मानसून का सीजन कद्दू की खेती के लिए बेहतरीन माना जाता है. इस सीजन आप कद्दू की खेती कर मोटा मुनाफा कमा सकते हैं. जिसे आप एक छोटे से गार्डन से लेकर घरों की छत व बालकनी में उगा सकते हैं. यह भारत में एक लोकप्रिय सब्जी फसल है जो बारिश के मौसम में उगाई जाती है. इसे हिंदी में "हलवा कद्दू" या "कद्दू" और “सीताफल” के रूप में भी जाना जाता है और यह कुकुरबिटेसी परिवार से संबंधित है.
भारत कद्दू का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है. इसको खाना के लिए उपयोग में लाया जाता है और मिठाई बनाने के लिए भी उपयोग किया जाता है. यह विटामिन ए और पोटेशियम का एक अच्छा स्रोत है. कद्दू आंखों की रोशनी बढ़ाने में मदद करता है, रक्तचाप को कम करता है और इसमें एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं. इसकी पत्तियों, युवा तनों, फलों के रस और फूलों में औषधीय गुण होते हैं. आज हम आपको बताएंगे की कैसे कद्दू की खेती से अच्छी कमाई कर सकते हैं.
मिट्टी का चयन
कद्दू की खेती के लिए अच्छी जल निकासी प्रणाली वाली दोमट मिट्टी की आवश्यकता होती है और यह कार्बनिक पदार्थों से भरपूर होती है. कद्दू की खेती के लिए मिट्टी का पीएच 6-7 इष्टतम है.
कद्दू की उन्नत किस्में
देखा जाए तो कद्दू की बहुत सारी उन्नत किस्में मौजूद हैं लेकिन कुछ ऐसी किस्में हैं, जो किसानों के बीच सबसे अधिक लोकप्रिय है जिनमें अर्का चन्दन, अर्का सुर्यामुखी, पम्पकिन-1, नरेन्द्र अमृत, अम्बली, पूसा विशवास, पूसा विकास, कल्यानपुर, सीएस 14, सीओ 1 और 2 आदि शामिल है. इसके अलावा गोल्डन हब्बर्ड, गोल्डन कस्टर्ड, यलो स्टेट नेक, पैटीपान, ग्रीन हब्बर्ड की यह विदेशी किस्में किसानों के बीच बहुत लोकप्रिय है. इनकी फसल से किसानों को अत्याधिक लाभ प्राप्त होता है.
फसल के लिए कैसे करें तैयारी
कद्दू की खेती के लिए अच्छी तरह से तैयार भूमि की आवश्यकता होती है. मिट्टी को अच्छी तरह से जोतने के लिए स्थानीय ट्रैक्टर से जुताई की आवश्यकता होती है. बीज बोने के लिए फरवरी-मार्च और जून-जुलाई व अगस्त का शुरूआती समय उपयुक्त होता है.
प्रति सहारे पर दो बीज बोएं और 60 सेमी की दूरी का उपयोग करें. संकर किस्मों के लिए क्यारी के दोनों ओर बीज बोयें और 45 सैं.मी. का अंतर रखें तथा बीज को 1 इंच गहरी मिट्टी में बोये. बुवाई की विधि सीधी रखें. एक एकड़ भूमि के लिए 1 किलो बीज की दर पर्याप्त होती है.
खाद व उर्वरक
कद्दू की फसल के लिए आप आर्गेनिक खाद अच्छी तरह सड़ी हुए गोबर को 8-10 टन प्रति एकड़ की दर से क्यारियों को तैयार करने से पहले प्रयोग करें.
खरपतवार नियंत्रण
खरपतवारों को नियंत्रित करने के लिए बार-बार निराई-गुड़ाई या अर्थिंग अप ऑपरेशन की आवश्यकता होती है. निराई कुदाल या हाथों से की जाती है. पहली निराई बीज बोने के 2-3 सप्ताह बाद की जाती है. खेत को खरपतवार मुक्त बनाने के लिए कुल 3-4 निराई की आवश्यकता होती है.
