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मोटा अनाज: अतिरिक्त आय और बेहतर स्वास्थ्य

जैसा कि आप जानते हैं कि भारत अंतरराष्ट्रीय पोषक अनाज वर्ष 2023 मना रहा है. इसी के चलते देश के किसानों को मोटा अनाज की खेती (Cultivation of Millet Cereals) व इसके फायदे को लेकर जागरूक किया जा रहा है.

KJ Staff
मोटा अनाज से किसानों की आय में होगी बढ़ोतरी
मोटा अनाज से किसानों की आय में होगी बढ़ोतरी

भारत  अंतर्राष्ट्रीय  पोषक  अनाज  वर्ष 2023  को  ’जन आंदोलन’ बनाने के साथ-साथ भारत को ’वैश्विक  पोषक  अनाज  हब’  के रूप में स्थापित करने के दृष्टिकोण को साझा किया है। वर्ष 2023 में अंतर्राष्ट्रीय पोषक अनाज वर्ष मनाने के भारत के प्रस्ताव को वर्ष 2018 में खाद्य और कृषि संगठन (FAO) द्वारा अनुमोदित किया गया था तथा संयुक्त राष्ट्र महासभा ने वर्ष 2023 को अंतरराष्ट्रीय पोषक अनाज वर्ष के रूप में  घोषित किया है। इसे संयुक्त राष्ट्र के एक प्रस्ताव द्वारा अपनाया गया और इसका नेतृत्व भारत ने किया तथा 70 से अधिक देशों ने इसका समर्थन किया।

कदन्न  एक  उच्चतर    छोटे  बीज  वाली  घास  का  एक  समूह  है,  जो  व्यापक  रूप  से  चारे  और  मानव  भोजन  के  लिए  अनाज  की  फसलों  या  अनाज  के  रूप  में  दुनिया  भर  में  उगाया  जाता  है।  कदन्न  फसलें  एक  टैक्सोनोमिक  समूह  नहीं,  बल्कि  एक  एग्रोनॉमिक  समूह  है।  कदन्न  (मिलेट)  फसलों  के  समूह  में  ज्वार,  बाजरा,  रागी  (फिंगर  मिलेट),  कोंगनी  (फॉक्सटेल  मिलेट),  कुटकी  (लिटिल  मिलेट),  सावां  (बार्नयार्ड  मिलेट),  चेना  (प्रोसो  मिलेट)    केद्रव  (कोदो  मिलेट)  शामिल  हैं।  मेजर  मिलेट  में  ज्वार  एवं  बाजरा  जब  कि  माइनर  मिलेट  में  फिंगर  मिलेट,  फॉक्सटेल  मिलेट,  लिटिल  मिलेट,  बार्नयार्ड  मिलेट,  प्रोसो  मिलेट    कोदो  मिलेट  आती  हैं।  कदन्न  दुनिया  के  शुष्क  भूमि  क्षेत्रों  की  मुख्य  फसलें  हैं।  भारत  में,  लगभग  17  मिलियन  हेक्टेयर  में  कदन्न  फसलें  उगाई  जाती  हैं  जोकि  18  मिलियन  टन  के  वार्षिक  उत्पादन  के  साथ  देश  के  अन्न  भंडार  में  8-10  प्रतिशत  का  योगदान  देती  हैं।  इसके अलावा  कदन्न  फसलों  से  पशुओं  के  लिए  सूखा  चारा  भी  मिलता  है।

लगभग एक सुपर फूड है बाजरा

बाजरा बहुत कठोर होता है। शुष्क, अर्ध-शुष्क और सूखा प्रभावित क्षेत्रों में इसकी फसल काफी अच्छी तरह विकसित होती है। बाजरे की फसल लगभग हर मौसम को सहन कर लेती है। प्रमुख अनाज के रूप में पॉपुलर-गेहूं और चावल के साथ तुलना करने पर बाजरा तनिक भी कमतर नहीं। बाजरे में वनज से अधिक प्रोटीन होता है। फलों और ग्रीन टी की तुलना में इसमें सूक्ष्म पोषक तत्वों का भी भंडार होता है। इसके फायदों को देखते हुए बाजरे को ’न्यूट्रास्युटिकल्स’ नाम दिया है- एक सुपरफूड।

