छत्तीसगढ़ में धान की 23 हजार किस्मों में से राजधानी के कृषि वैज्ञानिकों ने एक नई प्रकार की वैराइटी प्रोटजीन को विकसित कर लिया है. इस किस्म की खास बात यह है कि यह किस्म जिंक और प्रोटीन से भरपूर होगी. जल्द ही इसको बाजार में लांच कर दिया जाएगा. दरअसल यहां के इंदिरा गांधी कृषि विवि के द्वारा तैयार की गई धान, गेहूं, दलहनी फसल समेत अन्य की 18 तरह की वैरायटी पर राज्य के शासन ने मुहर लगा दी है. जल्द ही वैरायटी बाजार में उपलब्ध होगी. बता दें कि प्रोटेजीन नामक धान की इस वैरायटी को विकसित करने में विश्वविद्यालय को काफी ज्यादा समय लगा है. इसकी फील्ड में भी टेस्टिंग की गई है. वैज्ञानिकों का दावा यह है कि राज्य में पाई जाने वाली धान की अन्य वैरायटियों की तुलना में इसमें जिंक और प्रोटीन की मात्रा ठीक रहें.
धान के अलावा हंसा भी है खास
फिलहाल प्रोटेजीन की पककर तैयार होने की अवधि भी 124 से 128 दिनों के बीच में है. जबकि ज्यादातर वैरायटी 135 दिनों में पक रही है. इस किस्म की उपज 4500 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर है. यह सामान्य से अधिक है. इसके अलावा इसके अंदर कई अन्य तरह की खूबियां है जो कि इसको बेहद ही खास बनाती है. धान के अलावा गेंहू कि नई किस्म छत्तीसगढ़ हंसा को भी बेहद ही खास माना जा रहा है. इसमें भी जिंक की काफी बेहतर मात्रा है. इस फसल को पक कर तैयार होने में 113 से 137 दिनों का समय लगता है. कुलपति ने कहा कि नई किस्मों की उपलब्ध वैरायटियों को डेवलप किया गया है, सके अंदर काफी ज्यादा खूबियां है. जल्द ही धान की और किस्में सामने आएगी.
जिंक बढ़ाता प्रतिरोधक क्षमता
जिंक के सहारे शरीर में प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है. इसकी कमी से त्वचा में रूखापन और आंखों की रोशनी कम होने लगती है. प्रोटीन शरीर की कार्यप्रणाली को दुरूस्त करने में मददगार होता है. मांसपेशियां मजबूत होती है. प्रोटीन की कमी होने से किडनी से संबंधित रोग होने शुर होने की संभावना बढ़ जाती है. इसके बाद कृषि विवि से तैयार की गई विभिन्न किस्मों को राज्य हेतु अनुमोदित किया गाया है. इसके तहत बस्तर धान एक, छत्तीसगढ़ी लेमन ग्रास, , छत्तीसगढ़ी चना 1, छ्ततीसगढ़ कुसुम समेत कई तरह की किस्मों को जारी किया गाया है. इसके अलावा आम की कुछ वैरायटी जैसे की स्वर्णप्रभा, छ्तीसगढ़ी आचार आदि है.
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