कभी न कभी हम और आप सर्दी में जुकाम और थोड़े बहुत बुखार के कष्ट को सहते रहते हैं. एक आम बात है कि छोटे-मोठे घरेलू नुस्खों और कैमिस्ट कि स्टैण्डर्ड दवाई से अपना इलाज खुद ही कर लेने की एक आदत हम सब की बन गयी है.
लेकिन हम जिन-जिन चीजों को इस्तेमाल करते हैं उनके ख़राब हो जाने पर उसके मिस्त्री या मेकैनिक के पास उसके इलाज और उसे दुरुस्त करने के लिए जाते हैं. जूता हमारी जिंदगी का एक एहम हिस्सा है. उसके फट जाने या कहीं से उखड जाने पर उसकी मरम्मत के लिए उसे मोची के पास ले जाते हैं. वैसे जूते के ठीक हो जाने पर उसे पोलिश वगैरह कर लेने पर फिर उसे चलने लायक बना लेते है.
मोची का काम करनेवाला भी अपने आप को अपने काम में हुनरमंद समझ कर अपने काम को किसी भी तरह से छोटा नहीं समझता.
क्या आपने कभी सोचा कि जूतों का भी कोई डॉक्टर होता है और वहां पर जूतों को ओ.पी.डी औ इमरजेंसी में भी ले जाया जाता है. इलाज करने के लिए जूतों कि वैसी ही देखभाल की जाती है जैसी हम और आप अपने किसी मरीज कि देखभाल करते हैं. फिर उन्हें चलने लायक बना कर रोजमर्रा कि जिंदगी में ले आते है.
आइए मिलते हैं ऐसे ही जूतों के डॉक्टर से और जानते हैं उसके जूतों के अस्पताल के बारे में -
डॉ नरसीराम, आप सोच रहे होंगे की डॉक्टर और जूतों के अस्पताल का क्या मेल. तो ज़रा जान लीजिये क्योंकि अब मरीजों के लिए ही डॉक्टर की जरूरत नही होती बल्कि जूतों के लिए भी डॉक्टर साहब की जरूरत होती हैं और वो है डॉ नरसीराम जी, ये डॉक्टर किसी अस्पताल में काम नही करते बल्कि एक साधरण से मोची हैं । जिसने अपनी दुकान को चलाने के लिए कुछ ऐसा टाइटल दे डाला कि लोग हैरत में है और इतना ही नहीं अस्पताल की तरह खुलने और बंद होने के समय का विवरण भी इसमें दिया गया है.
शहर के चौक पर 22 साल से जूतों की रिपेयरिंग कर रहे नरसी राम सोशल मीडिया पर छाए हुए हैं। नरसी जहां सड़क किनारे बैठकर जूते गांठता है वहीं उसने एक बैनर टांग रखा है जिस पर लिखा है - जख्मी जूतों का अस्पताल।
यदि आपके मन को कुछ कचोटता है तो वह आजकल सोशल मीडिया पर लोगों का ध्यान बाँटने के लिए बड़ी ही तेजी से फैलने लगता है. सोशल मीडिया से वह चर्चा में तो आता ही है, कभी कभी बिज़नेस के ऐसे आइडिया भी ले आता है जिससे बिज़नेस दुनिया बड़े दिग्गज भी सोचने पर मजबूर हो जाते हैं.
किस्सा यूं है कि महिंद्रा ग्रुप के चेयरमैन आनंद महिंद्रा ने व्हाट्सप्प पर एक फोटो देखा तो उन्हें लगा कि यह एक कारीगर तो है ही उसके साथ-साथ बड़ा कलाकार और इनोवेटिव विचार वाला भी है, क्यों न इसकी कुछ मदद कि जाए.
जूते रिपेयरिंग का काम करने वाले किसी भी मोची के पास कोई नाम या पहचान नहीं होती। इस कारण वह काम को बढ़ावा नहीं दे पाते। उसका काम भी मंदा था और परिवार का गुजारा मुश्किल से चल रहा था। इसीलिए उसके काम को बढ़ावा देने के लिए कुछ करने की ठानी। उसके दिमाग में जख्मी जूतों के अस्पताल के नाम से बैनर बनवाने का आइडिया आया जिससे उसका काम भी चल निकला।
नरसी फुटपाथ पर जहां जूते ठीक करता है. वहीं उसने बैनर टांग रखा है कि जिस पर अस्पताल की तर्ज का पूरा विवरण दे रखा है। बैनर पर लिखा है - जख्मी जूतों का अस्पताल। खुद को डॉक्टर बताते हुए नीचे लिखा है डॉ. नरसी राम। काम का समय यानि ओपीडी सुबह 9 बजे से दोपहर 1 बजे तक। लंच का समय दोपहर 1 से 2 बजे तक। सायं 2 से 6 बजे तक अस्पताल खुला रहेगा। हमारे यहां जूते व चप्पलों का इलाज जर्मन तकनीक से किया जाता है।
बैनर पर सबसे नीचे लिखा है कि हमारी अमेरिका के सिवाय और कहीं शाखा नहीं है। नरसी राम ने अपने काम की गारंटी का भी जिक्र किया है। आनंद महिंद्रा ने नरसी राम के तरीके से प्रभावित होकर इस तस्वीर को अपने ट्वीटर हैंडल पर अपलोड किया था।
आनंद मोहद्रा के निर्देश पर कुछ दिन पहले उनकी कंपनी के कर्मचारी नरसी राम के पास आए थे। नरसी ने पैसों मांग न करके कहा था कि वह जहां फुटपाथ पर बैठकर काम करता है उसे उसी जगह पर दुकान बनाने की इच्छा है। अब आनंद महिंद्रा ने दोबारा ट्वीट कर जानकारी दी है कि महिंद्रा की डिजाइन स्टूडियो टीम फटे-पुराने जूते,चप्पलों की मरम्मत करने वाले नरसीराम के लिए चलती-फिरती नई दुकान तैयार करने में जुट गई है, जहां वे जख्मी जूतों का इलाज आराम से कर सकेंगे।
महिंद्रा ग्रुप के चेयरमैन आनंद महिंद्रा जैसी शख्सियत को भी फटे.पुराने जूते-चप्पलों की मरम्मत करने वाले नरसीराम की तारीफ करने पर मजबूर कर दिया हैं ।
आसान से सवालों के जवाब दें और पाएं मुफ्त में जूता -
आशा करते हैं कि आपने पूरा लेख पढ़ लिया है. अब दीजिये इन आसान से सवालों के जवाब और पाएं मुफ्त में एक जोड़ी जूता.
1. जूतों का अस्पताल कहाँ है ?
2. जूतों के डॉक्टर का क्या नाम है ?
3. यह बिज़नेसमैन कोण है ?
4. जूतों के डॉक्टर को क्या मदद मिली ?
5. आपने ऐसा अस्पताल कहीं और भी देखा है क्या ?
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