इस साल आप रक्षाबंधन पर पैसा कमाना चाहते हैं, तो हम आपको ऐसे बिजनेस आइडिया के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसे आप अपने घर से ही शुरू कर सकते हैं. सभी जानते हैं कि रक्षाबंधन का पर्व आते ही बाजार में विभिन्न डिज़ाइन की राखियां बिकने लगती हैं. इन दिनों भी राखियों की बहुत मांग है.
अगर आपके अंदर सुंदर राखी बनाने की कला है, तो आप होममेड राखी बनाकर बेच सकते हैं. वैसे ये बिजनेस नया नहीं है, आज के समय में कई लोग राखी बनाने का बिजनेस कर रहे हैं और इसमें दिल्ली की रहने वाली अंकिता गर्ग भी शामिल हैं. दरअसल, पिछले साल से ही अंकिता गर्ग राखियां बना रही हैं और उनकी राखियों की खासियत यह है कि वह बीज वाली राखियां बनाती हैं. आइए आपको अंकिता गर्ग द्वारा बनाई गई राखियों की जानकारी देते हैं, जिससे आप भी आसानी से राखी बनाने का बिजनेस शुरू कर पाएंगे.
राखी बनाने का बिजनेस (Rakhi Making Business)
अंकिता गर्ग का कहना है कि हर साल हम लगभग 60 करोड़ राखियां डंप करते हैं और हर राखी में मोती और डिजाइन प्लास्टिक की होती है. यहां तक की धागे भी प्लास्टिक के होते हैं. ऐसे में आप केवल धागा, कपड़ा, कागज़, शंख, कोड़ियाँ और तमाम ऐसी ही चीज़ों के इस्तेमाल से राखी बना सकते हैं.
राखियों को बनाएं खास (Make Rakhis Special)
खास बात यह है कि आप एक अलग तरीके से राखियां बना सकते हैं, जैसे कि अंकिता गर्ग बनाती हैं. वह राखी बनाते समय तुलसी, गेंदे, गुलाब जैसे फूल, और भिंडी, चुकंदर, करेला, टमाटर, मिर्च, लौकी जैसी सब्ज़ियों के बीज डालती हैं. इसके साथ ही राखियों को और सुंदर बनाने के लिए सिलाई-कढ़ाई, घर में बनाए गए रीसाइकल्ड प्लांटेबल पेपर का इस्तेमाल करती हैं. आप भी राखी बनाते समय कागज़ से अलग-अलग कलाकृतियां बना सकते हैं, उनके बीच बीज लगा सकते हैं.
प्रकृति राखी बनाएं (Make Nature Rakhi)
अगर आप राखी का बिजनेस करना चाहते हैं, तो शंख वाली राखी भी बना सकते हैं. इस राखी को बनाते समय शंक के खोल में बीज डाल दें, फिर उन्हें चिपकाकर राखी बनाएं. इससे बीज शंख में रहते हैं. खास बात यह है कि आप आप सीधे प्लास्टिक वाली राखी से एक ऐसी राखी पर स्विच कर सकते है, जो पौधा बन जाएगी. इन राखियों का नाम 'प्लांटेबल राखी' है. इन प्लांटेबल राखियों का दाम प्लास्टिक राखियों से भी कम होता है.
प्राकृतिक राखियों की कीमत (Price of Natural Rakhis)
अंकिता गर्ग का कहना है कि आप 30, 40 रुपए से लेकर 70 रुपए में प्रकृति के स्पर्श वाली राखी खरीद सकते हैं. इनमें प्लास्टिक का नामात्र भी इस्तेमाल नहीं होता है.
जानकारी के लिए बता दें कि अंकिता गर्ग शुरुआत से ही प्रकृति की तरफ आकर्षित रही हैं. इसका कारण वे अपने पिताजी को बताती हैं. वे बताती हैं कि बचपन में जब सब सवाल पूछते थे, मेरे भगवान कौन हैं, इस सवाल पर मेरे पिताजी ने एक बता कही थी, भगवान शब्द को खोलोगे तो बनेगा भ से भूमि, ग से गगन, व से वायु, अ से अग्नि और न से नीर यानी हमारे पंचतत्व और बस, तब से आज तक, मैं प्रकृति के लिए अपनी भक्ति इस तरह जता रही हूँ. इस राह में उन्होंने अनर्थ से अर्थ नाम से एक शुरुआत की है. वह लोगों की आर्थिक बचत या बेकार सामान को इस्तेमाल करने की कोशिश करना चाहती हैं. उसी का पहला पड़ाव ये राखियां हैं. आप भी प्लास्टिक की राखियों की जगह कला और प्रकृति के संगम से बनी राखियों का निर्माण कर सकते हैं. यह भारत की संस्कृति और भाई बहन के रिश्ते को पवित्र और अमर बना देंगी.
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