भारतीय परिवार में दूध का एक खास महत्व है. मां अक्सर अपने बच्चों को दूध पीने के फायदे बताते हुए कहती हैं, "दूध पियोगे तो ताकतवर बनोगे और जल्दी बड़े होगे." यह सच भी है क्योंकि दूध पोषण का एक अमूल्य स्रोत है. इसमें प्रोटीन, कैल्शियम, विटामिन डी और अन्य पोषक तत्व मौजूद होते हैं, जो हमारी सेहत के लिए बेहद फायदेमंद हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि हर साल 26 नवंबर को राष्ट्रीय दुग्ध दिवस/National Milk Day मनाया जाता है? यह दिन भारत के डेयरी उद्योग में अहम होता है. दरअसल, देश में यह खास दिन "भारत के मिल्कमैन" के नाम से मशहूर डॉ. वर्गीज कुरियन के सम्मान में मनाया जाता है.
कौन है डॉ. वर्गीज कुरियन?
जैसा कि आपको ऊपर बताया गया कि राष्ट्रीय दुग्ध दिवस श्वेत क्रांति के जनक डॉ. वर्गीज कुरियन के सम्मान में मनाया जाता है. डॉ. वर्गीज कुरियन का जन्म 26 नवंबर 1921 को केरल के कोझिकोड में हुआ था. डॉ. कुरियन को भारत में दुग्ध उत्पादन और डेयरी उद्योग में क्रांति लाने का श्रेय दिया जाता है. उनके नेतृत्व में ऑपरेशन फ्लड जैसे प्रोजेक्ट्स ने भारत को दूध की कमी से उबारते हुए दुनिया का सबसे बड़ा दुग्ध उत्पादक देश बना दिया. बता दें कि राष्ट्रीय दुग्ध दिवस की शुरुआत 2001 में राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (NDDB), भारतीय डेयरी संघ (IDA) और 22 राज्य स्तरीय दुग्ध संघों के साथ मिलकर की गई थी. तब से हर साल यह दिवस पूरे उत्साह और गर्व के साथ मनाया जाता है.
भारत में श्वेत क्रांति के जनक डॉ. वर्गीज कुरियन
डॉ. वर्गीज कुरियन का जन्म एक सीरियाई ईसाई परिवार में हुआ था. अगर इनकी पढ़ाई की बात करें तो इन्होंने लॉयला कॉलेज से अपना स्नातक पूरा किया और फिर चेन्नई के गिंडी कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग से डिग्री हासिल की. पढ़ाई में उनकी प्रतिभा के कारण उन्हें भारत सरकार की तरफ से स्कॉलरशिप भी प्राप्त हुई थी, जिससे उन्होंने विदेश में उच्च शिक्षा प्राप्त की.
डॉ. कुरियन ने भारत के डेयरी क्षेत्र को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाने के लिए कई कार्य किए. वे ऐसे पहले व्यक्ति थे, जिन्होंने भैंस के दूध से पाउडर बनाने की प्रक्रिया को सफलतापूर्वक विकसित किया. यह एक महत्वपूर्ण उपलब्धि थी, क्योंकि उस समय बाकी दुनिया केवल गाय के दूध से पाउडर बनाती थी. उनकी इस खोज ने भारत को डेयरी क्षेत्र में नई ऊंचाइयों पर पहुंचा दिया.
मिल्क इंडस्ट्री में नया आयाम
डॉ. कुरियन ने भारत की दुग्ध उद्योग की दिशा और दशा दोनों को बदल दिया. उन्होंने ऑपरेशन फ्लड के जरिए न केवल दूध की उत्पादन क्षमता बढ़ाई, बल्कि भारत को आत्मनिर्भर बनाया. इसके चलते भारत आज दूध उत्पादन में विश्व में पहले स्थान पर है. डॉ. कुरियन के प्रयासों का ही नतीजा है कि भारत का प्रसिद्ध अमूल ब्रांड अस्तित्व में आया. उनकी योजना और रणनीतियों ने लाखों किसानों को आत्मनिर्भर बनने का अवसर दिया और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाया.
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि डॉ. वर्गीज कुरियन को उनके योगदान के लिए कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया. इनमें प्रमुख हैं:
- रैमन मैग्सेसे पुरस्कार
- पद्म विभूषण
- वर्ल्ड फूड प्राइज
राष्ट्रीय दुग्ध दिवस का उद्देश्य
- डेयरी उद्योग में डॉ. कुरियन के योगदान को याद करना.
- दूध और दुग्ध उत्पादों के महत्व को समझाना.
- किसानों और दुग्ध उत्पादकों को प्रोत्साहित करना.
- लोगों को दूध के पोषण संबंधी फायदों के प्रति जागरूक करना.
राष्ट्रीय दुग्ध दिवस है एक प्रेरणा
राष्ट्रीय दुग्ध दिवस केवल दूध के महत्व का उत्सव नहीं है, बल्कि यह डॉ. वर्गीज कुरियन की दृष्टि और मेहनत को सम्मानित करने का भी दिन है. यह हमें याद दिलाता है कि किस तरह एक व्यक्ति ने अपनी दूरदृष्टि और संकल्प से पूरे देश को आत्मनिर्भर बनाया. यह दिवस भारत के डेयरी किसानों की मेहनत और योगदान का प्रतीक है और हमें उनके प्रति आभार व्यक्त करने का अवसर भी देता है.
Share your comments