बाजरा से सेहत को मिलते हैं ये लाभ

ऊर्जा का स्तर

बाजरे की रोटी खाने से सेहत स्वस्थ रहती है, अगर गेहूं या फिर चावल की बात करें तो बाजरे में ऊर्जा का स्तर कई गुना ज्यादा पाया जाता है।

हड्डियों की परेशानी

बाजरे में कैल्शियम भरपूर होता है, जिससे हड्डियों  की  परेशानी  दूर  होती  है।  बाजरे  की  रोटी  खाने  वाले  को  हड्डियों  में  कैल्शियम  की  कमी  से  पैदा  होने  वाला  रोग  आस्टियो  पोरोसिस  और  हड्डियों  के  रोग  नहीं  होंगे।  कैल्शियम  हड्डियों  के  लिए  रामबाण  औषधि  है।  खासतौर  पर  गर्भवती  महिलाओं  ने  कैल्शियम  की  गोलियां  खाने  के  स्थान  पर  रोज  बाजरे  की  दो  रोटी  खानी चाहिए।

कुपोषण

यदि बाजरे का नियमित रूप से सेवन किया जाए तो यह कुपोषण, क्षरण सम्बन्धी रोग और असमय वृद्ध होने की प्रक्रियाओं को दूर करता है। बाजरे में उपस्थित रसायन पाचन की प्रक्रिया को धीमा करते हैं।

खून की कमी से होने वाले रोग

बाजरे में आयरन भी इतना अधिक होता है कि खून की कमी से होने वाला रोग एनीमिया नहीं होता है।

लीवर की सुरक्षा

बाजरा लीवर से संबंधित रोगों को भी कम करता है। लीवर की सुरक्षा के लिए भी बाजरा खाना लाभकारी है।

रक्त में शकर की मात्रा

गेहूं और मक्का के मुकाबले बाजरा में ज्यादा न्यूट्रिएंट्स पाए जाते हैं और ये ग्लूटेन फ्री होते हैं। इसमें प्रचुर मात्रा में डाइटरी फाइबर, प्रोटीन मौजूद होता है। इसके अलावा अमीनो एसिड, विटामिन और मिनरल्स ब्लड शुगर स्तर को संतुलन रखने में मदद करते हैं।

कोलेस्ट्रॉल की मात्रा

इसमें लेसिथिन और मिथियोनिन नामक अमीनो अम्ल होते हैं जो अतिरिक्त वसा को हटाकर कोलेस्ट्रॉल की मात्रा को कम करते हैं।

वजन

बाजरा वजन कम करने में भी मददगार होता है। इसके नियमित सेवन से तेजी से वजन घटाया जा सकता है। बाजरे के आटे की रोटी नियमित रूप से खाने से वजन कंट्रोल किया जा सकता है। चावल के बजाय बाजरा का सेवन मोटापे से परेशान लोगों के लिए फायदेमंद होता है। बाजरा खाने से आंतों के स्वास्थ्य को बेहतर करने में मदद मिलती है।

त्वचा स्वास्थ्य

बाजरा के नियमित सेवन से त्वचा से जुड़ी परेशानियों में भी काफी सुधार आता है। बाजरा में प्रोटीन के अलावा मौजूद माइक्रोन्यूट्रीएंट्स त्वचा स्वास्थ्य को बेहतर रखने में मददगार होते हैं। इसमें मौजूद आयरन, जिंक, विटामिन बी-3 स्किन के लिए फायदेमंद होता है।

दिल की सेहत के लिए लाभकारी

बाजरा का किसी भी रूप में सेवन दिल की सेहत के लिए बेहद फायदेमंद होता है। इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स जैसे- बीटा-ग्लूटेन, फ्लेवोनॉयड्स आदि, ज्यादा कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद करते हैं। इसके साथ ही रक्त धमनियों को स्वस्थ रखने के साथ ही बाजरा खून के थक्के को भी दूर करने में मदद करता है। इससे दिल संबंधी बीमारियों और स्ट्रोक का खतरा काफी कम हो जाता है।

कैंसर कोशिकाओं से लड़ने की क्षमता

रिसर्च में ये साबित हो चुका है कि बाजरा कैंसर कोशिकाओं से लड़ने में भी सहायक होता है। मौजूद तत्व सामान्य कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाए बिना ब्रेस्ट, कोलोन, लिवर में मौजूद कैंसर कोशिकाओं से लड़ते हैं।

