आधुनिक तरीके से खेती बाड़ी करने के लिए देश के किसानों के पास उन्नत किस्म के बीज, उन्नत रासायनिक खाद, कीटनाशक तथा पानी की समुचित व्यवस्था होने के साथ-साथ किस माह में कौन- सा कृषि कार्य करना है, उसकी अच्छी तरह से जानकारी होना नितांत जरुरी है. मई माह जिसे आप वैशाख-ज्येष्ठ भी कहते है. ग्रीष्म ऋतु की शुरुआत तथा जाड़ों से ठिठुरी हुई धरती, मानव, पशु-पक्षियों में नई जान डालने वाले इस माह में खरीफ़ की फसलें बोने का सही समय होता है. ऐसे में आइए आज हम किसान भाइयों को बताते है कि वो मई माह में कौन - सा कृषि कार्य करें
मई माह के प्रमुख कृषि कार्य (Major agricultural activities in the month of May)
1. मई महीने में रबी फसलों की गहाई और सफाई का कार्य किया जाता हैं .
2. इस माह में मक्का, ज्वार, लोबिया इत्यादि फसलों की बुआई शुरु हो जाती है .
3. खेतों की जुताई का करने के साथ ही मेड़ों को अच्छी तरह से बाँधने का कार्य किया जाता हैं .
4. गन्ने की फसल में 90-92 दिन के अन्दर सिंचाई करने का कार्य किया जाता हैं .
5. मक्का, ज्वार, संकर नेपियर घास की फसलों की सिंचाई 10-12 दिन के अंतराल पर करते हैं .
6. इस माह में केला और पपीता के फलों को पत्तियों व बोरियों से ढक कर तेज धूप से बचाया जाता है.
7. कद्दू वर्गीय फसलों में निराई, गुड़ाई और सिंचाई करते हैं .
8. कद्दू, तरबूज, ककड़ी, खरबूजा को कीट रोग से बचाते हैं . जो फल तैयार है, उसे तोड़ लेते हैं.
9. आम के पेड़ों की देखभाल अच्छे से करते हैं और जड़ों में समय -समय पर पानी देते रहते है ताकी पानी के अभाव में फल मुरझाकर नीचे न गिरने लगे .
10. अरबी, अदरक, हल्दी की बुवाई की जाती है .
11. सागौन, महुआ, शीशम इत्यादि पौधों के बीज बोने का समय है तथा बीज बोने के बाद रोज सुबह शाम हल्की सिंचाई करते हैं .
ध्यान रखने योग्य बातें (Things to note)
सही तरीके से बीजोपचार करें. सही दवाई व ढंग से किये गए बीजोपचार से फसल पर बीमारी नहीं लगेगी तथा कीटनाशक दवाईयां छिडकने पर खर्चा नहीं करना पडेगा . यदि 2-3 दवाईयों से एक साथ बीजोपचार करना हो तो बीज पर सबसे पहले कीटनाशक, फिर बीमारी नाशक तथा सबसे बाद में जैव-खाद का इस्तेमाल करें. इससे उन्नत फसल के साथ-साथ पैसे की भी बचत होगी.
उच्च श्रेणी के कृषि रोगरोधक बीज, उन्नत किस्म के खाद व दवाईयां, आधुनिक कृषि यंत्र, जैव-खाद और समय से सिंचाई की समुचित व्यवस्था करें ताकी आपको बिना किसी परेशानी के भरपूर व लाभदायक पैदावार मिल सके. दलहनी फसलों, मूंगफली, सोयाबीन और बरसीम जैसी फसलों में खेती में लागत कम करने के लिए खादों के साथ-साथ जैव-खादें भी जरूर प्रयोग करें. ऐसा करने से पैदावार काफी हद तक बढ़ता है.
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