वैसे तो आपने कई तरह की सफल कहानी सुनी होंगी, लेकिन आज हम आपको एक ऐसे शख्स के बारे में बताने जा रहे हैं, जिन्होंने प्लास्टिक के ड्रम में फलों की ताबड़तोड़ पैदावार कर सबको चौंका दिया है. तो आइये जानते हैं कृषि क्षेत्र से जुड़ी एक और सफल किसान के बारे में.
केरल के तिरूर (Tirur of Kerala) के रहने वाले 50 वर्षीय अब्दुरजाक (Abdurzak) जब 2018 में दुबई से लौटे तो वह घर पर फलों के पेड़ लगाना चाहते थे, लेकिन ये पेड़ आमतौर पर जमीन पर बेहतर उगते हैं और उन्होंने यह महसूस किया कि उनकी छत पर्याप्त नहीं हो सकती है.
अब्दुरजाक यह भी जानते थे कि वह इन सभी फलदार पेड़ों (Fruit Trees) को घर के बागवानों की तरह बैगों (Bag Planting & Growing) में भी उगाया जा सकता हैं. ऐसे किसान जो कुछ करने की चाह रखते हों, उन्हें कभी विफलता का सामना नहीं करना पड़ता है. और यही वजह है कि उन्होंने प्लास्टिक के ड्रमों में पेड़ उगाने (Farming in Plastic Drums) का फैसला किया. नतीजन, आज इनके पास 250 पेड़ों का एक फलों का बाग है.
बैग फार्मिंग हुई सफल (Bag farming was successful)
दुबई में लगभग 30 साल बिताने के बाद, अब्दुरजाक केरल में अपने घर लौट आये थे. अब्दुरजाक का कहना है कि उन्हें हमेशा पेड़ लगाना पसंद था, विशेष रूप से फल देने वाले, और जब भी वह काम से घर आते तो अपने घर में कई पौधे लगाते थे और अपने फलों को उगाते थे.
अब्दुराज़क का कहना है कि “लेकिन जब मैंने जमीन पर पेड़ लगाए, तो पर्याप्त धूप की अनुपलब्धता के कारण वे अच्छी तरह से विकसित नहीं हुए. इसलिए, मैंने उन्हें छत पर लगाने की कोशिश करने का फैसला किया था".
थाईलैंड से हुए प्रेरित (Inspired by Thailand)
उनका कहना है कि लगभग तीन दशकों तक फलों के साथ काम करने के उनके अनुभव ने उन्हें दुनियाभर में विभिन्न किस्मों (Fruit Varieties) को उगाने के दायरे को समझने में मदद की है. यहां तक कि उन्हें प्लास्टिक ड्रम पर उगाने का विचार थाईलैंड के एक फलों के खेत को देखते हुए आया था.
उन्होंने आगे कहा “इस पद्धति को उर्वरकों के श्रम और अपव्यय (Labor and wastage) को कम करने के लिए अनुकूलित किया गया था. जब हम इन पेड़ों को जमीन पर लगाते हैं, तो लगभग 75% उर्वरक बर्बाद हो जाता है, क्योंकि यह पानी के साथ भूमिगत हो जाता है. यह अवशोषित होने के लिए केवल 25% छोड़ देता है. इसलिए, प्लास्टिक ड्रम में पौधों को उगाने की विधि उनके विकास को प्रोत्साहित करती है”.
अब्दुराज़क पानी का परीक्षण (Testing of Water) करना चाहता था, इसलिए उन्होंने पहले प्लास्टिक की बाल्टियों में कुछ पेड़ लगाने का फैसला किया था. इस पर उनका कहना है कि “मैंने पेंट की बाल्टियां लीं, उन्हें मिट्टी से भर दिया और यह जांचने के लिए लगाया कि क्या यह विधि हमारी जलवायु परिस्थितियों में काम करेगी या नहीं. इसलिए मैंने कबाड़ की दुकानों से इस्तेमाल किए गए प्लास्टिक ड्रम खरीदे और उनमें पेड़ उगाना शुरू कर दिया और एक ड्रम की कीमत लगभग 700 रुपये है".
अब्दु कहते हैं कि “मैं इस विधि का सुझाव तभी दूंगा जब किसी को फलों के पेड़ उगाने का शौक हो और उन्हें व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए नहीं उगाना हो. यदि आप इस तरह से फलों के पेड़ उगाते हैं, तो आप अपने और अपने परिवार के लिए पर्याप्त उपज प्राप्त कर सकते हैं".
रजाक के फलों के बाग में वर्तमान में भारत के विभिन्न हिस्सों के साथ-साथ थाईलैंड, पाकिस्तान, ब्राजील और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों के लगभग 250 फलों के पेड़ हैं. यह आगे कहते हैं कि “मैं ज्यादातर विदेशी किस्मों (Exotic Varieties) को ऑनलाइन खरीदता हूं. कोलकाता स्थित एक एजेंसी है जिसके माध्यम से मैं विभिन्न प्रकार के आमों का स्रोत बनाता हूं".
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