पाचन

बाजरा में काफी मात्रा में डाइटरी फाइबर मौजूद होता है जो हमारे पाचन तंत्र को बेहतर करने में मदद करता है। बाजरा के नियमित सेवन से कब्ज, पेट में जलन, मरोड़ सहित पेट संबंधी कई परेशानियां दूर होने लगती हैं। इसके अलावा बाजरा लिवर, किडनी और इम्यून सिस्टम को भी बेहतर करता है।

अस्थमा

बहुत से लोगों को सांस संबंधी बीमारी होती है जिसकी वजह से उन्हें अकसर सांस लेने में परेशानी का सामना करना पड़ जाता है। जिन लोगों को अस्थमा की समस्या है, उन्हें इससे छुटकारा हासिल करने के लिए बाजरे का सेवन नियमित रूप से करना चाहिए। इसके अंदर ऐसे गुण पाए जाते हैं, जो अस्थमा की रोकथाम करते हैं। इसलिए इस बीमारी से छुटकारा हासिल करने के लिए अपने भोजन में बाजरा जरूर शामिल करें।

प्राकृतिक रूप से शरीर शांत

बाजरे की खपत से शरीर प्राकृतिक रूप से शांत होता है। यह एंग्जायटी, डिप्रेशन और नींद न आने की बीमारियों में फायदेमंद होता है। यह माइग्रेन के लिए भी लाभदायक है।

बाजरा के भूसे और अन्य

कृषि अपशिष्ट का उपयोग करके जैविक उर्वरक का उत्पादन करेगा। यह खाद बाजरे की खेती और अन्य फसलों के लिए फायदेमंद होगी और किसानों को महंगे रासायनिक उर्वरकों का विकल्प मुहैया कराएगी।

बाजरा आधारित कारीगर खाद्य उत्पादन स्टार्टअप

यह स्टार्टअप बाजरे के आटे का उपयोग करके पारंपरिक और पारंपरिक खाद्य उत्पादों, जैसे डोसा और इडली का उत्पादन करेगा। यह किसानों को उनकी फसल के लिए एक नया बाजार प्रदान करेगा और उपभोक्ताओं के बीच बाजरा आधारित खाद्य उत्पादों की खपत को बढ़ावा देगा।

बाजरा आधारित पशुधन चारा उत्पादन स्टार्टअप

यह स्टार्टअप बाजरे के भूसे और अन्य कृषि अपशिष्ट का उपयोग करके उच्च गुणवत्ता वाले पशुधन फीड का उत्पादन करेगा। यह किसानों के लिए फायदेमंद होगा, क्योंकि इससे उनके चारे की लागत कम होगी और उनके पशुओं के स्वास्थ्य में सुधार होगा।

बाजरा आधारित ईको-टूरिज्म स्टार्टअप

यह स्टार्टअप हरियाणा में बाजरा के खेतों का भ्रमण कराकर ईको-टूरिज्म को बढ़ावा देगा। यात्राएं शैक्षिक और सूचनात्मक होंगी, और खाद्य सुरक्षा और टिकाऊ कृषि के लिए बाजरे की खेती के महत्व पर प्रकाश डालेगी। यह स्टार्टअप किसानों को पर्यटन के माध्यम से आय का एक अतिरिक्त स्रोत प्रदान करेगा और यह बाजरे की खेती और इसके लाभों को बढ़ावा देने का एक शानदार तरीका भी होगा।

कुल मिलाकर, अंतर्राष्ट्रीय बाजरा वर्ष (2023) हरियाणा में किसानों के लिए बाजरा उगाने में अपनी विशेषज्ञता को बढ़ावा देने और फसल के मूल्य और स्थिरता को बढ़ाने का एक मूल्यवान अवसर है। यह खाद्य सुरक्षा में सुधार, गरीबी को कम करने और किसानों के लिए आय बढ़ाने और उपभोक्ताओं के लिए स्वस्थ और अधिक पौष्टिक भोजन विकल्प प्रदान करने में भी मदद कर सकता है।

सरोज देवी,  पवन कुमार,  रवि और सुरेंद्र मित्तल
कृषि विज्ञान केंद्र,  जींद
चौधरी चरण सिंह, हिसार, हरियाणा, कृषि विश्वविद्यालय
Email-id:- [email protected]

English Summary: Millets: Extra Income and Better Health Published on: 01 August 2023, 06:27 PM IST

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