जायडेक्स कम्पनी ने “प्रकल्प संजीवनी” अर्थात जमीन में जिंदापन उसकी जैविकता और उर्वरा शक्ति बढ़ाने के लिए एक नई पद्धति और नए उत्पादों का निर्माण किया है. इससे प्रथम बार के प्रयोग में, पहले ही फसल चक्र में, किसान शत-प्रतिशत रासायनिक खाद मुक्त खेती करने में सक्षम होंगे.
कम्पनी के प्रबन्ध संचालक डॉ. अजयरांका ने बताया कि यह ज़ायटोनिक आविष्कारी प्लेटफार्म पिछले पांच वर्षों में विभिन्न प्रयोगों के आधार परसंशोधित किया गया है और कई जैविक खाद के उत्पाद भी किसानों को उपलब्ध करा रहे हैं.
शुरुआत हमने माईकॉराईज़ा से की, लेकिन अब ज़ायटोनिक एनपीके कंसोर्सिया, ज़ायटोनिक जिंक तथा ज़ायटोनिक पोटेशियम - विलय करने वाले बैक्टीरिया और गोबर खाद को फफूंद द्वारा जैव पाचित करने वाला ज़ायटोनिक गोधन भी किसानों के लिए लाया गया हैं.
ज़ायटोनिक तकनीक से पहले ही प्रयोग से किसानों की जमीन नरम, हवादार, और भुरभरी हो जाती है साथ ही साथ एक निश्चित अनुपात में अनुकूल मित्र जीवाणुओं की मात्रा भी उपलब्ध कराती है. 100% जैविक खेती करना हमेशा से मुश्किल काम रहा है तथा रासायनिक खाद प्रयोग किये बिना उत्पादन सदैव घटता रहा है, लेकिन पिछले 6 महीनों में लगभग 140 एकड़ में अलग अलग राज्यों और अलग-अलग फसलों में प्रयोग ने यह सिद्ध कर दिया है कि हम रासायनिक खाद मुक्त खेती करने पर भी उत्पादन उतना ही या उससे अधिक प्राप्त कर सकते हैं.
प्रयोगों ने यह दर्शाया है कि रासायनिक खादों के प्रयोग बिना भी हमारी फसलों का केवल उत्पादन ही नहीं बढ़ा वल्कि पोधों की वृद्धि, हरापन, उत्पादन एवं गुणवत्ता में भी वृद्धि हुई अर्थात पौष्टिकता बढ़ी और साथ ही साथ केमिकल के स्प्रे भी कम लगे व पौधे स्वस्थ रहे. इसके फलस्वरूप खाद्यान्न का विषैलापन भी कम हुआ जो एक बहुत बड़ी उपलब्धि है.
इसी श्रृंखला में जायडेक्स कम्पनी एक और आविष्कारी बदलाव ला रही है, जिससे हम दवाइयों के छिड़काव की मात्रा में कमी कर पाएंगे और असर लम्बा कर पाएंगे. इसमें हम किसानों को 3 प्रयोग के सुझाव दे रहे हैं. पहला सुझाव जैविक सुरक्षा के लिए, दूसरा सुझाव नैसर्गिक औषधियों जैसे नीम आदि के साथ प्रयोग करने के लिए एवं तीसरे सुझाव में रासायनिक दवाइयों की मात्रा आधी करने के लिए है.
ज़ायटोनिक एक्टिव जो नैनो एन्काप्सुलेशन तकनीक पर आधारित है. इससे दवाइयों का असर भी ज्यादा होता है और 50% तक खर्च में बचत होती है. सक्रिय रसायन भी कम हो जाता है और लंबे समय तक पौधों को सुरक्षा मिलती है. इस कारण पौधों का विकास और भी तेजी से होता है.
इसके अतिरिक्त खेतिहर मजदूर जो दवाइयों का छिड़काव करते हैं उनकी सुविधा एवं सुरक्षा के लिए जायडेक्स एक नई आविष्कारी तकनीक ज़ायको ड्रॉप भी लेकर आये हैं. इस तकनीक के प्रयोग से फव्वारा यामिस्ट हवा में नहीं उड़ता है, छिड़काव सीधे पत्तों पर गिरता है, जिससे छिड़काव करने वाले मजदूर को दिक्क़त नहीं होती है एवं दवाई का नुकसान भी कम होता है. बारीक फव्वारे को नियंत्रित करने की क्षमता के कारण इसे मिस्ट कंट्रोलटेक्नोलॉजी भी कहते हैं.
इस तरह माइकोराइजा पौधे की पोषण लेने की ताकत और एनपीके से पौधों को पोषण उपलब्ध कराने की ताकत- दोनों ही जैविक शक्ति को बढ़ावा देती हैं.
ज़ायडेक्स की तकनीक, जैविक शक्ति के साथ मिट्टी में कार्बनिक पदार्थ की मात्रा भी बढ़ाने में मददगार साबित होती है. कम पानी में खेती होती है, जिससे करीब 40% सिंचाईं की बचत होती है। 12 महीने,जमीन भुरभरी और हवादार होने के कारण बरसात का पानी जमीन आसानी से सोख लेती है, जो भूगर्भ में पानी की तिजोरी के रूप में जमा होकर जलस्तर बढ़ाने में सहायक होता है.
इस तरह हम दुनिया में पहली बार पहले ही प्रयोग में "100% रासायनिक खाद मुक्त खेती"की परिकल्पना को साकार कर पाएंगे तथा शत-प्रतिशत जैविक खेती द्वारा पौष्टिक, गुणवत्ता युक्त अधिक अनाज, फल व सब्जियाँ उत्पादन करने में सक्षम होंगे.
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