 7 साल लग जाते है, इसलिए किसान भाई बीज द्वारा पौध तैयार नहीं कर सकते हैं.

नर्सरी गराफ्टिंग पौध (Nursery Grafting Seedlings)- इस विधि में पौध नर्सरी द्वारा तैयार की जाती है, जिसमें 2 साल मे फल आना शुरू हो जाते हैं.

ड्रैगन फ्रूट के पौधे कैसे लगाएं? (How to Plant Dragon Fruit Plants?)

  • ड्रैगन फल के पौधे बिना किसी सहारे के आगे नहीं बढ़ सकते है, इसलिए खेतों मे किसानों को पोल लगाने पड़ते है.

  • पौधे से पौधे की बीच की दूरी 8 से 8 फिट रखनी है.

  • कतार से कतार की दूरी 12 से 12 रखनी है.

  • पोल की लंबाई 6 से 7 फिट होनी चाहिए. इन्हें भूमि में 1.5 से 2 फिट दबाना होगा.

  • एक पोल के चारों और 4 पौधे लगाएं और ऊपर की और दिशा में बांध दें.

  • ध्यान दें कि पोल पर पौधे की बेल नुमा तनों को रखने के लिए लकड़ी के 2*2 का चोकोर भाग रखा जाता है.

ड्रैगन फ्रूट की खेती के लिए खाद व उर्वरक (Fertilizers and Fertilizers for Dragon Fruit Cultivation)

जैविक खादों का ही प्रयोग कर सकते हैं. इससे उत्पादन और स्वाद अच्छा मिलता है. इसके साथ ही स्वादिष्ट ड्रैगन फ्रूट की कीमत भी अच्छी मिलती है.

ड्रैगन फ्रूट की कीमत (Dragon Fruit Price)

  • सफेद पिताया (100–200 (रुपए में/किलो)

  • लाल पिताया (रुपए में/किलो)

  • पीला पिताया (400-800 (रुपए में/किलो)

क्या कहते हैं कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक

ड्रैगन फ्रूट की और अधिक जानकारी के लिए कृषि जागरण ने कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक से बातचीत की. उन्होंने बताया कि किसानों के लिए ड्रैगन फ्रूट की खेती करना बहुत लाभकारी है. इसके एक पौधे से 20 से 25 किलोग्राम ड्रैगन फ्रूट का उत्पादन प्राप्त होता है. आज के समय में किसान इसकी खेती करके भी लाभ कमा रहे हैं, साथ ही इसकी पौध को 60 से 70 रुपए में बेचकर पैसा कमा रहे हैं. मगर इसकी खेती करने में किसानों के सामने एक बड़ी समस्या खड़ी होती है. दरअसल, इसकी खेती करने के लिए लगाए जाने वाले पोल में 4 से 5 लाख रुपए तक की लागत आती है, जिसका खर्च आम किसान के लिए उठाना मुमकिन नहीं है. ऐसे में बिहार सरकार चाहती है कि अगर किसान निकट के कृषि विज्ञान केंद्र में संपर्क करके सब्सिडी की मांग करेंगे, तो उनकी मांग के आधार पर पोल के लिए सब्सिडी प्रदान करने का पूरा प्रयास किया जाएगा.

डॉ. रंजन कुमार सिंह, वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं हेड

कृषि विज्ञान केंद्र, नवादा, बिहार

English Summary: easy way to do advanced farming of dragon fruit Published on: 11 August 2021, 03:43 PM IST

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