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सिर्फ 10 हजार में शुरू की काली मिर्च की खेती, अब कमा रहे 17 लाख रुपए

देश के उत्तर-पूर्वी राज्य मेघालय में कृषि एक मुख्य पेशा है. जहां किसान मसाले और जड़ी-बूटी की खेती काफी बड़े स्तर पर करते हैं. अधिकतर किसानों ने इसे कमाई का मुख्य जरिया बना रखा है. ऐसे में आज हम एक ऐसे किसान की कहानी बताने जा रहे हैं, जिसने काली मिर्च की खेती (Black Pepper Cultivation) में बड़ा नाम कमाया है.

कंचन मौर्य
Success Story
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देश के उत्तर-पूर्वी राज्य मेघालय में कृषि एक मुख्य पेशा है. जहां किसान मसाले और जड़ी-बूटी की खेती काफी बड़े स्तर पर करते हैं. अधिकतर किसानों ने इसे कमाई का मुख्य जरिया बना रखा है. ऐसे में आज हम एक ऐसे किसान की कहानी बताने जा रहे हैं, जिसने काली मिर्च की खेती (Black Pepper Cultivation) में बड़ा नाम कमाया है.

इस किसान का नाम नानादरो बी. मारक है, जो कि बेहद कम लागत पर काली मिर्च की खेती (Black Pepper Cultivation) कर लाखों रुपए कमा रहे हैं. इसकी खेती के लिए केंद्र सरकार द्वारा सम्मानित भी किया गया है.

आपको बता दें कि मेघालय एक ऐसा राज्य है. जहां के किसान कृषि क्षेत्र में नए-नए प्रयोग करते रहते हैं. ऐसे में  मेघालय के नानादरो बी. मारक ने जैविक तरीके से काली मिर्च की खेती (Black Pepper Cultivation) करना शुरू किया. इससे कृषि में एक नया मुकाम हासिल किया है, जिसके लिए उन्हें पद्मश्री सम्मान से नवाजा गया है.

5 हेक्टेयर में शुरू की खेती

61 साल के नानादर मारक वेस्ट गारो हिल्स के अग्रणी किसानों में से एक हैं. उन्हें 1980 के दशक में अपने ससुराल से 5 हेक्टेयर जमीन विरासत में मिली थी. इसमें उन्होंने काली मिर्च के करीब 3400 पेड़ लगाएं. उन्होंने पहली बार किरामुंडा काली मिर्च की किस्म लगाई, जो कि माध्यम आकार की होती है. उन्होंने खेती की शुरुआत मात्र 10 हजार रुपए की लागत से की और 10 हजार पेड़ लगाएं. उन्होंने साल बीतने के साथ ही पेड़ों की संख्या भी बढ़ा दी. किसान का कहना है कि उस समय किसान हानिकारक रसायनों का पूरा इस्तेमाल करते थे, लेकिन उन्होंने  जैविक खेती शुरू की.

जैविक खेती को दिया बढ़ावा

खेती के दौरान नानादर बी. मारक ने पर्यावरण का भी विशेष ध्यान रखा है. बता दें कि गारो हिल्स पूरा पहाड़ी और जंगली इलाका है. जहां पेड़ों की कटाई किए बिना काली मिर्च की खेती (Black Pepper Cultivation) का दायरा बढ़ाया है. उन्होंने राज्य कृषि और बागवानी विभाग की मदद से खेती करना शुरू किया. इसके साथ ही अपने जिले के किसानों की खेती बढ़ाने में बढ़चढ़ कर मदद की. आज दुनियाभर में उनके द्वारा उपजाई गई काली मिर्च (Black Pepper) की मांग बढ़ रही है. इस तरह नानादर बी. मारक ने मेघालय में काली मिर्च की खेती में एक बड़ी मिसाल कायम की है.

केंद्र सरकार ने किया सम्मानित

नानादर बी. मारक ने साल 2019 में अपने बागान से लगभग 19 लाख रुपए की काली मिर्च का उत्पादन किया है. खास बात यह है कि किसान की यह कमाई दिन पर दिन बढ़ रही है, इसलिए केंद्र सरकार द्वारा नानादर बी. मारक को 72वें गणतंत्र दिवस के अवसर पर पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया है. इसके साथ ही खेती के क्षेत्र में की गई उनकी मेहनत और लगन की सराहना की गई है. बता दें कि नानादर बी. मारक द्वारा लगातार जैविक खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है. वह अन्य किसानों के लिए एक प्रेरणास्रोत बन चुके हैं.

कैसे करते हैं खेती

किसान ने 8-8 फीट की दूरी पर काली मिर्च के पौधे लगाए हैं. उनका कहना है कि दो पौधों के बीच इतनी दूरी रखना जरूरी है, क्योंकि इस तरह पौधों का विकास अच्छी तरह हो पाता है. जब पेड़ से काली मिर्च की फलियां तोड़ ली जाती हैं, उसके बाद सुखाने और निकालने में सावधानी बरतनी चाहिए. इसके दाने निकालने के लिए पानी में कुछ समय तक डुबाया जाता है. इसके बाद सुखाया जाता है. इस तरह दानों का रंग अच्छा हो जाता है.

खाद का इस्तेमाल

काली मिर्च की खेती के दौरान प्रति पौधों पर 10-20 किलो तक गाय के गोबर से बना खाद और वर्मी कंपोस्ट का इस्तेमाल करना चाहिए.

फली तोड़ने के लिए मशीन का इस्तेमाल

इसके अलावा काली मिर्च के पौधों से फली तोड़ने के लिए थ्रेसिंग मशीन का इस्तेमाल करना चाहिए. इस तरह फली तोड़ने का काम तेज किया जा सकता है. बता दें कि शुरू में फली में 70 प्रतिशत तक नमी होती है, जिसे अच्ची तरह सुखाकर कम किया जाता है, क्योंकि अगर नमी ज्यादा हुई, तो इसके दाने खराब होने की संभावना रहती है.

English Summary: Successful farmer earning 17 lakh rupees from pepper cultivation Published on: 12 April 2021, 04:40 PM IST

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