Wheat Production: भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने किसानो को गुड न्यूज दी है. खासकर गेहूं की खेती करने वाले किसानों को, जो तापमान बढ़ने से गेहूं की फसल पर मंडरा रहे खतरे से चिंता में थे. दरअसल, मौसम विभाग ने मार्च में अधिकतम तापमान सामान्य से कम रहने की भविष्यवाणी की है. ये उन किसानों के लिए बड़ी राहत की खबर है, जो गेहूं की खेती करते हैं. क्योंकि,तापमान बढ़ने के चलते गहूं की फसल पर चौपट होने का खतरा मंडरा रहा था. लेकिन, IMD (Indian Metrological Department) की भविष्यवाणी के बाद किसानों ने अब राहत की सांस ली है.
इस समय भारत की गेहूं की फसल पर सबकी नजर टिकी हुई है. लगातार दो साल तक उम्मीद से कम फसल के बाद इस बार उत्पादन ज्यादा होने का अनुमान है. केंद्र सरकार भी इस बार रिकॉर्ड गेहूं का उत्पादन होने की बात कह चुकी है.
मार्च के दूसरे और तीसरे सप्ताह के दौरान अधिकतम तापमान पर नजर रखना बहुत महत्वपूर्ण है. क्योंकि गेहूं की फसल, जो सर्दियों में उगाई जाती है, उच्च तापमान के प्रति संवेदनशील होती है. जिससे अनाज सिकुड़ जाता है. 2022 में फसल से कुछ हफ्ते पहले उच्च तापमान के कारण भारत में गेहूं का उत्पादन बुरी तरह प्रभावित हुआ था. आंकड़ों पर गौर करें तो 2022-23 फसल सीजन (जुलाई-जून) से सरकार ने 34.15 मिलियन टन गेहूं खरीद का लक्ष्य रखा था. लेकिन, कम उत्पादन के चलचे सरकार सिर्फ 26.2 मिलियन टन (एमटी) गेहूं ही खरीद पाई थी. वहीं, फसल वर्ष 2021-22 में लक्ष्य 44.4 मिलियन टन था. जबकि, सरकार ने सिर्फ 18.8 मिलियन टन गेहूं खरीदा था.
सामान्य से कम रहेगा तापमान
गर्मी के मौसम (मार्च-अप्रैल-मई) के साथ-साथ मार्च के लिए मौसम पूर्वानुमान जारी करते हुए, आईएमडी के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्र ने कहा कि दक्षिण प्रायद्वीप और गुजरात और महाराष्ट्र सहित केंद्रीय मौसम उपविभाग के पश्चिमी हिस्सों में अधिकतम तापमान सामान्य से अधिक हो सकता है. उत्तर-पश्चिम भारत में तापमान सामान्य या सामान्य से नीचे रहने की संभावना है.
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सामान्य से अधिक बारिश होने का अनुमान
आईएमडी ने कहा कि मार्च के दौरान उत्तर-आंतरिक कर्नाटक, मराठवाड़ा क्षेत्र, तेलंगाना और दक्षिण आंध्र प्रदेश के अधिकांश क्षेत्रों में सामान्य से अधिक लू चलने की संभावना है. महापात्र ने कहा कि देश में मार्च में सामान्य से अधिक बारिश दर्ज होने की संभावना है. इसके अलावा, उन्होंने कहा कि उत्तर-पश्चिम, उत्तर-पूर्व, मध्य और प्रायद्वीपीय भारत के कुछ अलग-अलग क्षेत्रों को छोड़कर, देश के अधिकांश हिस्सों में अधिकतम तापमान सामान्य से ऊपर रहने की संभावना है, जहां इस दौरान सामान्य से नीचे अधिकतम तापमान देखा जा सकता है. साथ ही, इन तीन महीनों के दौरान देश के अधिकांश हिस्सों में न्यूनतम तापमान सामान्य से अधिक रहने की संभावना है.
'गर्म मौसम के लिए अल नीनो जिम्मेदार'
हालांकि उन्होंने अल नीनो की निरंतरता के लिए गर्म मौसम को जिम्मेदार ठहराया है. उन्होंने यह भी कहा कि यह अधिकतम वैश्विक मॉडल के अनुसार जून तक ईएनएसओ तटस्थ हो सकता है. उन्होंने कहा कि ला नीना स्थितियां - जो आम तौर पर भारत में अच्छी मानसूनी बारिश से जुड़ी होती हैं - मानसून सीजन की दूसरी छमाही तक स्थापित होने की संभावना है.
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