आज के युवा सामान्य खेती में रूचि नहीं रखते हैं लेकिन हमारे देश के ग्रामीण युवाओं को ग्रीनहाउस जैसी खेती की नवीनतम तकनीक की ओर आकर्षित करना संभव है. इन दिनों मुख्य सीजन आने से पहले उच्च गुणवत्ता वाली सब्जियों की मांग बढ़ रही है
और इन मांगों को पूरा करने के लिए हमारे सब्जी उत्पादकों के लिए ऐसी संरक्षित सब्जी उत्पादन तकनीक को अपनाना आवश्यक है. ग्रीनहाउस तकनीक द्वारा सब्जियों का कम लागत में ज्यादा उत्पादन करना संभव है. इस लेख में, हम आपको विस्तार से बताएंगे कि ग्रीनहाउस में बेमौसम टमाटर की खेती कैसे की जाती है.
लागत और सिंचाई प्रणाली
स्वाभाविक रूप से वायुसंवाहित, शून्य-ऊर्जा ग्रीनहाउस के मुख्य प्रकारों में से एक है. इस ग्रीनहाउस को बनाने के लिए लगभग 700 से 1000 रुपये प्रति वर्ग मीटर की लागत आती है. ग्रीनहाउस सिस्टम के लिए कम दाब सिंचाई प्रणाली जिसमें 1000 लीटर पानी की टंकी को 1.5 से 2.0 मीटर ऊँचे प्लेटफार्म पर रखा जाता है और यह 1000 वर्ग मीटर क्षेत्रफल वाले ग्रीनहाउस की सिंचाई व फर्टीगेशन के लिये पूर्णतया सक्षम है.
उपयुक्त किस्में (Suitable Varieties)
टमाटर का वजन जिसे आप ग्रीनहाउस के लिए चुन रहे हैं, 100 से 120 ग्राम के बीच होना चाहिए.
कुछ उपयुक्त किस्में DARL-303, लक्ष्मी, पूसा दिव्या, अबिमन, अर्का सौरभ, पंत बहार, अर्का रक्षक हैं. पूसा चेरी टमाटर- 1 चेरी टमाटर की विभिन्न किस्मों में एक प्रमुख किस्म है.
जलवायु की आवश्यकता (Climate Requirements)
टमाटर के फल को स्थापित करने का मुख्य हिस्सा रात का तापमान है जोकि 16-22 डिग्री सेल्सियस के बीच होनी चाहिए और तापमान 12 डिग्री सेल्सियस से कम नहीं होना चाहिए.
ग्रीनहाउस में टमाटर को 10-12 महीनों की लंबी अवधि के लिए उगाया जा सकता है.
पौध रोपण (Plantation)
पौध रोपण से पहले यह सुनिश्चित कर लें. पौधे पूरी तरह से वायरस मुक्त और स्वस्थ हो और फिर पौधे को ग्रीनहाउस में टमाटर उत्पादन के लिए संरक्षित क्षेत्रों में उगाए. यह बुवाई के 25 से 30 दिनों के भीतर रोपाई के लिए तैयार हो जाते है और इसकी रोपाई मुख्य रूप से सुबह या शाम को की जाती है. आप 1000 वर्ग मीटर के ग्रीनहाउस में लगभग 2400 से 2600 पौधे लगा सकते हैं और क्यारियां को हमेशा जमीन से 15 से 20 सेमी ऊपर उठाया जाता है.
कटाई-छंटाई
रोपाई के 20 से 25 दिनों के बाद पौधों को लगभग 8 फीट की ऊंचाई पर ओवरहेड तारों से बंधी रस्सियों से लपेटा जाता है जो कि बेड की क्यारियां के समानांतर होती हैं. इसे प्रूनिंग (मृत या अतिवृद्धि शाखाओं को काटकर ट्रिमिंग) की प्रक्रिया द्वारा हटा दिया जाता है और यह प्रक्रिया लगभग 15 से 25 दिनों के अंतराल पर लगातार की जाती है.
सिंचाई व उर्वरक प्रक्रिया
आमतौर पर फसल को खाद, उर्वरक व पानी देना भूमि के प्रकार, मौसम एवं फसल की अवस्था पर निर्भर करता है. इसलिए फसल को लगातार 1 अंतराल पर ही पानी दिया जाना चाहिए और इसके साथ ही पूर्णतया पानी में घुलनशील उर्वरकों का घोल जो आमतौर पर नत्रजन (Nitrogen), फास्फोरस (Phosphorus) तथा पोटाश (Potash) को 5:3:5 अनुपात में मिलाकर विभिन्न अवस्थाओं पर विभिन्न मात्रा में दिया जाता है. रोपाई से फूल आने तक 4.0 से 5.0 घन मीटर पानी प्रति 1 हजार वर्ग मीटर क्षेत्र में एक बार में दिया जाता है.
फलों की पैदावार
आप 9 से 10 महीने की अवधि की फसल से प्रति वर्ग 10-15 टन तक उपज प्राप्त कर सकते है, जबकि चेरी टमाटर की उपज 2 से 3 टन प्रति 1000 वर्ग मीटर है.
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