एपल बेर दिखने में कच्चे सेब जैसा होता है. इस बेर में खास बात ये है कि इससे बेर और सेब दोनों का मिलाझुला स्वाद आता है. उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिला के फ़िरोसापुर के अरविन्द कुमार इसकी सफल खेती करके अच्छी कमाई कर रहे हैं. सामान्य बेर की तुलना में इसके तीन से चार गुना दाम मिलते हैं. वहीं इसकी पैदावार भी काफी ज्यादा होती है. बड़ी बात ये है कि एपल बेर का पेड़ एक बार लगाने के बाद इससे 25 सालों तक पैदावार ले सकते हैं. वहीं इसकी देखभाल में भी कोई विशेष ध्यान देने की जरूरत नहीं होती. तो आइये जानते हैं कैसे करें एपल बेर की खेती:
कहां से मंगाएं पौधें ?
किसान अरविन्द कुमार बताते हैं कि उन्होंने सबसे पहले एपल बेर के पेड़ राजस्थान के उदयपुर जिले में देखे थे. इसके बाद उन्होंने इसकी बागवानी करने का मन बनाया. जब उन्होंने पौधे की खोज की तो पता चला कि कॉलकात में इसके पौधे मिलते हैं. उन्होंने कॉलकात से करीब 1200 पौधे मंगवाएं. जिसे उन्होंने एक हेक्टेयर खेत में लगाने का काम किया. प्रति पौधा उन्हें 80 रुपये का पड़ा. अरविन्द का कहना है कि वे एपल बेर की जैविक खेती करते हैं. इसके पौधे में नाम मात्र के कांटे होते हैं. जिसमें सितंबर महीने फूल और अक्टूबर नवंबर महीने में फल आने लगते हैं. यह फल फरवरी और मार्च के महीने में पक जाते हैं.
एपल बेर की खेती से कमाई
एपल बेर का उत्पादन करने वाले अरविंद कुमार का कहना है कि पहले साल उन्हें इसके एक पेड़ से 10 किलो की ही पैदावार हुई थी. लेकिन इस साल प्रति पेड़ से 50 किलो तक की पैदावार का अनुमान है. वहीं आने वाले सालों में प्रति पेड़ 70 से 75 किलो की पैदावार होने की संभावना है. इस तरह उन्हें इस साल प्रतिहेक्टेयर से 500 से 600 क्विंटल की पैदावार हो सकती है. अरविन्द का कहना है कि पिछले साल उनका जैविक तरीके से पैदा किया गया एपल बेर 80 से 110 रुपये किलो बिका था. जिससे उन्हें 5 लाख रुपये तक की कमाई हुई थी. जबकि इस वर्ष 10 लाख रुपये की आमदानी की सम्भावना है. साथ ही एपल बेर के पेड़ों के बीच खाली जगह में उन्होंने एलोवेरा और सतावर लगाई है. एलोवेरा का ज्यूस बनाकर वे बेचते हैं जिससे उन्हें अतिरिक्त आय होती है.
पौधों की देखभाव
वैसे तो एपल बेर की खेती के लिए कोई खास देखभाल की जरूरत नहीं होती. फिर भी जरूरत के मुताबिक समय-समय पर पानी देते रहें और निराई का काम करें. निराई का काम इस लिए जरूरी है क्योंकि एपल बेर के बागानों में झाड़िया या खरपतवार उगने से कीट पैदा होते हैं जो सही नहीं है. और जानवरों के आने का खतरा भी कम हो जाता है जोकि छोटे पेड़ों के नुकसान पहुंचा सकते हैं. एपल बेर की खेती को सबसे ज्यादा नुकसान नील गाय पहुंचाती है. इसके लिए खेत के आसपास तार वाली फेंसिंग बनाना चाहिए. एपल बेर के पौधे की रोपाई का मई-जून के महीने में करना सही रहता है.
एपल बेर की खेती के लिए अधिक जानकारी यहां से लें: (Contact for getting information of apple ber cultivation)
किसान : अरविन्द कुमार
पता : फ़िरोसापुर, जिला गाजीपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल : 99193-40053
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