देश के किसानों को अधिक लाभ पहुंचाने के लिए केंद्रीय मृदा एवं लवणता अनुसंधान संस्थान (CSSRI) ने सरसों की 3 नई बेहतरीन किस्मों को विकसित किया है. सरसों की इन तीनों उन्नत किस्मों से किसानों को अधिक उपज मिलेगी. वहीं सरसों की इन तीनों किस्मों की खेती सोडिक यानी क्षारीय भूमि में भी आसानी से हो सकेगी. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, वैज्ञानिकों के द्वारा तैयार की गई सरसों की तीनों किस्में किसानों के हाथों में साल 2024 तक होंगी. जिन सरसों की किस्म की हम बात कर रहे हैं, उनका नाम सीएस-61, सीएस-62 और सीएस-64 हैं.
मालूम हो कि इन किस्मों से पहले भी कृषि वैज्ञानिकों के द्वारा सरसों की कुछ लवण सहनशील किस्में सीएस-56, सीएस-58 और सीएस-60 किस्में विकसित की जा चुकी हैं, जो अब किसानों के हाथों में सौंपी जा रही है. वहीं सरसों के यह बीज कृषि विभागों व बीज संस्थानों के द्वारा वितरण किए जा रहे हैं.
सरसों की नई उन्नत किस्मों की खेती
केंद्रीय मृदा एवं लवणता अनुसंधान संस्थान में तैयार की गईं सरसों की उन्नत किस्में सीएस-61, सीएस-62 और सीएस-64 वैसे तो हर एक क्षेत्र में अच्छी पैदावार देंगी. लेकिन हरियाणा, पंजाब, जम्मू, कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तर प्रदेश के इलाकों में अधिक पैदावार देंगी. इन तीनों किस्मों से किसान के खेतों में सरसों की फसल अच्छे से लहलहाएगी. इसके अलावा बाजार में भी इसका बढ़िया भाव मिलेगा.
सरसों की इन उन्नत किस्मों की विशेषताएं
सरसों की इन तीनों उन्नत किस्मों की खेती उन इलाकों को लिए वरदान साबित होंगी. जहां की मिट्टी में सरसों की खेती नहीं होती है. सरसों की सीएस-61, सीएस-62 और सीएस-64 किस्म को इसलिए विकसित किया गया है. जहां अभी तक सरसों की पैदावार नहीं होती है. वहां के किसान भी इन किस्मों की मदद से सरसों की फसल का लाभ प्राप्त कर सके.
वहीं सरसों की ये तीनों नई किस्में प्रति हेक्टेयर लगभग 27 से 29 क्विंटल तक पैदावार देंगी और वहीं सोडिक यानी की क्षारीक भूमि में यह किस्म प्रति हेक्टेयर 21 से 23 क्विंटल उपज देगी. इसके अलावा सरसों की इन किस्मों में तेल की मात्रा करीब 41 प्रतिशत तक होगी.
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सरसों की खेती किन क्षेत्रों में नहीं होती
देश के कई राज्यों में सरसों की खेती नहीं होती है. जैसे कि हरियाणा और पंजाब के कुछ क्षेत्रों में सरसों की पैदावार नहीं होती है. इसके अलावा उत्तर प्रदेश के इटावा, हरदोई, प्रतापगढ़, कौशांबी, लखनऊ और कानपुर आदि कई क्षेत्रों में सरसों की खेती नहीं की जाती है. वैज्ञानिकों द्वारा तैयार की गई सरसों की इन तीनों किस्मों से अब इन क्षेत्रों में भी सरसों की फसल लहराएगी.
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