इस साल गर्मी अपने सारे रिकॉर्ड तोड़ती नजर आ रही है. अभी तक देश के अधिकांश राज्यों का तापमान करीब 43 डिग्री से भी अधिक पहुंच चुका है. वहीं, इस साल लू के थपेड़े ऐसे चल रहे हैं कि लोग अपने घर से बाहर निकलना भी नहीं चाहते हैं.
ऐसे में अब हर किसी को मानसून (Monsoon) का इंतजार है. बता दें कि वैसे केरल में मानसून ने 29 मई को ही दस्तक दे दी है, लेकिन देश के अन्य राज्यों में मानसून (Monsoon) का कोई अता-पता नहीं लग रहा है.
इस दौरान IMD ने एक अच्छी खबर दी है कि देश के मध्य और उत्तर के मैदानी इलाकों में 15 जून से मानसून (Monsoon) की रफ्तार में तेजी आ सकती है. यानी 15 जून से मानसून में तेजी आने के संकेत हैं.
फसलों के लिए फायदेमंद है मानसून
किसानों के लिए अच्छी बात यह है कि मानसून (Monsoon) की बारिश खरीफ सीदज की फसलें जैसे, धान, मक्का, सोयाबीन, गन्ना, मूंगफली और कपास के लिए बहुत फायदेमंद साबित होती हैं. अनुमान है कि इस साल आंध्र प्रदेश, असम, दक्षिणी बंगाल, मेघालय, सिक्किम, तमिलनाडु, और कर्नाटक के कुछ हिस्सों में अत्यधिक बारिश हो रही है.
कृषि अर्थव्यवस्था मानसून पर निर्भर
जानकारी के लिए बता दें कि इस साल केरल में मानसून (Monsoon) ने अपने समय से दो दिन पहले ही दस्तक दे दी थी. यानि 29 मई को मानसून (Monsoon) की बारिश हुई, लेकिन 2 जून तक बारिश 42 प्रतिशत तक कम रही है.
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IMD के मुताबिक, अगर पूरे सीजन में 96 से 104 प्रतिशत के बीच मानसून (Monsoon) की बारिश होती है, तो यह सामान्य या औसत वर्षा मानी जाती है. बता दें कि भारत में मानसूनी सीजन में 70 प्रतिशत बारिश ही होती है, जिस पर भारत की 2.7 ट्रिलियन डॉलर (2700 अरब डॉलर) की कृषि अर्थव्यवस्था निर्भर है.
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