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Success Story: इंजीनियरिंग की नौकरी छोड़ बागवानी अपनाई, 2.5 लाख रुपए किलो वाले आम के साथ कई अन्य फसलों की कर रहे खेती

आपने महंगे फलों के बारे में जरूर सुना होगा, आज हम एक ऐसे व्यक्ति की सफल कहानी बताने जा रहे हैं, जिन्होंने कंप्यूटर इंजीनियरिंग की नौकरी छोड़कर बागवानी में हाथ आजमाया और अब अपने बाग में कई बहुमूल्य फसलों की खेती कर रहे हैं...

निशा थापा
इंजीनियरिंग की नौकरी छोड़ अब कर रहे 2.5 लाख रुपए किलो वाले आम की खेती
इंजीनियरिंग की नौकरी छोड़ अब कर रहे 2.5 लाख रुपए किलो वाले आम की खेती

किसानों के साथ-साथ अब देश के युवा भी कृषि को अपना रहे हैं. जहां पहले केवल पारंपरिक खेती की जाती थी, वहीं अब देश के किसान और युवा आधुनिक तकनीक के माध्यम से खेती में नया मुकाम हासिल कर रहे हैं. कृषि में बढ़ती रूचि को देख लोग अपनी लाखों-करोड़ों की नौकरी को त्याग कर खेती को अपना रहे हैं. आज हम इस लेख में एक ऐसे ही युवा की कहानी बताने जा रहे हैं, जिन्होंने कंप्यूटर इंजीनियरिंग की नौकरी छोड़ खेती में एक नया मुकाम हासिल किया है.

कंप्यूटर इंजीनियरिंग की नौकरी छोड़ खेती को अपनाया

कटिहार के रहने वाले प्रशांत चौधरी इन दिनों अपने जिले में खूब चर्चित हो रहे हैं. बता दें कि उन्होंने एमआईटी की डिग्री प्राप्त की जिसके बाद एक अच्छी नौकरी भी करने लगे. मगर खेती के प्रति उनकी दिलचस्पी ने उन्हें नौकरी छोड़ने पर मजबूर किया, जिसके बाद वह गांव आए और 15 एकड़ की जमीन में जैविक तरीके से बागवानी करनी शुरू कर दी.

प्रशांत चौधरी इन फलों की करते हैं खेती

प्रशांत चौधरी ने अपने बाग में संतरा, आम, काली मिर्च, काली हल्दी, चंदन, पपीता, सेब, अमरूद, नींबू, इलायची, अगर वुड, कॉफी और चंदन के पेड़ लगाए हैं. इनके बाग में आम का पेड़ बड़ा ही खास है, अब आप सोच रहे होंगे कि इसमें खास क्या? बता दें कि प्रशांत चौधरी के बाग में मियाजाकी नामक आम का पौधा लगा हुआ है. मियाजाकी आम जापान की आम की किस्म है, इसे जापान के शहर मियाजाकी में उगाया जाता है, जिस वजह से इसका नाम भी मियाजाकी आम रखा गया है. आम की इस किस्म की अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कीमत 2 से 2.5 लाख रुपए किलो है. मियाजाकी आम में कई लाभकारी गुण मौजूद होते हैं, साथ ही इसकी खेती अधिक वर्षा वाले क्षेत्र और अधिक धूप में की जाती है.

48 डिग्री तापमान में सेब की खेती

यूं तो सेब की उन्नत खेती के लिए ठंडी जलवायु वाला क्षेत्र जैसे कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड को उन्नत माना जाता है. लेकिन अब इसकी खेती बिहार के तापमान में भी संभव हो रही है. सेब की अन्ना किस्म गर्म जलवायु वाले क्षेत्र के लिए बहुत ही उपयोगी मानी गई है. इसी किस्म को प्रशांत चौधरी अपने खेतों में लगा रहे हैं.

ये भी पढ़ेंः  इंजीनियरिंग की नौकरी छोड़ शुरू की खेती आज कमा रहे हैं लाखों

प्रशांत अपने जिले के किसानों के लिए एक मिसाल के तौर पर काम कर रहे हैं. उनसे प्रेरित होकर अन्य लोग भी खेती की ओर अग्रसर हो रहे हैं.

English Summary: Prashant Chaudhary Quit engineering job and adopted horticulture, cultivating mangoes worth Rs 2 lakh per kg Published on: 13 March 2023, 01:58 PM IST

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