दक्षिण भारत के केरल में इन दिनों एक खतरनाक वायरस का खतरा मंडरा रहा है। और इस वायरस के कारण राज्य में करीब दस लोगों की मौत हो गई है। इस वायरस का नाम निपाह बताया जा रहा है। वहीं जांच में निपाह वायरस के सैंपल 25 और लोगों की खून में मिले हैं और उनके जान का खतरा बना हुआ है। वायरस के आतंक से बचने के लिए लोगों को निगरानी में रखा गया है।
पूरे मामले पर केंद्र सरकार को अवगत करा दिया गया है और आगे उनसे मदद भी मांगी गई है। मामले को संज्ञान में लेते हुए स्वास्थय मंत्री जेपी नड्डा ने एनसीडीसी की टीम को केरल के दौरे पर भेजा है। और नेशनल सेंटर फॉर डीसीज कंट्रोल (एनसीडीसी) की टीम केरल में निपाह वायरस प्रभावित इलाकों का दौरा करेगी।
वायरस के ऊपर गहन जानकारी प्राप्त करते हुए इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) की कमेटी वायरस की पूरी जानकारी जुटा रही है। हैराऩी की बात तब सामने आई जब पुणे वायरोलॉजी इंस्टीट्यूट ने खून के तीन नमूनों की जांच किए जिसमें निपाह वायरस के होने की पुष्टि हुई।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) के अनुसार, निपाह वायरस चमगादड़ से फलों में और फलों से इंसानों और जानवरों में फैलता है। 1998 में पहली बार मलेशिया के कांपुंग सुंगई निपाह में इसके मामले सामने आए थे। हालांकि पहले इसका असर सुअरों पर देखा गया था। ये वायरस 2004 में बंग्लादेश में भी फैल चुका है और उस वक्त कई लोगों की जान चली गई थी।
इस वायरस के संक्रमित व्यक्ति को सबसे पहले सांस लेने में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है और उसके बाद दिमाग में जलन महसूस होती है। वहीं सही समय पर उपचाकर न मिलने की वजह से इंसान की मौत हो जाती है। वहीं हैरान करने वाली खबर ये है की अब तक इस वायरस से जुड़ी कोई वैक्सीन नहीं आई है। वहीं वायरस से बचने के लिए फलों के सेवन से दूर रहना चाहिए और खासकर खजूर (डेट) खाने से बचना चाहिए। इसके साथ ही पेड़ से गिरे फलों का सेवन नहीं करना चाहिए और बीमार सुअर और दूसरे जानवरों से दूरी बनाए रखनी चाहिए।
जिम्मी
कृषि जागरण/ नई दिल्ली
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