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प्राकृतिक खेती के मास्टर ट्रेनर बन खुद फसलों के लिए तैयार किया स्प्रे

हिमाचल के हमीरपुर जिले में बमसन ब्लॉक के छोटे से गांव हरनेड़ के किसान ललित कलिया ने अपने मेहनत और जज्बे के बल पर पहले प्राकृतिक खेती को उगाने का हुनर सीखा है. जिले के किसानों को खेतों में जैविक खादों से विभिन्न प्रकार के मौसमी उत्पाद को उगाने को लेकर ट्रेंड करने लगे हुए है.

किशन
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हिमाचल के हमीरपुर जिले में बमसन ब्लॉक के छोटे से गांव हरनेड़ के किसान ललित कलिया ने अपने मेहनत और जज्बे के बल पर पहले प्राकृतिक खेती को उगाने का हुनर सीखा है. जिले के किसानों को खेतों में जैविक खादों से विभिन्न प्रकार के मौसमी उत्पाद को उगाने को लेकर ट्रेंड करने लगे हुए है. ललित अब दूसरे किसानों और उन लोगों से जो खेतों से दूर होकर नौकरी की तालाश में भटक रहे है उनके लिए प्रेरणा का स्त्रोत बन रहे है. केवल सात महीने के अंदर ही उन्होने अपने जज्बे के बल पर कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंधन अभिकरण हमीरपुर ने उनको मास्टर ट्रेनर भी बनाया है. आज ललित खेती को अपनाने को लेकर अपने गांव और विभाग के द्वारा लगाए जाने वाले किसान जागरूकता शिविरों में लोगों को देसी गायों के गोबर और मूत्र से तैयार घोल की जानकारी को प्रदान कर रहे है.

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सूंडियों के प्रकोप से बचने के लिए तैयार किया घोल

यहां पर ब्रह्म अस्त्र के नाम से भी देसी गाय के गोबर से एक घोल तैयार किया गया है, इसका प्रयोग फसल में सूंडियो का प्रकोप होने पर ही किया जाता है. इस घोल को भी उन्होंने गाय के गोबर मूत्र और दस अलग-अलग पेड़ों के पत्ते जैसे शीशम, पपीता, आमला व अमरूद इत्यादि को मिश्रित कर तैयार किए गए मिश्रण भी किसानों के लिए खास लाभदायक सिद्ध हो रहा है. इससे इनसे फसलों और पौधों को किसी भी तरह से नुकसान नहीं हो रहा है.

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खाद के मुकाबले तैयार हुआ धन जीवामृत

उन्होंने धन जीवामृत को तैयार किया है, खेतों में तैयार किए गए हर तरह की फसलों तथा उत्पादों में पौष्टिकता बरकरार रहेगी. उन्होंने द्रेक अस्त्र स्प्रे को तैयार किया है, जो कि द्रेक नाम के पौधे के पत्ते और अन्य पांच तरह की औषधीय पौधों जिसके ना जानवर खाते हो उन सभी को एकत्रित करके उसमें देसी नस्ल के गाय के गोबर और मल मूत्र को मिला कर तैयार किया गया है. इस नये स्प्रे का इस्तेमाल 15 प्रकार के कीटों से फसल को बचाने के लिए किया जाता है.

English Summary: This farmer is teaching the skills of natural farming in Himachal Pradesh Published on: 26 September 2019, 11:12 AM IST

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