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जंगलों में आग लगने के मुख्य कारण और बचाव, जरूर पढ़ें

भारत में वनों का सांस्कृतिक और आर्थिक महत्व है. इनकी छत्रछाया में ही भारतीय सभ्यता और संस्कृति का विकास हुआ. आज भी वनों का महत्व किसी से छिपा नहीं है. सही शब्दों में कहें, तो पृथ्वी पर जीवन जीने के लिए जंगलों का होना बेहद जरूरी है. इन्हीं की वजह से धरती पर बारिश और शुद्ध हवा मिलती है. सबसे जरूरी बात कि जंगल कई जानवर और पक्षियों का घर होता है, लेकिन आज जंगलों की हालत देखकर मन बिचलित होने लगता है. आज मनुष्य इतना स्वार्थी हो गया है कि वह लगातार पेडों की कटाई कर रहा है, जिसकी वजह से जंगलों उजाड़ते जा रहें है. वनभूमि कम होने का यह मुख्य कारण है. इसी वजह से जंगल सिमटते जा रहें हैं और शहर बढ़ते जा रहें हैं, इसलिए आज हमारे इस लेख को ध्यान से पढ़े.

कंचन मौर्य

भारत में वनों का सांस्कृतिक और आर्थिक महत्व है. इनकी छत्रछाया में ही भारतीय सभ्यता और संस्कृति का विकास हुआ. आज भी वनों का महत्व किसी से छिपा नहीं है. सही शब्दों में कहें, तो पृथ्वी पर जीवन जीने के लिए जंगलों का होना बेहद जरूरी है. इन्हीं की वजह से धरती पर बारिश और शुद्ध हवा मिलती है. सबसे जरूरी बात कि जंगल कई जानवर और पक्षियों का घर होता है, लेकिन आज जंगलों की हालत देखकर मन बिचलित होने लगता है. आज मनुष्य इतना स्वार्थी हो गया है कि वह लगातार पेडों की कटाई कर रहा है, जिसकी वजह से जंगलों उजाड़ते जा रहें है. वनभूमि कम होने का यह मुख्य कारण है. इसी वजह से जंगल सिमटते जा रहें हैं और शहर बढ़ते जा रहें हैं, इसलिए आज हमारे इस लेख को ध्यान से पढ़े.

सभी जानते है कि ऑस्ट्रेलिया के जंगल में लगी आग बुझने का नाम नहीं ले रही है. ये आग दिन पर दिन बढ़ती जा रही है. पिछले कई माह से आग पर काबू पाने के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन चलाए जा रहे हैं, लेकिन सभी प्रयास फेल होते जा रहें हैं. हैरान कर देने वाली बात है कि पिछले चार महीने से ऑस्ट्रेलिया के जंगलों में लगी आग अब तक बुझाई नहीं जा सकी है. यह आग 4 महीने से जारी है. जिसमें करीब 50 करोड़ पशु-पक्षी जलकर मर चुके हैं, तो वहीं कई पशु-पक्षियों को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचा है. इस आग का सबसे बुरा प्रभाव कोआला पर पड़ा है, जो जानवरों की एक प्रजाति होती है. यह प्रजाति न्यू साउथ वेल्स के मध्य-उत्तरी इलाके में सबसे ज्यादा पाई जाती है. इस आग से उनकी आबादी में भारी गिरावट हुई है. अनुमान लगाया जा रहा है कि इस आग में अब तक 48 करोड़ जानवरों की झुलसने से मौत हुई है. जिनमें स्तनधारी पशु, पक्षी और रेंगने वाले जीव शामिल हैं.

क्यों लगती है जंगलों में आग

जंगल में आग लगने के मुख्य तीन कारण होते हैं. ईंधन, ऑक्सीजन और गर्मी. अगर गर्मियों का मौसम है, तो सूखा पड़ने पर ट्रेन के पहिए से निकली एक चिंगारी भी आग लगा सकती है. इसके अलावा कभी-कभी आग प्राकृतिक रूप से भी लग जाती है. ये आग ज्यादा गर्मी की वजह से या फिर बिजली कड़कने से लगती है. वैस जंगलों में आग लगने की ज्यादातर घटनाएं इंसानों के कारण होती हैं, जैसे आगजनी, कैम्पफ़ायर, बिना बुझी सिगरेट फेंकना, जलता हुआ कचरा छोड़ना, माचिस या ज्वलनशील चीजों से खेलना आदि. जंगलों में आग लगने के मुख्य कारण बारिश का कम होना, सूखे की स्थिति, गर्म हवा, ज्यादा तापमान भी हो सकते हैं. इन सभी कारणों से जंगलों में आग लग सकती है.

जंगल में लगी आग पर काबू कैसे पाएं

जंगल को आग से बचाकर रखने से हमारा पूरा पर्यावरण सुरक्षित रहेगा. इसलिए नीचे लिखी बातों पर विशेष रूप से ध्य़ान दें.

  • जंगल में आग लगने पर एक विशेष टूल का इस्तेमाल किया जाता है, जो तापमान, हवा की गति जैसे मानकों की जांच करने में मदद करती है.

  • जंगल के इलाक़ों में बीच-बीच में गड्ढे खोद देना चाहिए, ताकि आग ज्यादा न फैल सके.

  • जंगल से उन सभी चीज़ों को हटा देना चाहिए, जो चिनगारी पैदा करती हों.

  • जंगल में आग पर निगरानी रखने के लिए पर्याप्त संख्या में कर्मचारी नियुक्त होने चाहिए.

  • आग जलाने के काम को नियन्त्रित किया जाना चाहिए, जिससे जंगल में पेड़ से गिरी चीड़ के पेड़ की पत्तियाँ इकट्ठी न होने पाएँ.

  • जंगल में ज्वलनशील पत्तियों का फैलाव नहीं होना चाहिए, साथ ही चीड़ की सुई जैसी पत्तियों के वैकल्पिक प्रयोग को सरकार द्वारा बढ़ावा दिया जाए.

  • वन विभाग के पास वायरलैस के जरिए संचार करने का बेहतर साधन होना चाहिए, जिससे जंगल में लगी आग पर जल्दी काबू पाया जा सके.

  • पेड़ों को काटने के खिलाफ तुरन्त कार्रवाही होनी चाहिए.

  • वन विभाग के पास एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने के लिए तेज वाहन की व्यवस्था होनी चाहिए.

  • जंगल के आस-पास रहने वाले लोगों को लकड़ी लेने का अधिकार बनाए रखा जाए.

  • वनों की देखभाल और उनके संरक्षण के लिए वन विभाग को पर्याप्त धन उपलब्ध कराया जाए.

English Summary: why is there a fire in the forests and how to stop it Published on: 06 January 2020, 05:50 PM IST

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