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इस राज्य में फिर हो सकती है बारिश से तबाही, पढ़ें पूरी खबर

अक्टूबर का महीना शुरू हो गया है. हलकी-हलकी ठंड सी पड़ने लगी है. इस मौसम में एसी भी अब कम चलने लगे हैं. पंखो की हवा भी थोड़ी लगने लगी है. आमजन का मानना है की इस बार बारिश अधिक हुई है इसलिए सर्दी भी जायदा होगी. हुआ यह की मानसून की विदाई के बाद जो बारिश हुई है उसी से मौसम में यह बदलाव नजर आ रहा है. मौसम आमदमी को कैसे प्रभावित करता है यह उसी का नतीजा है. लेकिन यदि मौसम वैज्ञानिकों की मानें तो पता चलता है की चक्रवार्ती तूफ़ान जब आते हैं तो ऐसा ही होता है. क्या चक्रवर्ती तूफ़ान आने बंद हो गए, वैसे तो डे तूफ़ान के बाद चक्रवर्ती तूफ़ान का आदेश ख़त्म हुआ समझो.

अक्टूबर का महीना शुरू हो गया है. हलकी-हलकी ठंड सी पड़ने लगी है. इस मौसम में एसी भी अब कम चलने लगे हैं. पंखो की हवा भी थोड़ी लगने लगी है. आमजन का मानना है की इस बार बारिश अधिक हुई है इसलिए सर्दी भी जायदा होगी.
हुआ यह की मानसून की विदाई के बाद जो बारिश हुई है उसी से मौसम में यह बदलाव नजर आ रहा है. मौसम आमदमी को कैसे प्रभावित करता है यह उसी का नतीजा है. लेकिन यदि मौसम वैज्ञानिकों की मानें तो पता चलता है की चक्रवार्ती तूफ़ान जब आते हैं तो ऐसा ही होता है. क्या चक्रवर्ती तूफ़ान आने बंद हो गए, वैसे तो डे तूफ़ान के बाद चक्रवर्ती तूफ़ान का आदेश ख़त्म हुआ समझो.
इस समय हवाओं में तेजी से बदलाव आ रही है. दक्षिण भारत में पूर्वी हवाएं चलने लगी हैं, जो बदलाव की संकेतक हैं. स्काईमेट के मौसम विशेषज्ञों के अनुसार यह बदलाव इस बार तय समय से कुछ पहले हो रहा है. इसके साथ ही अक्टूबर में उत्तर-पूर्वी मॉनसून भी पूर्वोत्तर भारत और दक्षिण भारत के कुछ भागों में दस्तक देता है. आमतौर पर उत्तर-पूर्वी मॉनसून 20 अक्टूबर के आसपास शुरू होता है.

संभावित चक्रवात को "लोबाननाम दिया जाएगा, जो ओमान की तरफ बढ़ेगा. यह सिस्टम लोअर एल्टीट्यूड पर विकसित होगा और पश्चिमी तथा उत्तर-पश्चिमी दिशा में आगे बढ़ते हुए यमन और ओमान की तरफ जाएगा. हालांकि यह दक्षिण भारत के कुछ राज्यों को प्रभावित करेगा. इसके चलते केरल में 5 से 8 अक्टूबर के बीच मूसलाधार बारिश होने की संभावना है. यही नहीं तमिलनाडु के कुछ भागों और पुडुचेरी में भी इसी समय बंगाल की खाड़ी में विकसित होने वाले एक संभावित सिस्टम के चलते भीषण बारिश हो सकती है.

इस बीच मौसम विशेषज्ञों के अनुसार भूमध्य रेखा के पास इस समय इंटर-ट्रॉपिकल-कन्वर्जेंस ज़ोन है जो समुद्री क्षेत्रों में अनेकों मौसमी सिस्टम विकसित होने में मदद करता है. अभी इंटरट्रॉपिकल कन्वर्जेंस जोन पर कई वेदर सिस्टम बने हुए हैं, जिससे दक्षिण भारत में बारिश हो रही है. माना जा रहा है कि 5 अक्टूबर तक अरब सागर के दक्षिण पूर्वी भागों पर एक सिस्टम निम्न दबाव के रूप में विकसित होगा. यह सिस्टम धीरे-धीरे और प्रभावी होते हुए डिप्रेशन बनेगा और उसके बाद डीप डिप्रेशन का रूप ले सकता है. इस बात के भी संकेत हैं कि डीप डिप्रेशन चक्रवाती तूफान भी बन सकता है. यह मॉनसून संपन्न होने के बाद पहला चक्रवाती तूफान होगा.

अक्टूबर में केरल में सबसे ज्यादा बारिश होती है. इन सबके बीच मौसम विशेषज्ञों का कहना है कि चक्रवाती तूफान के उठने और अन्य मौसमी परिदृश्यों के अनुकूल होने के कारण पहले से ही व्यापक सतर्कता बरतने की जरूरत है.

मॉनसून सीजन अब खत्म हो गया है, ऐसे में बंगाल की खाड़ी और अरब सागर में चक्रवाती तूफान बनने की संभावनाएं प्रबल होने लगी हैं. मॉनसून सीज़न के बाद अब अगले दो-तीन महीने चक्रवाती तूफान का मौसम रहेगा. इस समय उठने वाले तूफानों की क्षमता भी अधिक होती है, जिससे प्रभावित क्षेत्रों में भीषण बारिश देखने को मिलती है. जहां तक अरब सागर और बंगाल की खाड़ी में उठने वाले तूफानों की बात है तो बंगाल की खाड़ी से अधिक क्षमता अरब सागर में विकसित होने वाले चक्रवाती तूफानों की होती है क्योंकि अरब सागर में चक्रवात को लंबा समुद्री सफर मिल जाता है.

 

साभार: skymetweather.com 

कृषि जागरण डेस्क

English Summary: This state can again bewildered by rain, read the whole news Published on: 03 October 2018, 02:32 AM IST

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