एक किसान ने अपने इरादों पर अटल रहते हुए जैविक खेती से एक नई मिसाल पेश की है। इन्होंने अपने 30 बीघे खेत को जैविक खेती करते हुए अधिकतर आलू समेत विभिन्न सब्जी की खेती की है।
यह सफल कहानी धार के रहने वाले नरेंद्र सिंह राठौर की जो आज जैविक खेती करते हुए समाज में एक अलग पहचान बना चुके हैं।
शुरुआती दौर में लागत के बदले खेती से मुनाफा कमाने में नाकामयाब होने वाले किसान नरेंद्र ने जब कुछ नया करना चाहा तो उन्होंने किसी की सलाह के बगैर तकनीकी ज्ञान हासिल किया। आज के समय में कहते हैं कि आपकी हर समस्या का हल इंटरनेट पर मौजूद है इसका उदाहरण भी इन किसान ने पेश किया है।
बहुत सारी जानकारी इंटरनेट पर खोजकर जैविक खेती से जान पहचान कर ली। फिर क्या था मात्र प्रमाण के तौर पर इन्हें सिर्फ सिद्ध करके दिखाना था। पिछले आठ सालों से वह सफलता के नए आयाम छू रहें हैं।
उनके द्वारा की जा रही जैविक खेती से एक अनूठी सफलता तो तब मिली जब उनके जिले में इस बार अधिकांश किसानों की फसल कीटों से खराब हुई तो उनकी फसल को कोई नुकसान नहीं हुआ।
इस बीच वह सिंचाईं की आधुनिकतम विधि ड्रिप इरीगेशन के द्वारा तीन-तीन फसलों की खेती एक साथ कर रहें हैं। उनका मानना है कि यदि मिट्टी की सेहत का ख्याल रखना है तो किसानों को जैविक खेती का सहारा लेना पड़ेगा।
बताते हैं कि जैविक पद्धति उपज के साथ-साथ सब्जियों के जाएको को भी बढ़ाती है क्योंकि कीटनाशकों आदि का कम से कम इस्तेमाल फसल की गुणवत्ता सिद्ध करता है।
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