फलों के राजा आम का नाम सुनते ही हमारे मुंह में पानी आना स्वाभाविक है. गर्मियों के मौसम में आम ही एक ऐसा फल है जो हमको गर्मियों का एहसास कम होने देता है. हमारे देश में आम अलग-अलग स्थानों पर मौसम और वहां की जलवायु के आधार पर अपनी खासियत के लिए पूरे विश्व में अपनी जगह बनाए हुए हैं.
लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत में सभी आम की किस्में पहले से ही यहां उपलब्ध नहीं थीं. आम की बहुत सी किस्में तो भारत में ऐसी हैं जिन्हें देश के किसानों और कृषि वैज्ञानिकों ने खुद ही इजात किया है. उत्तर भारत में आम के मौसम में खाया जाने वाला सबसे ज्यादा दशहरी आम होता है. यह आम सामान्य रूप से बाज़ार में उपलब्ध हो जाता है और बाज़ार के अनुसार इसके दाम भी ऐसे होते हैं कि यह हर गरीब और अमीर की पसंद बना रहता है.
क्या है इस आम का इतिहास
इस आम के बारे में बात करें तो यह भारत में लगभग 18वीं शताब्दी में आया. इसकी शुरुआत भारत में उत्तर प्रदेश के जिले लखनऊ के एक गाँव से हुई थी. लखनऊ में स्थित इस गाँव का नाम दशहरी गाँव है. यह भी कहा जाता है कि इस गाँव के नाम के कारण ही इस आम को दशहरी नाम दिया गया. लखनऊ में हरदोई रोड पर स्थित एक शहीद स्मारक है जिसे काकोरी स्मारक के नाम से जाना जाता है. उससे कुछ ही दूरी पर स्थित है यह गाँव. इस गांव में दशहरी आम का एक बहुत पुराना पेड़ है. अगर गांव वालों की माने तो यह दुनिया का पहला दशहरी आम का पेड़ है.
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कहां पाया जाता है दशहरी आम और क्या ख़ास है इस आम में
उत्तर भारत की सबसे पसंदीदा आम की किस्म को लेकर बात करें तो यह दशहरी आम ही होता है. यह दाम में भी सभी को आसानी से उपलब्ध हो जाने वाले आमों में से एक होता है. लेकिन अगर आप इसकी खेती का प्लान बना रहे हैं तो कुछ ख़ास बातों का ध्यान रखना जरुरी होता है. इस आम के रोपड़ के लिए सबसे सही मौसम वर्षा का होता है. जुलाई अगस्त के महीने में इसकी बुआई की जाती है अगर भूमि सिंचित है तो इसकी बुआई को फ़रवरी-मार्च में भी किया जा सकता है. यह पौधे ज्यादा ठण्ड को सहन नहीं कर पाते हैं.
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यह आम भारत के लगभग सभी क्षेत्रों में पाया जाता है. भारत में यह आम उत्तरी भारत, दक्षिण में आंध्र प्रदेश, नेपाल और पाकिस्तान में उगाई जाने वाली सबसे पसंदीदा आम की किस्म है. बाज़ार में यह 50 रुपये से लेकर 250 रुपये किलो तक में मिल जाता है.
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