जो किसान पारंपरिक खेती से हटकर कुछ नया करना चाहते हैं वे जरबेरा फूल की खेती करके बेहतर मुनाफा कमा सकते हैं. बता दें कि आमतौर पर हमारे देश में अधिकांश लघु और सीमान्त किसान सालों से परंपरागत खेती पर निर्भर है. लेकिन यदि अच्छी आमदानी करनी है तो फूलों की संरक्षित खेती काफी फायदेमंद हो सकती है. तो आइए जानते हैं पॉलीहाउस में जरबेरा फूल की खेती कैसे करें…
बाजार में फूलों की इन प्रजातियों की मांग
पॉलीहाउस में विदेशी फूलों की संरक्षित खेती करके अच्छी कमाई की जा सकती है. इन फूलों की बाजार में हमेशा मांग बनी रहती है. पॉलीहाउस में फूलों की खेती करने का सबसे बड़ा फायदा यह होता है कि बे-मौसमी फूलों को भी आसानी उगाया जा सकता है. जिसके कारण आप बाजार की मांग की पूर्ति करके अच्छी कमाई कर सकते हैं. बाजार में ऑर्किड, गुलाब, एंथुरियम, जरबेरा, ग्लेडियोलस और गुलदाउदी फूलों की हमेशा मांग बनी रहती है.
कैसे करें जरबेरा की पॉलीहाउस में खेती
जरबेरा आकर्षक रंगों में होने कारण साज-सज्जा में काफी उपयोगी होता है. यह मूलतः अफ्रीका देश का फूल है. इस फूल का उत्पादन सालभर किया जा सकता है. इस वजह से यह व्यावसायिक दृष्टि से अच्छी आय दे सकता है. जरबेरा लम्बे डंठल में पंखुड़ियों वाला बेहद मनमोहक फूल होता है. यह लाल, सफ़ेद, पीले, नारंगी आदि रंगों में पाया जाता है. इसका फूल फूलदान में कई दिनों तक तरोताज़ा बना रहता है. गुलदस्ते और स्टेज की सजावट में यह फूल काफी उपयोगी होता है.
जरबेरा की प्रमुख किस्में
जरबेरा की प्रमुख उन्नत किस्में लारा, डेल्फिन, संटल, ओलम्पिया, नवादा और कोरमारॉन है.
जलवायु और मिट्टी
जरबेरा फूल को पॉलीहाउस में सफलतापूर्वक उगाया जा सकता है. इसके लिए दिन का तापमान 22 से 25 डिग्री सेल्सियस और रात का तापमान 12 से 16 डिग्री सेल्सियस होना चाहिए. इसके खेती के लिए अच्छी जलनिकासी वाली हल्की क्षारीय और उपजाऊ मिट्टी उपयुक्त होती है.
मिट्टी की तैयारी
सबसे पहले पॉलीहाउस के अंदर मिट्टी को अच्छी तरह भुरभुरा कर लेना चाहिए. इसके बाद एक मीटर चौड़ी और 30 सेंटीमीटर उठी हुई बेड तैयार करना चाहिए. अब दो भाग में रेत, एक भाग में नारियल या धान का भूसा और एक भाग में गोबर खाद या वर्मीकम्पोस्ट लेकर मिश्रण बना लें और उसे बेड पर डालें.
सिंचाई
बता दें कि जरबेरा के पौधों में रोज़ाना सिंचाई करनाआवश्यक होता है.
पौधों को लगाने की विधि
तैयार की गई बेड पर जरबेरा के पौधों को पंक्ति से पंक्ति दूरी 30-40 सेंटीमीटर और पौधे से पौधे की दूरी 30 सेंटीमीटर पर रोपना चाहिए.
खाद एवं उर्वरक
अधिक पैदावार के लिए जरबेरा के पौधों में रोपाई के पहले तीन महीने हर दो दिन में एनपीके खाद प्रति पौधे 1.5 ग्राम प्रति लीटर की दर से देना चाहिए. वहीं पौधारोपण से पहले गोबर खाद 10 किलो प्रति वर्ग मीटर की दर से डालना चाहिए. रोपण के बाद तीन माह के लिए एनपीके 10 ग्राम, 15 ग्राम और 20 ग्राम प्रति वर्ग मीटर के हिसाब से देना चाहिए. जब फूल आना शुरू हो जाए तब एनपीके 15: 10: 30 प्रति वर्ग मीटर की दर से तीन महीनो के लिए 15 दिन के अंतराल पर देना चाहिए. इसके अलावा 1.5 प्रति लीटर के हिसाब से कैल्शियम, बोरॉन, मैग्नेशियम और कॉपर जैसे सूक्ष्म पोषक तत्वों के मिश्रण का छिड़काव करें.
इन बातों को विशेष ध्यान दें
- नई पत्तियों की वृद्धि के लिए समय समय पर पुरानी पत्तियों को हटा देना चाहिए.
- पौधों के अच्छी वृद्धि के लिए रोपण के दो माह तक कलियों को तोड़ते रहना चाहिए और उसके बाद फूल आने दें.
- समय समय पर खरपतवार हटा देना चाहिए और 15 के अंतराल पर बेड की गुड़ाई करें.
फूलों की तुड़ाई
पौधा रोपण के तीन महीने बाद जरबेरा में फूल आना शुरू हो जाता है. जब दो तीन बाहरी पंखुड़ियों की लाइन डंठल के लंबवत हो जाए तब फूल की तुड़ाई करना चाहिए. फूलों की तुड़ाई सुबह या शाम में करना चाहिए. हर साल प्रति वर्गमीटर से 200 से 250 फूलों का उत्पादन होता है. एक बार रोपाई के बाद पौधों से 24 से 30 महीनों तक पौधों से उत्पादन लिया जा सकता है. एक हजार वर्ग मीटर में जरबेरा की खेती करने में 3 लाख 41 हजार रुपये की कुल लागत आती है. वहीं आमदानी लगभग 9 लाख 50 हजार रुपये होती है. वहीं दूसरे वर्ष जरबेरा की खेती करने में 1 लाख 39 हजार रुपये की लागत आती है जबकि कमाई पहले साल जैसी 9 लाख 50 रूपये आती है. वहीं तीसरे वर्ष कमाई 9 लाख 50 हजार होती है लेकिन लागत घटकर 1 लाख रुपये रह जाती है.
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