देश के विभिन्न राज्यों में मानसून दस्तक देना लगा है, और उम्मीद लगाई जा रही है कि इस बार ज्यादा बारिश हो सकती है. मंगलवार को मौसम विभाग के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्र की दी जानकारी के मुताबिक इस बार अनुमान से अधिक वर्षा होनी की संभावना है जो कि कृषि उत्पादकों के लिए कारगर और महंगाई पर लगाम लगा सकती है. महापात्र ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि इस मानसून औसत के 103 फीसदी बारिश होने की संभावना है.
सामान्य से अधिक बारिश होने की संभावना
बता दें कि इससे पहले मौसम विभाग ने अप्रैल में सामान्य से अधिक बारिश होने की संभावना जताई थी, मौसम विभाग के मापदंड के अनुसार दीर्घकालिक औसत के 96-104 फीसदी बारिश को सामान्य माना गया है. अप्रैल माह में मौसम विभाग द्वारा दीर्घकालिक औसत जारी किया गया था, जिसका आधार 1971 से 2020 तक मानसून में हुई बारिश को लिया गया था. बारिश का दीर्घकालिक औसत 87 सेंटीमीटर है. वहीं उत्तर-पूर्व और उत्तर-पश्चिमों के राज्यों में सामान्य बारिश होने के आसार है. बता दें कि इससे पहले वर्ष 2005-08 और 2010-13 में मानसून सामान्य देखा गया था.
ला-नीना (La- Nina) की स्थिती बनी रहेगी
महापात्र ने कहा कि “मौजूदा ला-नीना की स्थितियां अगस्त तक बने रहने की उम्मीद है और यह भारत में मानसून की बारिश के लिए शुभ संकेत है”. बता दें कि वैज्ञानिक भाषा में प्रशांत महासागर में भूमध्य रेखा से ऊपर 140 से 120 डिग्री के बीच के हिस्से को नीनो-3.4 रीजन कहा जाता है, जब इस क्षेत्र में समुद्री सतह का तापमान सामान्य से नीचे होता है तो इस स्थिति को ला-नीना कहते हैं. हालांकि, हिन्द महासागर के डाइपोल के नकारात्मक विकास की आशंका के कारण केरल सहित दक्षिण-पश्चिमी प्रायद्वीप में सामान्य से कम वर्षा होने की संभावना बनी हुई है, ऐसा इसलिए है क्योंकि पश्चिमी हिंद महासागर की सतह का तापमान सामान्य से ठंडा रहेगा.
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महापात्रा ने कहा कि जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, उत्तराखंड और अरणाचल प्रदेश को छोड़कर देश के अधिकांश हिस्सों में जून में अधिकतम तापमान सामान्य से नीचे रहने की संभावना है. तो वहीं राज्य के अधिकांश हिस्सों में भी अच्छी बारिश की संभावना जताई गई है.
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