आज का दिन कृषि जगत के लिए काफी विशेष है क्योंकि, किसानों के नेता चौधरी चरण सिंह जिन्हें लोग किसानों का मसीहा भी मानते थे आज उनका पुणयतिथि है. वे हमारे देश के पांचवे प्रधानमंत्री भी रह चुके हैं.
चौधरी चरण सिंह एक किसान परिवार से थे. जिस वजह से उनकी दिलचस्पी कृषि क्षेत्र में बढ़ी. वे हमेशा खुद को किसानों के मुद्दों से जुड़ा हुआ रखते थे और उनको समर्थन करने का पूरा प्रयास करते थे. वे 1979 में भारत के प्रधान मंत्री बने तो उन्होंने किसानों के जीवन में सुधार लाने के लिए काफी बदलाव किए. यह एक दिलचस्प तथ्य भी है कि भारत के प्रधान मंत्री के रूप में चौधरी चरण सिंह ने कभी भी लोकसभा का दौरा नहीं किया। मोरारजी देसाई के शासनकाल के दौरान उन्होंने उप प्रधान मंत्री के रूप में भी काम किया.
उन्होंने 1979 के बजट को पेश किया जिसे किसानों की सभी जरूरतों को पूरा करने के लिए तैयार किया गया था. भारतीय किसानों के पक्ष में इसकी कई नीतियां थीं. महान किसान नेता की ये पहल उन सभी किसानों के आत्मविश्वास को बढ़ाती है
और उन्हें जमीनदार और धनदंडियों के खिलाफ एकजुट होने की शक्ति प्रदान करती है. कृषि निर्माण के पीछे विधानसभा में चौधरी चरण सिंह द्वारा पेश किए गए प्रसिद्ध बाजार विधेयक थे। विधेयक का उद्देश्य जमींदारों के लालच और अत्याचार के खिलाफ किसानों की भलाई की रक्षा के लिए था. जमींदारी उन्मूलन अधिनियम भी उनके द्वारा शुरू किया गया और लागू किया गया.
नई दिल्ली में प्रसिद्ध किसान घाट उत्तर में किसान के समुदायों से संबंधित कारणों के साथ उनकी भागीदारी के कारण चौधरी चरण सिंह को समर्पित है. वह एक शौकीन लेखक भी थे और उन्होंने किसानों और उनके साथ समस्याओं से जुड़े समाधानों के बारे में अपने विचार लिखे हैं. चौधरी चरण सिंह की मृत्यु 29 मई 1987 को हुई थी.
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