वैसे तो सरकार किसानों को मशीनों पर इतनी 60 -70 प्रतिशत सब्सिडी देने की घोषणा कर रही है, लेकिन किसानों के हालातों को देख कर तो कुछ और ही लग रहा है. बिंजलपुर के एक किसान अजय कुमार ने बताया की उन्होंने पांच महीने पहले धान के अवशेष प्रबंधन के लिए मशीनरी खरीदी थी, जिसके साथ हैप्पी सीडर, डिस्क हैरो, एमबी प्लग, रोटरी सैल्सर आदि मशीनरी थी.
जिसकी कीमत 16 लाख से अधिक थी. उसने यह मशीनरी इसलिए खरीदी थी, की वह मशीनरी का प्रयोग किसानों की पराली को खेत में ही मिलाने के लिए किराये पर देगा. उसने यह मशीनरी अपना घर गिरवी रख कर ली थी. लेकिन इतना पैसा लगाने के बाद भी कृषि विभाग अम्बाला के उपनिदेशक ने उन्हें 8 लाख रुपये की सब्सिडी उपलब्ध नहीं करवाई. उन्होंने यह सब कृषि रोज़गार के लिए किया था. लेकिन अब वह मशीनरी के क़र्ज़ से बहुत ज्यादा दुखी है. किसान अजय कुमार का कहना है कि उनके खाते में सरकार कि तरफ से 5.50 लाख रुपये सब्सिडी के डाले गए है वो भी राज्य मंत्री से शिकायत के बाद जबकि अभी भी 3 लाख बकाया पड़ा है. एक तरफ तो सरकार बोल रही है कि पराली नहीं जलानी दूसरी तरफ किसानों को आसानी से कृषि यंत्रों पर सब्सिडी भी मुहैया नहीं करवा रही. प्रसाशन का ऐसा रवैया देख कर किसान बहुत दुखी है.
मनीशा शर्मा, कृषि जागरण
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