पिछले दो सालों से किसान सोयाबीन की अपेक्षित पैदावार नहीं ले पा रहे हैं. पिछले साल तो सोयाबीन की फसल देश के कई हिस्सों में पूरी तरह से चौपट हो गई. नतीजतन, इस वर्ष किसानों को सोयाबीन के बीज की कमी आ रही है. इन सबसे निपटने के लिए के लिए हाल ही में इंदौर स्थित सोयाबीन अनुसंधान संस्थान ने किसानों को कुछ जरूरी सलाह दी है. जिन्हें मानकर किसान सोयाबीन की अच्छी पैदावार ले सकते हैं. तो आइए जानते हैं संस्थान ने सोयाबीन की खेती के लिए किसानों को क्या जरूरी सलाह दी है-
जेएस 95-60 किस्म न बोएं (Do not sow variety JS 95-60)
सोयाबीन अनुसंधान संस्थान ने किसानों को सलाह दी है कि इस साल सोयाबीन की जेएस 95-60 किस्म न बोएं. इसकी जगह सोयाबीन की वैकल्पिक किस्मों की बुवाई करें. संस्थान की निदेशक डा. नीता खांडेकर ने कहा कि पिछले दो सालों से खराब मौसम के कारण सोयाबीन की अच्छी पैदावार नहीं हो पाई है. इस वजह से इस साल किसानों को सोयाबीन के बीज की कमी आ रही है. उन्होंने कहा कि जेएस 95-60 किस्म की गुणवत्ता में कमी के कारण इसकी जगह सोयाबीन की वैकल्पिक किस्मों की बुवाई करें.
बीज की सही मात्रा में करें बुवाई (Sow the right amount of seeds)
वहीं सोयाबीन की कमी से निपटने के लिए संस्थान ने कहा कि किसानों को बीज की बुवाई आई.आई.एस.आर. की अनुशंसा के अनुसार करना चाहिए. इससे काफी हद तक बीज की कमी को दूर किया जा सकता है. किसानों को 70 फीसदी अंकुरण के साथ प्रति हेक्टेयर 60 से 80 किलोग्राम बीज की बुवाई करना चाहिए. इससे अधिक बीज की बुवाई करने से किसानों को बचना चाहिए.
कीटों से निपटने के लिए करें ये उपाय (Take these measures to deal with pests)
संस्थान ने कहा कि विगत कुछ वर्षो से सोयाबीन की फसल में सफेद मक्खी, पीले मोजेक तथा अन्य कीटों का प्रकोप रहा है. जिससे सोयाबीन की फसल काफी प्रभावित रही है. इनसे निपटने के लिए वैज्ञानिक तरीकों को अपनाए. इसके लिए किसानों को उचित कीट प्रबंधन करना चाहिए. ताकि इनका प्रकोप कम से कम रहे. इन कीटों से निपटने के लिए प्रकाश प्रपंच, फेरोमोन ट्रैप जैसी तकनीक को अपनाए.
इन किस्मों की करें बुवाई (Sow these varieties)
सोयाबीन की जेएस 95-60 किस्म की जगह जेएस 20-29, जेएस-20-69 तथा जेएस 20-98 जैसी किस्मों की बुवाई करें. इन किस्मों की बुवाई करके फलियां पकते समय बारिश के कारण होने वाले नुकसान से बचा जा सकता है.
बीज उपचारित करके बुवाई करें (sowing by seed treatment)
वहीं विभिन्न कीटों और वायरस के प्रकोप से फसल को बचाने के लिए बुवाई से पहले बीजों को कीटनाशक, फफूंदनाशक और जैविक कल्चर से अच्छी तरह उपचारित करें. फफूंदनाशक से बचाव के लिए इमिडाक्लोप्रिड की 1.25 मि.ली. मात्रा लेकर प्रति किलोग्राम बीज उपचारित किया जाना चाहिए.
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