मध्यप्रदेश के जनपद छतरपुर के गांव पतारे का खिरक में अलग-अलग परिवारों की करीब 12 महिलाओं ने मिलकर अपने-अपने हिस्से की थोड़ी-थोड़ी जमीन को मिलाकर पांच एकड़ का खेत तैयार किया है. जिसमें महिलाएं खेती को लाभ का धंधा बनाने के लिए दिन रात मेहनत करने का काम कर रही है. पहले जिस खेत में महिलाएं सिर्फ सब्जी की फसल लेती थी. अब उसी खेत के चारों ओर फेंसिंग करके महिलाओं ने फलों की खेती करने का कार्य शुरू किया है. इनता ही नहीं यह महिलाएं गांव के किसानों को जैविक खेती का पाठ पढ़ा रही है. इसके भी परिणाम धीरे-धीरे सामने आ रहे है. यहां के अधिकतर किसान रासायनिक खेती छोड़कर जैविक खेती की ओर अपना ध्यान लगा रहे है.
खेत में कर रही है जैविक खाद प्रयोग
महिलाओं ने एनजीओ के माध्यम से महिलाओं को खेती के आधुनिक तरीके और नई तकनिकी को सिखाया गया है.जिससे प्रभावित होकर महिलाओं ने एकजुट होकर करीब 5 एकड़ में अमरूद के 880 पौधे लगाए है. इन सभी पौधों के रख-रखाव के लिए सभी महिलाएं खेत में रासायनिक खाद को इस्तेमाल न करके जैविक खाद का इस्तेमाल कर रही है.
छोटे-छोटे जमीन के टुकड़े से बनाया खेत
महिला किसान सरोज कुशवाहा ने बताया कि अमरूद के पेड़ लगाने के पहले हम लोग सब्जियों की खेती करते थे. इससे आमदनी तो होती ही थी लेकिन इतनी नहीं होती थी कि परिवार का भरण पोषण ठीक से हो पाए. इसलिए हम लोगों ने सृजन संस्था की मदद से मिलकर महिलाओं का समूह बनाया. उन्होंने थोड़ी-थोड़ी जमीन मिलाकर करीब 5 एकड़ का खेत तैयार किया है. इनमें से कुछ हाईब्रिड होने के कारण एक साल के भीतर ही फल देने लगे है. सरोज कहती है कि इन पौधों से 80 से 90 हजार रूपये मिलेंगे. सब्जी की खेती के साथ इन महिलाओं को अतिरिक्त लाभ होगा.
जैविक खाद का उपयोग
महिला किसान ने कहा कि हम खेत में लगे पौधों को डालने के लिए जैविक खाद को बनाते है , सृजन संस्था द्वारा नीम के बीज की खली हमें नि:शुल्क दी गई है. इसके अलावा गोबर से तैयार की गई खाद का उपयोग हम पेंड़ों में डालने के लिए करते है. कुशवाह का कहना है कि पहले वह एक बीघा में 40 से 50 हजार रूपए कमा लेते थे, उन्होंने कहा कि हम सब महिलाओं के परिवार पूरी तरह से खेती पर आश्रित हो चुके है. इसीलिए खेती से ज्यादा लाभ कमाने की कोशिश की जा रही है. उन्होंने कहा कि वह समूह बनाकर अब अमरूद की खेती के लिए भी एक-दूसरे को जगरूक करने का कार्य कर रही है. इसके अलावा खेती से जुड़ी अन्य जानकारी भी उन्होंने प्रदान की.
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