देश में किसान अब पारंपरिक खेती से ज्यादा अन्य फसलों को तवज्जो दे रहे हैं. गेहूं, धान जैसी पारंपरिक फसलों के साथ ही किसान अब नई फसलों की खेती कर रहे हैं. फल, सब्जी और औषधिय फूल भी बड़े पैमाने पर उगाए जा रहे हैं. फलों में भी नई-नई किस्मों की खेती की जा रही है. जिसका परिणाम है कि किसानों को मुनाफा भी ज्यादा हो रहा है. ऐसे में आपको एक नई फसल की जानकारी दे रहे हैं. पीले और हरे केले के बाद अब लाल केले की खेती उत्तर भारत में की जा रही है. जो किसानों के लिए मुनाफेमंद साबित हो रही है.
लाल केले के फायदे -
वैज्ञानिकों के मुताबिक लाल केले में पोटेशियम, आयरन और विटामिन ज्यादा होता है. इस केले में शुगर की मात्रा भी कम होती है. वहीं हरे और पीले केले के मुकाबले बीटा कैरोटीन अधिक होता है. बता दें बीटा कैरोटीन धमनियों में खून के थक्के को जमने से रोकता है, इसलिए लाल केला कैंसर और दिल से जुड़ी बीमारियों को दूर रखने में मददगार है. रोजाना एक लाल केला खाने से शरीर के लिए जरूरी फाइबर की आपूर्ति होती है डायबिटीज होने का खतरा भी कम होता है इन सभी गुणों की वजह से खेती फायदेमंद है.
पीले केले से महंगा लाल केला-
बता दें लाल केले की कीमत 50 रुपये किलो से 100 रुपये के आसपास होती है, जो की पीले केले की कीमत के मुकाबले अधिक है. इतना ही नहीं इसके हर गुच्छे मे 80 से 100 फल होते हैं, इन फलों का वजन 13 से 18 किलो तक होता है. इस केले का तना लाल रंग का और पेड़ लंबा होता हैं, लाल केले का स्वाद बहुत ही मीठा होता है, लेकिन इस किस्म की खेती ठाणे क्षेत्र में की जाती है. वहीं लाल केले की नस्ल शुष्क जलवायु के अनुकूल मानी जाती है और खेती भी सामान्य केलों की तरह ही की जाती है.
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यहां होती है लाल केले की खेती –
लाल केले के बारे में शायद कम ही लोगों को जानकारी होगी. उत्तर भारत के ज्यादातर लोगों को शायद लाल केले के बारे में पता हो. लेकिन आपको बता दें देश के कुछ राज्य ऐसे हैं, जहां लाल केले की खेती की जा रही है. महाराष्ट्र के जलगांव और सोलापुर में लाल केले की खेती होती है. इसके अलावा उत्तर भारत के राज्यों में भी अब लाल केले की खेती होने लगी है. खेती की तकनीक की बात करें तो अब इसके लिए कोई खास विधि की जानकारी नहीं मिली है. लाल केले की खेती पीले केले की तरह ही की जा रही है.
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