केंद्र सरकार जहां एक तरफ जैविक खेती और उत्पाद को बढ़ावा देने पर ज़ोर दे रही है. वहीं कर्नाटक के हरिहर इलाके की 63 वर्षीय उद्यमी सरोजा पाटिल (Entrepreneur Saroja Patil) लगभग 20 सालों से जैविक खेती कर रही हैं. बता दें कि हमारे देश की महिलाओं ने अपने काम से दुनियाभर में डंका बजाया है, जिसमें से एक सरोजा पाटिल भी हैं.
कौन हैं सरोजा पाटिल
सरोजा भद्रावती तालुका में रहने वाली एक महिला हैं, जिन्होंने सिर्फ 10वीं पास की हुई है. बता दें कि यह अपने ग्राम की एकमात्र महिला उद्यमी हैं, जिन्होंने प्राकृतिक उत्पादों (Organic Products) को बढ़ाने का सोचा और आगे चलकर इसका बिज़नेस शुरू किया, जिसमें यह हज़ारों महिलाओं के सशक्तिकरण में मदद कर रही हैं.
जीवन की चुनौतियां
साल 1979 में सरोजा की शादी नित्तूर गांव में कर दी गई. इनके ससुराल वालों के पास 25 एकड़ खेत था, लेकिन जैसे-जैसे परिवार में तकरार बढ़ती गई, वैसे वैसे इनका परिवार अलग होने लगा था. इसके बाद इनके हिस्से में एक छोटी-सी ज़मीन रह गई थी. यही सब देखने के बाद इन्होंने अपने परिवार की आर्थिक मदद के लिए एक कॉयर प्लांट ज्वाइन किया था.
सरोजा का कहना है कि, "नारियल के कचरे को कॉयर (Coconut Waste Coir) में बदलकर मैंने गद्दे, रस्सियों और अन्य वस्तुओं का उत्पादन किया और घर पर ही एक उद्यम शुरू करने का फैसला लिया, ताकि परिवार का अच्छे से भरण पोषण हो सके."
इसके बाद सरोजा ने अपने निजी धन की सहायता से कॉयर मैट, ब्रश और अन्य सामान बनाने के लिए इकाई की व्यवस्था की. कुछ महीने बाद एक छोटा डेयरी फार्म शुरू करने के लिए गायें भी खरीदीं थी, लेकिन निराशाजनक बाजार में जैविक उत्पादों की उच्च मांग थी और खराब बुनियादी ढांचे के कारण इसकी आपूर्ति पूरी नहीं हो पाई थी. इस वजह से कंपनी को पैसा गंवाने की वजह से बंद करना पड़ा था.
प्राकर्तिक भोजन और उत्पाद
यह सब कुछ झेलने के बाद सरोजा ने प्राकृतिक भोजन और उत्पादों की तरफ अपना रुख किया. ऐसे में उनका कहना है कि "मैं हमेशा बाजरा और पारंपरिक अनाज के साथ खाना पकाने के विचार से चिंतित रही हूं. मेरे पति ने जैविक सब्जियां (Organic Vegetables) और ज्वार (Millet), रागी (Raggy), धान (Paddy) और बाजरा जैसे अनाज लगाए थे. यही वजह है कि मैंने रासायनिक मुक्त सब्जियों और खानों का कारोबार खोलने का फैसला किया."
सरोजा का आगे कहना है कि "मैंने महिलाओं और पुरुषों को समान रूप से ट्रेनिंग देना शुरू किया कि कैसे जैविक कीट प्रबंधन के लिए कृषि संसाधनों का सही उपयोग किया जाए, जिससे मिट्टी की गुणवत्ता और उत्पादकता में सुधार हो."
उपलब्धि
बता दें कि सरोजा ने केंद्र सरकार द्वारा चलाई जा रही खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय योजना (PMFME) का लाभ लिया था, जिससे उन्हें आर्थिक सहायता मिली थी. इस योजना के तहत सरोजा को आसानी से बैंक लोन मिला था.
इसके अतिरिक्त 63 किस्मों का धान विकसित करने के लिए सरोजा को 2013 में महिंद्रा समृद्धि पुरस्कार और 2008-09 में कृषि विभाग की ओर से 'कृषि पंडित' पुरस्कार दिए गए था.
