देशभर के बाजारों में अधिकतर फूलों की डिमांड बनी रहती है. फूलों का ज़्यादातर इस्तेमाल किसी जगह या वस्तु की शोभा बढ़ाने के लिए होता है. ऐसे में किसान इसकी खेती से अधिक मुनाफ़ा भी कमा रहे हैं.
आज हम आपको एक ऐसे ही किसान से मिलाने वाले हैं, जो अपनी परंपरागत फसलों की खेती करने की बजाय गेंदा के फूलों की खेती (Marigold Flowers Cultivate) करने लगे हैं. हम हरियाणा करनाल के घरौंडा जिले के गढ़ी भरल नामक गांव में रहने वाले मुस्लिम चौहान की बात कर रहे हैं, जो गेंदे के फूलों की खेती (Marigold Flowers Cultivate) करते हैं. वह आज एक सफल किसान हैं. उन्हें फूलों की खेती से काफी अच्छा मुनाफा भी मिल रहा है.
मुस्लिम चौहान बताते हैं “मैं कई सालों से धान, गेहूं, खीरा और धनिया आदि फसलों की खेती कर रहा था, लेकिन मुझे कुछ खास मुनाफ़ा नहीं हो रहा था. इसके बाद मैनें फूलों की खेती करना शुरू किया है और धीरे-धीरे मुझे भारी मुनाफ़ा होने लगा. हमारा एक एफपीओ संगठन भी है, जिसका नाम सीमांत किसान संगठन है.
आपको बता दें कि किसान मुस्लिम चौहान लगभग 3 एकड़ जमीन पर गेंदा के फूल की खेती (Marigold Flowers Cultivate) कर रहे हैं. उन्होंने 'बैचलर ऑफ सोशल वर्क' से स्नातक हैं. उन्हें साल 2012 में 'राष्ट्रीय युवा पुरस्कार' भी मिल था. यह पुरस्कार सामाजिक क्षेत्र में ब्लड डोनेशन कैम्प लगाने, पौधा रोपण आदि अन्य पर्यावरण संबंधी काम करने के लिए दिया गया था. आइए आज आपको बताते हैं कि किसान मुस्लिम चौहान किस तरह गेंदा के फूलों की खेती करते हैं और अन्य किसान किस तरह फूलों की खेती से मुनाफ़ा कमा सकते हैं.
गेंदा के फूलों की खेती का समय (Time to Cultivate Marigold Flowers )
किसान मुस्लिम चौहान की मानें, तो गेंदा फूल की खेती (Marigold Flowers Cultivate) जुलाई और मार्च में की जाती है, लेकिन वह जुलाई में खेती करते हैं. उनकी फसल लगभग 40 दिनों के बाद तैयार हो जाती है. इसके साथ ही फसल बाजार में हाथों-हाथ बिक भी जाती है. बता दें कि जुलाई में खेती की गई फूलों की पहली तुड़ाई श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर होती है. इसके बाद नवरात्र, दशहरा, दीपावली आदि पर्वों के साथ ही विभिन्न समारोह में भी फूलों की मांग बढ़ जाती है.
गेंदा फूल की प्रमुख किस्में (Major varieties of marigold flower)
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बोलेरो
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ब्राउन स्काउट
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गोल्डन
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बटरस्कॉच
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स्टार ऑफ़ इंडिया
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येलों क्राउन
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रेड हेट
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बटरवाल
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गोल्डन जेम
गेंदे के फूलों की सिंचाई (Marigold flower Irrigation)
किसान मुस्लिम चौहान के मुताबिक, आमतौर पर गेंदे के फूल (Marigold Flowers) में वर्षा ऋतु में सिंचाई की जरुरत नहीं होती है. मगर फिर भी अगर कुछ दिनों तक बारिश न हो, तो सिंचाई कर देना चाहिए. इसके अलावा ठंड के मौसम में 10 से 12 दिनों में सिंचाई करना चाहिए और गर्मी के मौसम में 6 से 7 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करना चाहिए. इससे फूलों का अच्छा उत्पादन मिलता है. बता दें कि जरुरत से ज़्यादा पानी देने से भी फूलों की फसल को नुकसान हो सकता है
फूलों की तुड़ाई का सही समय (The right time to harvest flowers)
आमतौर पर गेंदे के पौधे रोपाई के 40 दिनों बाद से फूल देना शुरू कर देते हैं, लेकिन इन फूलों को पौधे से तब तोड़ना चाहिए, जब इनका अच्छी तरह निकास हो जाए. ध्यान रहे कि गेंदे के फूलों को सुबह या शाम के वक्त ही तोड़ना चाहिए. अगर तुड़ाई के दौरान खेत में नमी हो, तो तोड़े गए फूलों को अधिक समय तक ताजा रख सकते हैं.
गेंदे की खेती में लागत (Cost of marigold farming)
मौजूदा वक्त में किसान मुस्लिम चौहान लगभग 3 एकड़ जमीन पर खेती कर रहे हैं. उनका मानना है कि अगर 1 एकड़ में गेंदा फूल की खेती करते हैं, तो औसतन 10 हजार रुपए की लागत आती है.
गेंदे की खेती से उत्पादन (Marigold farming production)
अगर गेंदा के फूलों की खेती गभग 3 एकड़ में की जाए, तो इसके 1 तोड़ में 3 से 4 क्विंटल फूल निकल जाते हैं. यह औसतन 100 रुपए किलो के भाव बिक जाते हैं.
गेंदे की खेती से मुनाफ़ा (Profit from marigold farming)
किसान का कहना है कि इसका मुनाफ़ा पर्वों और स्थानीय बाजारों पर निर्भर करता है. वह अपनी उपज को खुद नहीं बल्कि पानीपत, करनाल और लुधियाना से आए व्यापारीयों को बेचते हैं, जो कि उन्हें मंडियों में ले जाकर बेच देते हैं. अगर वो खुद बड़ी मंडियों में जाकर उपज बेचें, तो कुछ ज़्यादा मुनाफ़ा हो सकता है.
किसान मुस्लिम चौहान ने बताया कि वह एक बार श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर अपने फूलों को लेकर मुथरा की मंडियों में बेचने गए थे, जहां स्थानीय बाजार में 100 रुपए किलों के भाव से फूल बिक रहा था, वो मथुरा के मंडियों में 250 से 300 रुपए किलों के भाव से बिक रहा था.
नाम- श्री मुस्लिम चौहान (राष्ट्रीय युवा पुरस्कार विजेता)
गांव का नाम- गढ़ी भारल
तहसील- घरोंडा,
करनाल, हरियाणा -1311114
फोन न: 9991610398
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