रबी सीजन की शुरूआत होने ही वाली है. ऐसे में देश के कई किसान अपने खेत को तैयार करने में जुट गए हैं, तो कई किसान खरीफ फसल की कटाई कर रहें हैं. गेहूं भारत की मुख्य फसल में से एक है, जो कि रबी सीजन में उगाई जाती है. भारत में सबसे अधिक उत्पादन गेहूं का किया जाता है.
किसान अब रबी सीजन के लिए खाद बीज का इंतजाम कर रहे हैं. ताकि वह इस सीजन पहले की तुलना में अच्छा उत्पादन कर सकें. ऐसे में किसानों को गेहूं की उन्नत किस्मों की जानकारी होनी आवश्यक है, जिससे उनके उत्पादन में वृद्धि हो सके. आज इसी कड़ी में कृषि जागरण गेहूं की उन्नत किस्म DBW222 करण नरेंद्र के बारे में बता रहा है, जो कि 143 दिनों में तैयार हो जाती है.
गेहूं की किस्म: करन नरेंद्र DBW 222
DBW222 करन नरेंद्र गेहूं की एक बेहतरीन किस्म है. यह आईसीएआर (ICAR) करनाल द्वारा विकसित एक मुख्य किस्म है. यह मुख्यत: उत्तर भारत के राज्यों में उगाई जाती है. जो कि एक अच्छी उपज के साथ बंपर उत्पादन देती है.
इन राज्यों में ऊगाई जाती है करन नरेंद्र DBW 222
गेहूं की DBW222 करन नरेंद्र किस्म की बुवाई 5 नवंबर से 25 नवंबर के बीच की जाती है. यह पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान (कोटा और उदयपुर डिवीजनों को छोड़कर), पश्चिमी यूपी (झांसी डिवीजन को छोड़कर), जम्मू कश्मीर के कुछ हिस्सों, हिमाचल प्रदेश (ऊना जिला और पांवटा घाटी) और उत्तराखंड (तराई क्षेत्र) के कुछ हिस्सों में की जाती है.
करन नरेंद्र DBW 222 की उपज
करन नरेंद्र DBW222 की औसत उपज क्षमता 61.3 क्विंटल/हेक्टेयर है. इसके साथ ही इसकी संभावित उपज 82.1 क्विंटल /हेक्टेयर है.
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करन नरेंद्र DBW 222 में 90 दिनों में आती है बालियां
करन नरेंद्र DBW 222 पौधे की ऊंचाई 103 से.मी होती है. बुवाई के लगभग 95 दिनों के बाद इसमें बालियां आनी शुरू हो जाती हैं और लगभग बुवाई के 143 दिन (सीमा: 139-150 दिन) के बाद यह परिपक्व हो जाती है, जो कि कटाई के लिए तैयार हो जाती है. करन नरेंद्र DBW 222 गेहूं की खास बात यह है कि इसका तना बहुत मजबूत होता है, जो कि तेज हवा में गेहूं को गिरने से बचाता है. इसके अलावा यह पट्टी और पत्ती जंग के लिए प्रतिरोधी है. इसके साथ करनाल बंट (9.1%) और लूज स्मट (4.9%) के लिए अत्यधिक प्रतिरोधी है.
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