देश के किसान आज नई -नई तकनीकों का प्रयोग करके कई तरह से खेती करने का कार्य कर रहे हैं. हर राज्य में किसान कुछ न कुछ नया करके खेती में नये नये प्रयोग कर रहे हैं, जो काफी ज्यादा सफल साबित हो रहे है. मध्य प्रदेश में भी किसानों ने कृषि के क्षेत्र में नये आयामों को छुआ है इसीलिए यहां के रियावल में किसान अरविंद धाकड़ पिछले तीन सालों से हाइड्रोपोनिक विधि से खेती करके 5 हजार वर्गफीट में किसानी का कार्य कर रहे हैं. इस विधि में बिना मिट्टी के ही खेती आसानी से हो जाती है और टमाटर, शिमला मिर्च, फूल, हरी गोभी, सलाद की कई प्रजातियों के पौधों और फल-सब्जियों की आसानी से खेती की जा सकती है. दरअसल किसान ने बताय़ा कि इजरायल ट्रेनिंग में हाइड्रोपोनिक की खेती करने की पूरी जानकारी मिली है. उन्होंने गांवो में लौटाने के बाद ही इस तरह की तकनीक को खेती में इस्तेमाल किया है. चूंकि इजरायल की खेती पूरी दुनिया में मशहूर है इसीलिए हमारे यहां वहां जैसे उपकरण मिलना मुशकिल होता है इसीलिए किसान जुगाड़ करके खेती कर रहे है.
ऐसे होती है खेती
इस तरह की तकनीक में पीवीसी पाइप के जरिए खेती की जाती है. जो पाइप खेती में उपयोग किए जाते है उन्हें लेकर उनमें से तय दूरी पर छेद को बना कर उनको वर्चिकल विधि से एक के ऊपर एक करके फिक्स करें और उसके बाद स्ट्रॉबेरी के पौधे को लगाएं. इसके साथ उन्होंने कुछ जगह पर टमाटर और पालक के पौधे भी लगाकर खेती को करने की शुरूआत की है. दरअसल किसानों को बिना मिट्टी की खेती के लिए किसान को किसी भी लंबे और चौड़े खेत या फिर ज्यादा पानी की जरूरत नहीं होती है. किसान केवल दो या तीन दिन के सरल प्रशिक्षण और 50 हजार रूपये की लागत से हर महीने 20 हजार से अधिक की कमाई को कमाने का कार्य कर सकते है.
पौधों को देते हैं न्यूट्रिन
पौधों का संपूर्ण और सही रूप से विकास होना बेहद जरूरी है. इसीलिए किसान पौधों के विकास के लिए आवश्यक न्यूट्रिन पौधे की अलग व्यवस्था के अनुसार बदल-बदलकर पानी में घोल दिए जाते है. इसके अलावा पौधों में पानी का तेजी से सर्कुलेशन करने का कार्य भी किया जाता है जिससे पानी की मात्रा पौधों में सही रूप से पहुंचती रहे. न्यूट्रिन को घुमाने के लिए पूरे 12 वॉल्ट के मोटर पंपों का इस्तेमाल किया जाता है. साथ ही पंप को चलाने के लिए छोटी सोलर पंप और मोटर को उपयोग किया गया है. जैसे ही प्लेट पर सूर्य की रोशनी आती है वैसे ही यह मोटर चालू हो जाती है और पूरे दिन पानी का सर्कुलेशन ठीक रहता है. इस तकनीक के सहारे पौधों को फायदा होता है और न्यूट्रिन मिलते रहते है इस तरह करने से फालतू खरपतवार की समस्या पैदा नहीं होती है और खेती ठीक तरह से होती है.
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