मानसून (Monsoon 2022) को लेकर कई अनुमान लगाए जा रहे हैं कि इस साल मानसून की बारिश सामान्य रहेगी, जिससे किसानों की फसलों पर काफी अच्छा प्रभाव पड़ेगा. मगर प्री मानसून (Pre-Monsoon 2022) की बात करें, तो मानसून के आने से पहले होने वाली बारिश बेहद कम रही है.
भारतीय मौसम विभाग (India Meteorological Department) का 1 मार्च से 25 अप्रैल तक का डाटा देखा जाए, तो भारत के 20 राज्यों में प्री-मानसून की बारिश में अत्यधिक कमी दर्ज की गई है. जानकारों के मुताबिक, प्री-मानसून (Pre-Monsoon 2022) की बारिश में कमी का असर मौसमी फल-सब्जियों पर पड़ सकता है. इसके अलावा खरीफ फसल की बुवाई और बांधों में पानी के जलस्तर पर भी खतरा पैदा हो सकता है.
बता दें कि प्री-मानसून (Pre-Monsoon 2022) की बारिश से सालाना 11 फीसद कोटा पूरा होता है, लेकिन इस बार कई नदी घाटी (River Basin) में बिल्कुल भी बारिश नहीं हुई है या कई क्षेत्रों में भारी कमी रही है. डाटा बताता है कि महाराष्ट्र के नदी घाटी (River Basin) में 24 अप्रैल तक बिल्कुल बारिश नहीं हुई या बेहद कम बारिश हुई है.
आंकड़ों को देखा जाए, तो साल 2022 के प्री-मानसूनी (Pre-Monsoon 2022) बारिश में 60 से 100 फीसदी तक की कमी आई है. जानकारों का कहना है कि प्री-मानसून की बारिश का असर वातावरण के साथ-साथ कृषि क्षेत्र में देखने को मिल रहा है, क्योंकि गर्म हवाएं ज्यादा चल रही हैं.
इसके साथ ही तापमान बहुत बढ़ चुका है, जिसकी वजह से मौसमी सब्जियां और फल खराब हो रहे हैं. वहीं, गन्ने और कपास की फसलें भी प्रभावित हो रही हैं. इनके अलावा खरीफ फसलों की बुवाई पर भी असर पड़ रहा है. मौसम विभाग का कहना है कि प्री-मानसून की बारिश ना होने से खेतों में पानी की आपूर्ति के लिए डैम पर अतिरिक्त दबाव बढ़ सकता है.
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इस कारण उसके जलस्तर में कमी आ सकती है. वहीं, प्री-मानसून (Pre-Monsoon 2022) की बारिश ना होने से किसानों की पानी के मौजूदा स्रोतों पर निर्भरती बढ़ जाती है.
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