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Rupee History: कौड़ी से लेकर रुपये तक का पूरा सफर, जानें भारतीय करेंसी का दिलचस्प इतिहास

Rupee History: भारतीय रुपया जिसका इस्तेमाल हम लोग व्यापार, खरीददारी और वित्तीय लेन-देन में करते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारतीय रूपये का इतिहास क्या है और भारतीय करेंसी कैसे बनती है.

लोकेश निरवाल
भारतीय करेंसी का इतिहास, सांकेतिक तस्वीर
भारतीय करेंसी का इतिहास, सांकेतिक तस्वीर

रूपया भारत की प्रमुख मुद्रा है, जिसका इतिहास मौर्य साम्राज्य के समय से है. उस समय सोने की मुद्रा चलती थी. इसके बाद जैसे-जैसे शासन बदलते गए मुद्रा भी बदलती गई. ब्रिटिश शासन के समय इंडियन रूपया देशभर में प्रभावित हुआ. इस दौरान भारतीय रुपये को विभिन्न भागों में विभाजित किया गया. ताकि इसकी पहचान करने में आसानी हो सके. जैसे कि- रूपया, आना, पैसा आदि.

वही, स्वतंत्रता के बाद भारत ने देशभर में अपनी स्वतंत्र मुद्रा के रूप में भारतीय रुपये मंजूरी दी. बता दें कि इस समय भारतीय रुपया एक स्थिर मुद्रा है, जिसे सिक्कों और नोट्स के पहचाना जाता है. भारतीय रुपये के इस्तेमाल से सभी लोग अच्छे से वाकिफ है. कहने का मतलब है कि देशभर में भारतीय रुपया व्यापार, खरीददारी और वित्तीय लेन-देन में उपयोग होता है.

कब हुआ रुपया शब्द का इस्तेमाल

रुपये शब्द का इस्तेमाल सबसे पहले शेर शाह सूरी ने अपने शासन काल 1540-1545 में किया था. देश में सबसे पहले 1861 में वाटर मार्क वाला नोट प्रिंट किया गया था. बता दें कि नोट को छापने का काम भारतीय रिजर्व बैंक के द्वारा किया जाता है. RBI के द्वारा रुपये पर हिंदी और अंग्रेजी के अलावा 15 भाषाओं भी होती है. ये ही नहीं सिर्फ भारत की ही करेंसी को रुपये नहीं कहा जाता है बल्कि 8 अन्य देशों की करेंसी को भी रुपया नाम दिया गया है.

रुपये के इतिहास पर एक नजर

फूटी कौड़ी 

से

कौड़ी

कौड़ी

से

दमड़ी

दमड़ी

से

धेला

धेला

से

पाई

पाई

से

पैसा

पैसा

से

आना

आना

से

रूपया बना (जोकि अभी भी है.)

कौड़ी, धेला और पाई की वैल्यू क्या है?

256 दमड़ी = 192 पाई = 128 धेला
64 पैसा = 16 आना = 1 रुपया

  1. 3 फूटी कौड़ी = 1 कौड़ी

  2. 10 कौड़ी = 1 दमड़ी

  3. 2 दमड़ी = 1 धेला

  4. 1.5 पाई = 1 धेला

  5. 3 पाई = 1 पैसा (पुराना)

  6. 4 पैसा = 1 आना

  7. 16 आना = 1 रुपया

भारतीय भारतीय मुद्राओं पर कहवातें

आइए अब पुराने समय से लेकर अब तक इन मुद्राओं का वर्णन लोगों के द्वारा कैसे आम बोलचाल की भाषा में करते हैं. इसके बारे में भी जान लेते हैं. दरअसल, भारतीय मुद्राओं को ऊपर कुछ कहावतें भी है, जो पहले से लेकर अभी भी लोगों के द्वारा बोली जाती है.

  • एक फूटी कौड़ी भी नहीं दूंगा.

  • चमड़ी जाए पर दमड़ी न जाए.

  • सोलह आने सच.

  • धेले का काम नहीं करती हमारी बहु

  • पाई-पाई का हिसाब रखना.

भारतीय करेंसी कैसे बनती है?

अब आपके मन में यह सवाल होगा कि भारतीय करेंसी कैसे बनती है. इसे बनाने के लिए RBI कॉटन से बने कागज और एक विशेष स्याही का इस्तेमाल करती है. जो कि महाराष्ट्र के करेंसी नोट प्रेस और मध्यप्रदेश के होशंगाबांद पेपर मिल से लिए जाते हैं. वही, करेंसी में इस्तेमाल होने वाली स्याही  मध्यप्रदेश के देवास बैंकनोट प्रेस में तैयार की जाती है. इसके अलावा नोट पर उभरी हुई छपाई जो आपको दिखाई देती है, उसकी स्याही सिक्किम में स्थित स्विस फर्म की एक यूनिट सिक्पा में बनाया जाता है. इन सभी चीजों से मिलकर एक भारतीय नोट/करेंसी को तैयार किया जाता है.

English Summary: indian Rupee History entire journey from cowrie to rupee know the history of Indian currency Published on: 26 June 2024, 04:30 PM IST

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