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इस जिले में गेंदे की खेती करने वाले किसानों को मिल रहा 10-16 हजार रुपए का अनुदान

देश में किसानों को ज्यादा से ज्यादा लाभ हो इसके लिए सरकार की तरफ से उन्हें कई प्रकार की योजनाओं का लाभ दिया जाता है. किसानों को खेती में प्रोत्साहन देने के लिए भी ऐसे कई प्रकार के लाभ दिए जाते हैं. अगर किसान परंपरागत खेती से हटकर कुछ अलग करना चाहे तो किसानों को सरकार की तरफ से उन्हें अनुदान दिया जाता है.

आदित्य शर्मा
marigold

देश में किसानों को ज्यादा से ज्यादा लाभ हो इसके लिए सरकार की तरफ से उन्हें कई प्रकार की योजनाओं का लाभ दिया जाता है. किसानों को खेती में प्रोत्साहन देने के लिए भी ऐसे कई प्रकार के लाभ दिए जाते हैं. अगर किसान परंपरागत खेती से हटकर कुछ अलग करना चाहे तो किसानों को सरकार की तरफ से उन्हें अनुदान दिया जाता है. उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले के उद्यान विभाग द्वारा किसानों के लिए एक ऐसी ही स्कीम निकाली गई है. इसमें विभाग द्वारा किसानों के बीच गेंदे की फूल की खेती को बढ़ाने के लिए अनुदान दिया जा रहा है. इसके लिए जनपद में 14 हेक्टेयर का लक्ष्य रखा गया है. जिसमें किसानों की श्रेणी के अनुसार सामान्य किसानों के लिए सात हेक्टेयर व लघु एवं सीमांत किसानों के लिए सात हेक्टेयर रखा गया है. यहां गेंदे की खेती लगभग 150 हेक्टेयर क्षेत्रफल में की जाती है.

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Geanda

जिले के कई क्षेत्रों में गेंदे के फूल की खेती बड़े स्तर पर की जाती है जिसमें नागल, बलियाखेड़ी, नकुड़ और पुंवारका विकास खंड जैस नाम शामिल हैं. वहीं अगर अनुदान में दी जाने वाली राशि की बात करें तो लघु एवं सीमांत श्रेणी के किसानों को 16 हजार रुपये और सामान्य श्रेणी के किसानों को 10 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर का अनुदान दिया जाएगा. वहीं क्षेत्र में गेंदे की खेती करने वाले किसानों का कहना है कि गेंदे की खेती किसानों के लिए काफी लाभकारी है. वहीं गेंदे की प्रजातियों के बारे में उन्होंने बताया कि आमतौर पर यहां के किसान पूसा नारंगी, पूसा बसंती और अफ्रीकन टाल आदि प्रजातियों की खेती करते हैं. जिले के उद्यान अधिकारी अरुण कुमार ने जानकारी देते हुए कहा कि गेंदे की खेती जिले के लगभग 150 हेक्टेयर क्षेत्र में की जाती है. इसकी रोपाई अगस्त, जनवरी और मार्च में होती है और इसकी खेती की अवधि चार महीने की रहती है. जिले में इस फूल की औसत उपज 250 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक हो जाती है और औसतन रेट 30 रुपये प्रति किलो तक होती है.

कहां होती है फूलों की बिक्री

फूलों की खेती जिले में पॉलीहाउस के अलावा सामान्य तरीके से भी किया जाता है. वहीं किसान, फूलों की बिक्री स्थानीय मंडी के अलावा दिल्ली, हरिद्वार, अंबाला, चंडीगढ़ और देहरादून की मंडियों में की जाती है.  

English Summary: Farmers will get subsidy for the cultivation of marigold Published on: 07 August 2020, 01:14 PM IST

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