सिंचाई
समय के उचित अंतराल पर उचित सिंचाई की आवश्यकता होती है. बीज बोने के तुरंत बाद सिंचाई की आवश्यकता होती है. मौसम के आधार पर, 6-7 दिनों के अंतराल पर बाद में सिंचाई की आवश्यकता होती है. कुल 8-10 सिंचाई की आवश्यकता होती है.
कद्दू पौध संरक्षण
फसल के उभरने के बाद जरूरी है कि कैसे फसल को कीट से संरक्षित करके नियंत्रण कैसे पाएं.
एफिड्स और थ्रिप्स: ये पत्तियों से रस चूसते हैं जिसके परिणामस्वरूप पत्तियां पीली पड़ जाती हैं और गिर जाती हैं. थ्रिप्स के परिणामस्वरूप पत्तियां मुड़ जाती हैं, पत्तियां कप के आकार की हो जाती हैं या ऊपर की ओर मुड़ी हुई हो जाती हैं. यदि खेत में इसका हमला दिखे तो इसके नियंत्रण के लिए थायमैथॉक्सम 5 ग्राम को 15 लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें.
कद्दू मक्खियाँ: इनके कारण फलों पर भूरे रंग के धब्बे पड़ जाते हैं और फल पर सफेद कीड़े पड़ जाते हैं. फल मक्खी के कीट से फसल को ठीक करने के लिए नीम के तेल को 3.0% की दर से पत्तियों पर लगाने की सलाह दी जाती है.
कद्दू में रोग और उनका नियंत्रण
ख़स्ता फफूंदी: संक्रमित पौधे के मुख्य तने पर भी पत्तियों की ऊपरी सतह पर धब्बेदार, सफेद चूर्ण का विकास दिखाई देता है. यह पौधे को खाद्य स्रोत के रूप में उपयोग करके परजीवी बनाता है. गंभीर प्रकोप में इसके पत्ते गिर जाते हैं और फल समय से पहले पक जाते हैं. यदि इसका हमला दिखे तो पानी में घुलनशील सल्फर 20 ग्राम/10 लीटर पानी में 2-3 बार 10 दिनों के अंतराल पर स्प्रे करें.
डूबा हुआ फफूंदी: स्यूडोपर्नोस्पोरा क्यूबेंसिस के कारण लक्षण धब्बेदार होते हैं और पत्तियों की निचली सतह पर बैंगनी रंग के धब्बे दिखाई देते हैं. यदि इसका हमला दिखे तो इस रोग से छुटकारा पाने के लिए 400 ग्राम डाइथेन एम-45 या डाइथेन जेड-78 का प्रयोग करें.
एन्थ्रेक्नोज: एन्थ्रेक्नोज एफेक टेड पत्ते झुलसे हुए दिखाई देते हैं. निवारक उपाय के रूप में, बीज को कार्बेन्डाजिम 2 ग्राम प्रति किलो बीज से उपचारित करें. यदि खेत में इसका हमला दिखे तो मैनकोजेब 2 ग्राम या कार्बेन्डाजिम 3 ग्राम को प्रति लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें.
तुड़ाई
तुड़ाई मुख्य रूप से तब की जाती है जब फलों की त्वचा का रंग हल्का भूरा हो जाता है और भीतरी रंग सुनहरा पीला हो जाता है. अच्छी भंडारण क्षमता वाले पके हुए कद्दू का उपयोग लंबी दूरी के परिवहन के लिए किया जा सकता है. बिक्री के उद्देश्य से अपरिपक्व फलों की कटाई भी की जाती है.
बीज उत्पादन
कद्दू की अन्य किस्मों से नींव के लिए 1000 मीटर और प्रमाणित बीज उत्पादन के लिए 500 मीटर की दूरी रखें. रोगग्रस्त पौधों को खेत से हटा दें. जब फल पक जाते हैं यानि वे अपना रंग बदलकर सुस्त कर लेते हैं. फिर उन्हें ताजे पानी में हाथों से कुचल दिया जाता है और फिर बीजों को गूदे से अलग कर दिया जाता है. जो बीज तल में बसे होते हैं उन्हें बीज प्रयोजन के लिए एकत्र किया जाता है.
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