हमारे देश में लहसुन की खेती (Lehsun Ki Kheti) ज्यादातर राज्यों में की जाती है, लेकिन मुख्य रूप से खेती उत्तर प्रदेश, गुजरात, मध्यप्रदेश, राजस्थान और तमिलनाडु में होती है. यह एक मसाले वाली फसल है, जिसका प्रयोग खाने के साथ-साथ कई तरह की समस्याओं को दूर करने में किया जाता है. यह समय किसानों के लिए लहसुन की खेती (Lehsun Ki Kheti) करने के लिए बिल्कुल उपयुक्त है.
दरअसल, इसकी खेती के लिए न अधिक गर्मी का मौसम होना चाहिए और न ही अधिक ठंड का. ऐसे में अक्टूबर का महीना लहसुन की खेती (Lehsun Ki Kheti) के लिए उपयुक्त रहता है. अगर छत्तीसगढ़ के किसान लहसुन की खेती कर रहे हैं, तो फसल से अच्छा उत्पादन प्राप्त करने के लिए उन्नत किस्मों की बुवाई करें. आइए आप हम उन्हें लहसुन की एक ऐसी किस्म की जानकारी देते हैं, जो कि फसल का अच्छा उत्पादन दिलाने में मदद करेगी. इस किस्म को 'छत्तीसगढ़ लहसुन-1' के नाम से जाना जाता है. इस किस्म को इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर के वैज्ञानिकों ने 10 साल की कड़ी मेहनत के बाद विकसित किया है.
'छत्तीसगढ़ लहसुन-1' किस्म
छत्तीसगढ़ को धान का कटोरा के नाम से जाना जाता है, लेकिन अब छत्तीसगढ़ ने लहसुन की नई किस्म से दोहरी पहचान बना रखी है. 'छत्तीसगढ़ लहसुन-1' किस्म का न केवल आकार बड़ा होता है, बल्कि इसकी पैदावार भी सामान्य लहसुन से ज्यादा मिलती है. बता दें कि छत्तीसगढ़ की जलवायु लहसुन के अनुकूल नहीं है, इसलिए किसानों को खेती में अच्छा लाभ नहीं मिलता था. ऐसे में लहसुन की खेती (Lehsun Ki Kheti) को बढ़ावा देने के लिए लगभग 10 साल पहले लहसुन की नई किस्म पर शोध शुरू किया गया था. इसके बाद लहसुन की नई किस्म तैयार की गई, जिसको 'छत्तीसगढ़ लहसुन-1' का नाम दिया गया था. बता दें कि छत्तीसगढ़ राज्य उपसमिति से इस नई किस्म को स्वीकृति भी मिल गई है.
'छत्तीसगढ़ लहसुन-1' से पैदावार
लहसुन की प्रचलित किस्मों से जहां एक हेक्टेयर में 40 से 50 क्विंटल पैदावार मिलती है, तो वहीं इस नई किस्म से लगभग 80 से 95 क्विंटल पैदावार प्राप्त होती है. इस नई किस्म की गांठ का साइज 4.30 सेमी होता है, जबकि अन्य किस्मों का लहसुन ज्यादा से ज्यादा 4.0 सेमी व्यास का होता है.
'छत्तीसगढ़ लहसुन-1' किस्म की खासियत
लहसुन की इस नई किस्म में वसा, प्रोटीन, खनिज, विटामिन ए, बी, सी और सल्फ्यूरिक एसिड विशेष मात्रा में पाया जाता है. इसके अलावा सैपोनिन, फ्लैवोनाइट, ऐलीसिन भी होता है. इस किस्म के लहसुन को एक अच्छा बैक्टीरिया-रोधक, फफूंद-रोधक और एंटी-ऑक्सीडेंट माना जाता है.
जानकारी के लिए बता दें कि रिसर्च टीम ने 7 साल इथाइल, मीथेन, संफोनेट रासायन का लहसुन के पौधों पर प्रयोग किया. इससे पौधे डीएनए में बदले गए हैं. इन पौधों को लगभग 5 साल तक इस प्रक्रिया के जरिए परखा गया. इसके बाद लहसुन की नई किस्म को विकसित किया गया है. इस किस्म को खरीदने के लिए किसान इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर से संपर्क कर सकते हैं.
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