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2700 साल पुराना है काला नमक चावल का इतिहास, यूपी की योगी सरकार कर रही है प्रमोट

उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार द्वारा एक अहम पहल की शुरुआत की गई है. इसके तहत गौतम बुद्ध के महाप्रसाद के रूप में प्रतिष्ठित काला नमक चावल (Kala Namak Rice) की खेती को प्रमोट किया जा रहा है.

कंचन मौर्य
Kala Namak Rice
Kala Namak Rice

उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार द्वारा एक अहम पहल की शुरुआत की गई है. इसके तहत गौतम बुद्ध के महाप्रसाद के रूप में प्रतिष्ठित काला नमक चावल (Kala Namak Rice) की खेती को प्रमोट किया जा रहा है.

दरअसल, यूपी की योगी सरकार ने सिद्धार्थनगर जिले में झांसी की स्ट्रॉबेरी और लखनऊ के गुड़ महोत्सव की तर्ज पर तीन दिवसीय ‘काला नमक चावल महोत्सव’ शुरू करवाया है. विशेषज्ञों की मानें, तो इस पहल की मदद से प्राचीन चावल की खेती आगे बढ़ पाएगी, साथ ही एक्सपोर्ट में भी मदद मिलेगी. जिससे किसानों की आय में भी इजाफा होगा.

काला नमक चावल की खासियत

  • यह चावल सुगंध और स्वाद, दोनों के मामले में विशिष्ट है.

  • इस चावल में शुगर न के बराबर होता है.

  • सामान्य चावल के मुकाबले प्रोटीन दोगुना, आयरन तीन गुना और जिंक चार गुना पाया जाता है.

विश्व स्तर पर काला नमक चावल (Kala Namak Rice) को पहचान दिलाने के लिए कृषि वैज्ञानिकों ने काफी प्रयास किया है. इसमें प्रो. रामचेत चौधरी का नाम सबसे पहले आता है. इनकी बदौलत नई प्रजाति किस्म विकसित हो पाई है, जो कि किसानों के लिए फायदे का सौदा साबित हुआ है. बता दें कि पहली बार काला नमक चावल महोत्सव हुआ, जिसकी शुरुआत यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा की गई. इसका लक्ष्य यह है कि काला नमक चावल (Kala Namak Rice) का प्रोडक्शन और एक्सपोर्ट बढ़ाया जा सके. सबसे खास बात यह है कि इस चावल का इतिहास लगभग 2700 साल पुराना है.

11 जिलों को मिला है GI टैग

आपको बता दें कि काला नमक चावल को पूर्वांचल के 11 जिलों को जियोग्राफिकल इंडीकेशन (GI) टैग मिला हुआ है. इसमें सिद्धार्थनगर, महराजगंज, गोरखपुर, संत कबीरनगर, बाराबंकी, गोंडा, बहराइच, बलरामपुर, कुशीनगर, बस्ती और देवरिया का नाम शामिल है. यूपी के ये जिले काला नमक चावल (Kala Namak Rice) का उत्पादन और बिक्री, दोनों कर सकते हैं. इसके साथ सिद्धार्थ नगर, गोरखपुर, महराजगंज, बस्ती और संतकरीबर नगर का एक जिला एक उत्पाद (ODOP) भी घोषित कर दिया गया है. यह इन जिलों की नई पहचान है. मौजूदा समय में लगभग 45 हजार हेक्टेयर में सालाना 4.5 लाख क्विंटल चावल पैदा किया जा रहा है.

उत्पादन का गढ़ है वर्डपुर

कहा जाता है कि सिद्धार्थनगर के बजहा गांव में यह गौतम बुद्ध (Gautam Buddha) के जमाने से पैदा किया जा रहा है. इसकी खुशबू म्यांमार, श्रीलंका, जापान, थाईलैंड और भूटान समेत बौद्ध धर्म के मानने वाले कई देशों तक पहुंच चुकी है. सिद्धार्थनगर जिला मुख्यालय से लगभग 15 किलोमीटर दूर वर्डपुर ब्लॉक उत्पादन का गढ़ माना जाता है. इसकी खेती ब्रिटिश काल में बर्डपुर, नौगढ़ व शोहरतगढ़ ब्लॉक में होती थी.

अब बढ़ रही है खेती

इसकी खेती साल 2009 तक पूर्वांचल में 2000 हेक्टेयर में हो रही थी, लेकिन जब से 11 जिलों को जीआई टैग दिया गया है, तब से इसका रकबा 45000 हेक्टेयर से अधिक है.

एक्सपोर्ट शुरू

इसका एक्सपोर्ट (Export) शुरू हो चुका है. जानकारी के लिए बता दें कि काला नमक चावल  (Kala Namak Rice) साल 2019-20 में 200 क्विंटल सिंगापुर गया था. जहां लोगों को यह चावल काफी पसंद आया, फिर से यहां 300 क्विंटल भेजा गया. इसके अलावा दुबई में 20 क्विंटल और जर्मनी में 1 क्विंटल का एक्सपोर्ट किया गया है.

काला नमक चावल की कीमत

इस चावल की कीमत (Kala Namak Rice) 300 रुपए किलो के आस-पास है. अब इसे और प्रमोट करने की जरूरत है, इसलिए इसके लिए खास महोत्सव आयोजित किया गया है.

English Summary: Yogi government is promoting kala namak rice Published on: 15 March 2021, 03:36 PM IST

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