परंपरागत खेती छोटे किसानों के लिए तो घाटे का सौदा थी ही लेकिन बड़े किसान भी सदैव कर्ज में डूबे रहते थे। मो. बड़ोदिया ब्लाक के गांव मोरटा मलोथर के 40 बीघा जमीन के बड़े किसान ओमप्रकाश पंवार ने परंपरागत खेती में कुछ इसी तरह महसूस किया।
कर्ज से तंग आकर इस किसान ने उद्यानिकी के साथ मिश्रित खेती को अपनाया और देखते ही देखते खेती को लाभ का धंधा बनाकर दिखा दिया। पिछले पांच सालों से यह किसान अपनी 40 बीघा जमीन में मिश्रित खेती कर सालाना 30 लाख से भी अधिक की कमाई कर पा रहे हैं। किसान ने इस बार भी गेहूं, चना, मसूर, मेथी, रायड़ा, कलौंजी, चंद्रसुर, संतरा, आलू, प्याज, लहसुन, नीबू, मूंग, उड़द, मक्का व हरी सब्जी के साथ दर्जनभर से अधिक तरह की फसल उगाई है। इसके अलावा पूरी जमीन में रासायनिक खाद की जगह जैविक खाद का उपयोग किया गया है।
मोरटा मलोथर के किसान ओमप्रकाश पंवार ने 6 बीघा जमीन में संतरा व औषधि फसल चंद्रसुर की एक साथ पैदावारी ली। रबी की फसल की बोवनी के समय के पूर्व किसान ने संतरे के बगीचे में एक किलो प्रति बीघा के हिसाब से खेत में 6 किलो चंद्रसुर की बोवनी कर दी। कम सिंचाई व 1300 रुपए प्रति बीघा की लागत लगाकर किसान ने इस जमीन से 4 क्विंटल प्रति बीघा के मान से 24 क्विंटल चंद्रसुर की पैदावारी ली है। वर्तमान बाजार भाव के हिसाब से जिसकी कीमत सवा लाख रुपए के करीब है। इसी खेत में लगे संतरे के पेड़ भी संतरे के फलों से लदालद हो रहे हैं। करीब 150 क्विंटल से अधिक संतरे की फसल की पैदावारी आने का अनुमान है। संतरे की फसल से भी किसान को लगभग साढ़े 7 लाख रुपए से अधिक की कमाई होगी। इस तरह किसान को 6 बीघा जमीन की एक साथ की गई दोनों फसलों से 9 लाख रुपए की आमदनी होगी।
ग्रामीण उद्यान विस्तार अधिकारी, मो. बड़ोदिया बीसी सौराष्ट्रीय का कहना है मो. बड़ोदिया विकासखंड में 5 वर्ष पहले कुछ चुनिंदा किसान ही 5 हेक्टेयर जमीन के रकबे में उद्यानिकी व औषधी खेती करते थे, लेकिन अब विकासखंड में 150 किसान 55 से 60 हेक्टेयर जमीन में उद्यानिकी के साथ तुलसी, अश्वगंधा, इसबगोल, चंद्रसुर, कालमेद, सफेद मूसली, एपल बैर, पुष्प व सीताफल के साथ कई प्रकार की औषधीय खेती कर रहे हैं। विकासखंड में पांच सालों में उद्यानिकी व औषधि खेती का रकबा 10 गुना से भी अधिक बढ़ गया है। इसी बीच इस विकासखंड में नेट हाउस की संख्या भी बढ़कर 15 हो गई है।
खेती करने का तरीका बदल ये किसान कमा रहा सालाना 30 लाख से भी ज्यादा
परंपरागत खेती छोटे किसानों के लिए तो घाटे का सौदा थी ही लेकिन बड़े किसान भी सदैव कर्ज में डूबे रहते थे। मो. बड़ोदिया ब्लाक के गांव मोरटा मलोथर के 40 बीघा जमीन के बड़े किसान ओमप्रकाश पंवार ने परंपरागत खेती में कुछ इसी तरह महसूस किया।
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