Success Story: मौजूदा वक्त में हमारे देश में बहुत सारे ऐसे युवा हैं जो नौकरी को छोड़कर खेती-किसानी में अपना हाथ आजमा रहे हैं और कामयाबी भी हासिल कर रहे हैं. ऐसी ही कहानी पानीपत के घर्मगढ़ गांव में रहने वाले प्रगतिशील किसान जितेंद्र मान की भी है जो फलों और सब्जियों की कई किस्मों की सफलतापूर्वक खेती कर रहे हैं और लाखों का मुनाफा कमा रहे हैं. किसान जितेंद्र मान 12 एकड़ भूमि पर खेती करते हैं. जिसमें से 5 एकड़ खेत पर बागवानी करते हैं बाकि 7 एकड़ में गेहूं, और जीरा आदि की खेती करते हैं.
ऐसे में आइये आज इस आर्टिकल में प्रगतिशील किसान जितेंद्र मान की सफलता की पूरी कहानी जानते हैं-
आठ सालों से कर रहे हैं खेती
हरियाणा के जिला-पानीपत, गांव-धर्मगढ़ में रहने वाले किसान जितेंद्र मान सफलतापूर्वक खेती और बागवानी दोनों करते हैं. इससे पहले इन्होंने लगभग 9 से 10 सालों तक मदर डेयरी में जॉब की है. कृषि जागरण से बातचीत में जितेंद्र मान ने बताया कि, मदर डेयरी में जॉब करते वक्त सैलरी काफी कम थी, जिससे बचत बिलकुल नहीं हो पाता था. उनके चाचा जी ने पॉली हाउस लगाने की राय दी, जिसके बाद चाचा जी के बेटे के साथ उन्होंने पॉलीहाउस लगा कर 2015 से खेती की शुरूआत की. उन्होंने शुरू में खीरे की खेती की जिसके बाद उन्होंने फ्लोरीकल्चर पर काम किया और जरबेरा, लिलियम, कार्नेशन की वैरायटी अपने पॉलीहाउस में लगाई. किसान ने बताया वो इनका मंडीकरण दिल्ली के गाजीपुर में किया करते थे.
हॉर्टिकल्चर डिपार्टमेंट से मिली मदद
किसान जितेंद्र मान ने बताया कि सब्जी की खेती छोड़कर बागवानी कर रहे हैं और ज्यादातर क्षेत्र में बाग लगा रखे हैं. उन्होंने बताया कि हमने शुरूआत में बेरी का बाग लगाया था, जिसके लिए हमने पौधे बाहर से कम कीमत के चक्कर में कलकत्ता से मंगवा लिए, जो खराब निकले और उन्हें निकालना पड़ा. इसके बाद उन्होंने नींबू लगाए, जो बाद में खराब निकले. किसान ने अपने क्षेत्र के हॉर्टिकल्चर डिपार्टमेंट में जाकर मदद मांगी जिसके बाद उन्हें लाडंवा सेंटर से मदद मिली. लांडवा सेंटर ने किसान को पौधे लगाने के साथ-साथ एक खुद का मदर ब्लॉक और नर्सरी तैयार करने के लिए कहा, जिससे वह फल और पौधों के साथ नर्सरी से भी अच्छी कर सकें.
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अमरूद और फूलों की खेती
रेड़ डायमंड अमरूद का पौधा जब किसान ने अपने खेत में लगया तो, वह काफी मंहगा था. उस समय इसका एक पौधा 100 से 150 रुपये के बीच मिला था. उन्होंने बताया कि, एक एकड़ में 700 रेड़ डायमंड अमरूद के पौधे लगाने पर 1 से 1.50 लाख का खर्च आया, जिसमें से 50 हजार रुपये हॉर्टिकल्चर डिपार्टमेंट ने अनुदान के रुप में दिया. किसान ने बताया कि, इसके साथ ही उन्होंने इंटरक्रॉपिंग में गेंदा लगाया, जिसमें उनका 30 हजार के आस-पास खर्चा आया, जिससे लगभग 1 लाख की कमाई हुई.
फसलों की खेती
किसान जितेंद्र मान अभी आड़ू, आम, सेब, पपीता, अनार, नींबू, संतरा और अंजीर की खेती करते हैं. उन्होंने बताया कि सेब की उनके पास 3 किस्में हैं जिसमें अन्ना, 199 और डोरसेट गोल्डन शामिल हैं. किसान सेब की इन किस्मों को 150-200 रुपये किलो के भाव से भी मार्केट में आसानी से बेच सकते हैं. जितेंद्र मान के पास आम की अभी आम्रपाली, अरुणिका, अंबिका, लालिमा और स्वर्ण रेखा वैरायटी है. उन्होंने बताया कि, अमरूद की उनके पास हिसार सफेदा, ताइवान पिंक और रेड डायमंड वैरायटी है. रेड डायमंड जिसे लाल हीरा भी कहा जाता है, इस अमरूद की कीमत मार्केट में लगभग 130 से 150 रुपये किलो है.
