मध्य प्रदेश में खेती और किसानी में बदलाव लाने के लिए नावाचारों का दौरा जारी है. इसी क्रम में अब यहां की महिलाओं को भी जैविक खेती में काफी दक्ष बनाया जा रहा है. इन सभी महिलाओं को कृषि सखी के रूप में पहचान मिली है. साथ ही कृषि सखियों की अब देश के दूसरे राज्यों से भी मांग आने लगी है और वह प्रदेश के बाहर जाकर किसानों को जैविक खेती के गुणों को सिखाने का कार्य कर रही है. राज्य ग्रामीण अजीविका मिशन स्वयं सहायता समूहों की लगभग पांच हजार महिलाओं को जैविक खेती और पशुपालन की तकनीक भी सिखाई गई है. इन्ही में से सामुदायिक स्त्रोत व्यक्ति के रूप में चिन्हित किया गया है. सामान्य भाषा में इनको कृषि सखी कहा जाता है.
अब तक 5 हजार महिलाओं को प्रशिक्षण
राज्य में इस मिशन के तहत अभी तक कुल 5 हजार महिलाओं को जैविक खेती का पूरी तरह से प्रशिक्षण दिया जा चुका है. इनमें से 300 महिलाओं को यहां पर कृषि सखी के तौर पर विकसित किया जा रहा है. यही महिलाएं दूसरे राज्यों में जाकर यह महिला किसान जैविक खेती का प्रशिक्षण दे रही है. वैसे तो इन कृषि सखियों को पंजाब और हरियाणा से भी बुलवाया गया है लेकिन इस बार कृषि सखियां मध्यप्रदेश से बुलाई गई है. इस अजीविका मिशन का उद्देश्य ग्रामीणों को आत्मनिर्भर बनाना है. इस दिशा में खेती की लागत को कम करके आमदनी बढ़ाने के मकसद से जैविक खेती को प्रोत्साहन दिया जा रहा है.
पंजाब में दिया जा रहा प्रशिक्षण
मध्य प्रदेश की कृषि सखिया अब तक हरियाणा, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़ के अलावा पंजाब में भी किसानों को प्रशिक्षण दे चुकी है. यहां पर जुलाई और अगस्त माह में 20 कृषि सखियों ने पंजाब के कुल चार जिलों संगरूर, गुरूदासपुर, फिरोजपुर और पटियाला में किसानों को प्रशिक्षण दिया है. यहां पर कृषि सखी लक्ष्मी ताम्रकार बताती है कि जैविक खेती के लिए वे किसानों को खाद बनाने से लेकर बीज के चयन, श्रेणीकरण, फसल चक्र आदि के बारे में पूरी जानकारी को समझाती है. पंजाब में भी किसानों को उन्होंने परंपरागत साम्रगी और तकनीक के उपयोग के बारे में बताया है. इस कार्य की ग्रामीण विकास मंत्रालय भी काफी सराहना कर चुका है.
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