कृषि विभाग के अधिकारियों ने उनके प्रयासों को देखा और उनसे प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने को कहा. इसके बाद वह उन अधिकारियों में शामिल हो गईं, जो हरिहर और राज्य के अन्य क्षेत्रों के आस-पास के 20 गांवों में किसानों को सलाह दे रहे थे. इस पर सरोजा कहती हैं कि "मैंने न केवल एक शिक्षक के रूप में सुधार किया, बल्कि मैंने अन्य किसानों से नई फसल उगाने की तकनीक भी हासिल की. कृषि से ज्ञान और राजस्व ने मुझे अपने परिवार की वित्तीय स्थिति में सुधार करने में मदद की."
तधवनम बनी इनकी पहचान
इसके बाद सरोजा ने 2014 में तधवनम नाम से अपनी एजेंसी रजिस्टर की थी, जिसमें इन्होंने अपने प्रसिद्ध केले का आटा (Banana Atta), रागी, चावल, ज्वार, और बाजरा पापड़ सहित बहुत सारे उत्पादों को बेचना शुरू किया था. इसके अलावा, इन्होंने चावल-गेहूं सेंवई, रागी की भी बिक्री करना शुरू किया.
इनकी कंपनी की ख़ास बात यह है कि इसमें रवा इडली कंबाइन, नवाने बीसी बेले टब कंबाइन, और रागी मालदी, मसाले, गुड़ और देशी जड़ी-बूटियों के साथ रागी पाउडर का कॉम्बिनेशन भी बेचा जाता है, जो इसको और आर्गेनिक कंपनियों से अलग बनाती हैं. इसके अलावा यह कई तरह के फ्लेवर की चटनी भी देती हैं.
बता दें कि सरोजा को ईश्वर थीर्टा नामक एक प्राकृतिक खाद्य निर्माता ने उन्हें वस्तुओं को बंडल करने और बेचने का तरीका सिखाया था. ऐसे में ईश्वर थीर्टा कहती हैं कि ''जहां मैंने उन्हें प्रशिक्षण दिया था, वहां सरोजा काफी आगे बढ़ चुकी हैं और मैं उनकी उपलब्धियों से खुश हूं.''
गर्व की बात है कि आज सरोजा का बिज़नेस मुंबई, अहमदाबाद, नई दिल्ली, चेन्नई और कर्नाटक जैसे स्थानों में अपनी प्राकृतिक वस्तुओं को साबित कर रहा है. इस कड़ी में सरोजा बताती हैं कि "जब इस्कॉन ने मुझसे चावल पापड़ का ऑर्डर देने के लिए संपर्क किया, तो मुझे अपने उत्पादों पर अधिक विश्वास हुआ."
ज़िंदगी के इस टर्निंग पॉइंट के बाद इनका केले का आटा भी मार्केट में तुरंत हिट हो गया था. सरोजा कहती हैं कि "यह उत्पाद केले को सुखाकर और फिर उन्हें पाउडर में बदलकर बनाया जाता है और यह मैदा के आटे का एक अच्छा विकल्प है, जिसे घरों में इस्तेमाल किया जा सकता है. ग्राहकों ने मेरे द्वारा पेश किए गए 15 स्वस्थ भोजन की सराहना भी की, जिसमें केक और मसालेदार व्यंजन ठकली शामिल थे."
कमाई और रोजगार
सरोजा का कहना है कि आप वो अपने व्यवसाय से सालाना 6 लाख रुपए की आमदनी कमा रही हैं, जिससे यह काफी संतुष्ट भी हैं. इसी कड़ी में सरोजा कहती हैं कि "मैंने 20 महिलाओं को काम पर रखा है, जो अपने शेड्यूल के मुताबिक काम करती हैं. जैविक उत्पाद एक ऐसी चीज है, जिसका मैं प्रचार करना चाहती हूं, ताकि लोग स्वस्थ भोजन को अधिक से अधिक चुने, क्योंकि बाज़ार में ऐसी चीज़ें उपलब्ध है, जिनसे हमारे शरीर को अत्यधिक नुकसान पहुंच रहा है.
इसके अतिरिक्त वह सलाह देती हैं कि इस शहर में रहने वाले हर व्यक्ति को अपने घर में जगह के अनुसार जैविक खेती करनी चाहिए, ताकि वो कुछ हद तक दूषित उत्पादों से बचा रहे. इसके साथ ही घर में बागवानी करने से वातावरण भी अनुकूल बना रहेगा.
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