फसलों का मंडीकरण
किसान ने बताया कि, वह फूलों की सप्लाई नॉर्मल दुकानों पर देते हैं, जो सजावटी फूल बेचते हैं. अमरूद का मंडीकरण करने के लिए उन्होंने खुद का ऑउटलेट खोल रखा है जिसमें अमरूद, आड़ू, सेब और मौसम्बी और जितने भी अन्य फल हैं और प्लांट है उन्हें सेल करते हैं.
जैविक विधि से करते हैं खेती
किसान अपने खेतों में जैविक खाद का उपयोग करते हैं. वह अपने खेतों में वेस्ट डी कम्पोजर और जीव अमृत का उपयोग करते हैं, लेकिन खेतों में किसी भी प्रकार का केमिकल नहीं डालते हैं. उन्होंने बताया कि वह केवल प्राकृतिक खेती करते हैं और खेतों में देसी खाद का इस्तेमाल करते हैं. खेतों में वह कड़वे पत्तों को तोड़कर अपना खुद का केमिकल तैयार करते हैं और इसका छिड़काव करते हैं. यह वह पत्ते होते हैं जिनको गाय या पशु-पक्षी नहीं खाते हैं. छिड़काव करने के बाद बड़ी बीमारी तो नहीं रूकती है, लेकिन अगर कोई नाॉर्मल बीमारी होती है तो उसे रोका जा सकता है. नीम के पत्तों से ऑल तैयार करने के लिए उन्हें पिसकर छिड़का जाता है, जिससे फसल पर लगने वाले किट नहीं लगते हैं.
खेती में आई चुनौतियां
किसान ने बताया कि शुरूआत में जब वह पॉलीहाउस में खेती करते थे, तो उससे अधिक पैदावार प्राप्त करने के लिए काफी ज्यादा एग्रो केमिकल यानी कृषि रसायन का उपयोग करते थे. पॉलीहाउस में खेती करने पर लेबर कास्ट ज्यादा आती है, जिससे काफी बार उन्हें नुकसान उठाना पड़ा. इसके अलावा, एक बार उनके नेटहाउस में आग लग गई थी, जिससे उनकी काफी ज्यादा फसलें जल गई और उन्हें बहुत नुकसान उठाना पड़ा. किसान ने बताया, लॉकडाउन में उन्होंने शिमला मिर्च की लाल और पीली वैरायटी लगा रखी थी, जिसको एक एकड़ में लगाने पर लगभग 2 लाख का खर्च आया और उन्होंने 5 एकड़ में इसकी फसल लगाई थी जोकि मंडी में 1 रुपये के हिसाब से भी नहीं बिका.
कैसे करते हैं सिंचाई?
किसान ने बताया कि उनके यहां दोमट मिट्टी पाई जाती है जो प्लांट्स के लिए काफी अच्छी है. पानी भी काफी सही है इसका पीएच लेवल अच्छा है और पीने में भी मीठा लगता है. वही वह फसलों की सिंचाई ड्रिप इरिगेशन तकनीक द्वारा करते हैं. इसके अलावा जरूरत होने पर पौधों को खुला पानी भी देते हैं.
लागत और मुनाफा
12 एकड़ भूमि पर खेती करने में आने वाली लागत और मुनाफा पर बात करते हुए, किसान ने बताया कि, 2 एकड़ में लगे रेड डायमंड अमरूद पर तो अभी हमने इन्वेस्ट ही कर रहे हैं. इंटरक्रॉपिंग से अपना खर्चा निकाल रहे हैं, अभी उसमें हमारी कोई मुनाफा नहीं है. इसके अलावा, नर्सरी के काम से सालाना लगभग 10 से 15 लाख रुपये की कमाई कर लेते हैं. वहीं गेंहू और जीरे की खेती से लगभग 80 हजार से 1 लाख रुपये के आसपास कमाई हो जाती है.
युवाओं और किसानों के लिए संदेश
यूथ को संदेश देते हुए, किसान ने कहा कि युवाओं को कुछ अलग करना चाहिए, जैसे बागवानी, पॉलीहाउस और नेटहाउस में कुछ नया करना चाहिए. इसके अलावा, उन्होंने किसानों से भी निवेदन किया है कि वह खेती में कुछ अच्छा करें और सही तरीके से करें. किसी तरह की समस्या या परेशानी आने पर एग्रीकल्चर डिपार्टमेंट मदद लेनी चाहिए. किसानों को बागवानी जरूर करनी चाहिए, क्योंकि बाग हमारे जीवन के लिए बहुत महत्वपूर्ण है. जितेंद्र मान ने कहा कि, किसानों को अच्छी ट्रेनिंग लेकर बागवानी करनी चाहिए. मार्केट की सही जानकारी लेकर आधुनिक तरीके से खेती करनी चाहिए.
MFOI किसानों के लिए एनर्जी बूस्टर
कृषि जागरण द्वारा आयोजित और महिंद्रा ट्रैक्टर्स द्वारा प्रायोजित मिलेनियर फार्मर ऑफ इंडिया अवार्ड को जितेंद्र मान ने किसानों के लिए एनर्जी बूस्टर बताया है. मान ने कहा कि, किसान मान सम्मान का भूखा होता है, यदि किसान सम्मानित होता है और उसे अवार्ड दिया जाता है, तो इससे उसका हौसला बढ़ जाता है. कृषि जागरण के इस जज्बे के साथ किसानों का भी हौसला बढ़ा है.
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