
विज्ञान की दुनिया में मधुमक्खियों की उपयोगिता एक बार फिर सिद्ध हुई है. हाल ही में एक शोध में यह सामने आया है कि मधुमक्खी के डंक में पाया जाने वाला एक विशेष तत्व "मेलिटिन" (Melittin), एड्स (HIV) और कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों के उपचार में सहायक सिद्ध हो सकता है. यह शोध PubMed Central (PMC) जैसी अधिकृत वेबसाइट पर प्रकाशित हुआ है, जिससे इस दावे की पुष्टि होती है. शोध का लिंक है: https://pmc.ncbi.nlm.nih.gov/articles/PMC10378503/
मेलिटिन एक शक्तिशाली प्रोटीन है जो वायरस की बाहरी झिल्ली को भेदकर उसे निष्क्रिय कर देता है. वैज्ञानिकों का मानना है कि यह तकनीक विशेषकर एचआईवी और कुछ प्रकार के कैंसर में अत्यंत प्रभावी हो सकती है. केवल शहद नहीं, मधुमक्खी से मिलने वाले अन्य उपहार भी बहुमूल्य हैं. मधुमक्खी पालन से न केवल शुद्ध शहद प्राप्त होता है, बल्कि मोम, प्रोपोलिस, पराग कण (Bee Pollen) जैसे उत्पाद भी औषधीय गुणों से भरपूर होते हैं. इनका उपयोग आयुर्वेद, यूनानी और होम्योपैथी चिकित्सा पद्धतियों में वर्षों से होता आ रहा है.
भारत में मधुमक्खी पालन का बढ़ता महत्व
भारत में मधुमक्खी पालन एक उभरता हुआ ग्रामीण व्यवसाय है, जो न केवल स्वस्थ उत्पाद प्रदान करता है, बल्कि रोजगार का भी स्रोत बन रहा है. भारत हर वर्ष लगभग 90,000 मीट्रिक टन शहद का उत्पादन करता है और 500 करोड़ रुपये मूल्य का शहद निर्यात करता है. भारत आज विश्व के शीर्ष शहद उत्पादकों में शामिल है.

हज़ार करोड़ रुपये का औषधीय बाज़ार
भारतीय मधुमक्खियों से प्राप्त औषधीय उत्पादों का बाज़ार अब 1,000 करोड़ रुपये तक पहुँच गया है. वैज्ञानिकों का उद्देश्य है कि इन प्राकृतिक तत्वों का और अधिक चिकित्सकीय उपयोग विकसित किया जाए, जिससे आधुनिक दवाओं में इनका समावेश हो सके.
खेती के लिए भी वरदान
मधुमक्खियाँ परागण के माध्यम से खेती को भी बढ़ावा देती हैं. ये फसलों की उपज को बढ़ाने में सहायक होती हैं, विशेषकर जैविक खेती के संदर्भ में. वैज्ञानिकों का कहना है कि यदि मधुमक्खी पालन को संगठित रूप से बढ़ावा दिया जाए, तो यह स्वास्थ्य, अर्थव्यवस्था और कृषि – तीनों ही क्षेत्रों में क्रांतिकारी लाभ पहुँचा सकता है.
लेखक:
प्रवीण गोला
(मधुमक्खी पालक और उद्यमी)
Share your comments