Apple Farming: प्रगतिशील किसान पवन कुमार गौतम, तहसील सलूणी, जिला चंबा, हिमाचल प्रदेश के रहने वाले हैं. अगर शिक्षा की बात करें तो इन्होंने 12वीं तक पढ़ाई की है. वहीं, यह पिछले 18 सालों से बागवानी कर रहे हैं. पवन कुमार बागवानी में सेब और अखरोट की बागवानी मुख्य रूप से करते हैं. उन्होंने बताया कि वह चार बीघा जमीन में सेब और तीन बीघा जमीन में अखरोट की बागवानी करते हैं. अगर मौजूदा वक्त में कृषि क्षेत्र में उनके मुख्य कार्य की बात करें, तो पवन कुमार मुख्य रूप से नर्सरी का काम करते हैं. इनकी नर्सरी का नाम भगतराम फ्रूट प्लांट नर्सरी है.
उन्होंने बताया कि वह नर्सरी तैयार कलम विधि से करते हैं. यह सेब के नए रूटस्टॉक यानी एक पौधे का वह हिस्सा, जो अक्सर भूमिगत हिस्सा होता है, उस हिस्से को काटकर पॉली हाउस में लगाकर नर्सरी तैयार करते हैं. उन्होंने बताया कि पॉली हाउस में इसका रिजल्ट काफी अच्छा मिल रहा है. आगे उन्होंने बताया कि रूटस्टॉक की जो 7-8 फुट की लंबाई हुआ करती थी, वह पूरी तरह से बेकार जाती थी, उसे हमें काटकर फेंकना पड़ता था. लेकिन अब ऐसा नहीं है.
'इस तकनीक ने बदली खेती की सूरत'
उन्होंने आगे बताया कि हमने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद-केन्द्रीय शीतोष्ण बागवानी संस्थान (ICAR-CITH), जो श्रीनगर में है. वहां की मैंने पॉली हाउस की नई तकनीक की एक वीडियो देखी. तो मैं उसे देखकर काफी प्रभावित हुआ और फिर इसके बारे में मैंने वह के वैज्ञानिक से बात की तो उन्होंने मुझे उस विधि के बारे में हर एक इनपुट के बारे में जानकारी दी. जैसे कि इसके लिए क्या कार्य करने पड़ेंगे और कितने पॉली बैग लगेंगे आदि. फिर मैं वैज्ञानिकों के द्वारा बताई गई विधि के माध्यम से नर्सरी तैयार करने लगा और मैंने उसी साल से 7 फुट के रूटस्टॉक से करीब 6 प्लांट अतिरिक्त प्राप्त किया.
इस विधि से कई गुना बढ़ी इनकम
किसान पवन कुमार ने आगे बताया कि जब प्लांट की ग्रोथ चल रही होती है, तो उसी समय इस तकनीक को अपनाना पड़ता है. जैसे कि मार्च में हमारे प्लांट की ग्रोथ होती है, तो दिसंबर तक हमें इस तकनीक को सही से पूरा कर लेना होता है. इस तरह से हमें एक रूटस्टॉक से साल में एक प्लांट की जगह 6-7 प्लांट सरलता से मिल जाते हैं. उन्होंने बताया कि इस विधि से उनकी इनकम करीब 4-5 गुना बढ़ गई है.
उन्होंने बताया कि उनके पास दो पॉली हाउस हैं. इन पॉली हाउस से वह लगभग 7 हजार प्लांट प्राप्त कर लेते हैं. अगर प्लांट की सेल की बात करें, तो पवन कुमार ने बताया कि अगर किसी को रूटस्टॉक की मांग होती है, तो हम उसे ऐसे ही सेल कर देते हैं. हम अपने प्लांट को किसान की जरूरत के अनुसार ही बेचते हैं. जैसे कि जो किसान इन प्लांट को नहीं खरीद पाते हैं, तो उनके लिए 100 रुपये वाला सस्ता प्लांट होता है. रूटस्टॉक की एक प्लांट की कीमत करीब 80- 100 रुपये है. वहीं, कलम करके प्लांट को बेचने पर इसकी कीमत 200-250 रुपये तक हो जाती है. इनकी कीमत वैरायटी के आधार पर भी होती है. वहीं, उन्होंने यह भी बताया कि वह सेब और अखरोट का मंडीकरण लोकल में करते हैं. अगर सालाना लागत और मुनाफे की बात करें तो पवन कुमार ने बताया कि नर्सरी और बागवानी में कुल लागत एक लाख रुपये तक आती है और वही, सालाना मुनाफा लगभग 15 -20 लाख रुपये है.
'नई तकनीकों के आधार पर खेती'
वही, प्रगतिशील किसान पवन कुमार ने कृषि जागरण के पाठक किसानों के लिए कहा कि किसानों को नई तकनीकों और टेक्नोलॉजी के आधार पर खेती करनी चाहिए. किसानों को इसके लिए इंस्टीट्यूट में जाना चाहिए. इसके अलावा, कृषि जागरण की एमएफओआई अवार्ड्स-2023 पहल को लेकर कहा कि कृषि जागरण की यह एक अच्छी पहल है. इससे किसानों में कृषि के प्रति उत्साह बढेगा, क्योंकि कृषि जागरण किसानों की मनोबल को बढ़ावा देने के लिए किसानों को सम्मानित कर रही है.
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